ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 27 जून
कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों को संक्रमण का ज्यादा खतरा बताया जा रहा है, लेकिन कैथल में इससे निपटने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। करीब पौने 3 लाख से ज्यादा नौनिहालों के लिए जिले के सरकारी अस्पतालों में एक ही बाल रोग विशेषज्ञ हैं। प्रशासन और सरकार के कोरोना से जंग जीतने के दावे कैथल में हवा-हवाई होते नजर आ रहे हैं।
कैथल में सिविल अस्पताल में एक ही बाल रोग विशेषज्ञ हैं। इसके अलावा जिले में 21 पीएचसी और 6 सीएचसी में बच्चों का एक भी डॉक्टर नहीं है। कैथल में जो डॉक्टर तैनात हैं, उन्हें भी कभी कोर्ट केस में गवाही देने जाना पड़ता है तो कभी विभाग के अन्य कार्यों के चलते अस्पताल से बाहर जाना पड़ता है। वैसे भी एक डॉक्टर दिन भर में कितनी ओपीडी करेगा, इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
मुख्यालय के अतिरिक्त जिले के किसी गांव या कस्बे में बच्चे को कोई गंभीर बीमारी हो जाए तो अभिभावकों के पास केवल एक ही रास्ता है कि वह उक्त बच्चे को किसी निजी अस्पताल में ले जाए। डॉक्टर को दिखाने के लिए महिलाएं अपने नौनिहालों को गोद में लेकर घंटों खड़ी रहती हैं। एक डॉक्टर होने की वजह से लाइन में खड़े-खड़े बच्चों का दर्द और बढ़ जाता है। पिछले लंबे समय से जिले में ऐसी समस्या बनी हुई है। लंबी-लंबी लाइन, कभी सरकारी छुट्टी और कभी डॉक्टर का अस्पताल से बाहर होना। वैसे ही मरीजों की अधिकता भी डॉक्टर के लिए एक समस्या है, क्योंकि अगर डॉक्टर पर दबाव कम होगा तो वह अच्छे से बच्चों की जांच कर पाएंगे। सैकड़ों की संख्या में पहुंचने वाले मरीजों से डॉक्टर भी परेशानी में आ जाते हैं। बेशक इस बारे में सिविल अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डा. अनिल अग्रवाल कुछ न कहें। कई बार तो अस्पतालों में डॉक्टर न होने की वजह से नौनिहाल रोते आते हैं, बिलखते चले जाते हैं।
जिला में 5 मामले, 3527 को लगा टीका
डीसी प्रदीप दहिया के अनुसार जिला में कोरोना वायरस से संक्रमित 5 नए केस सामने आए हैं। होम आइसोलेशन में रहे 8 कोरोना मरीजों ने कोरोना को मात दी। जिले में 11154 कोरोना के मरीजों में से 10773 मरीज ठीक हो चुके हैं। अब कोरोना के एक्टिव केस 41 रह गए हैं। जिले का रिकवरी रेट 96.5 प्रतिशत हो गया है। डीसी ने बताया कि जिला में अभी तक 2,42,417 का टीकाकरण किया जा चुका है, जिनमें से 2,09770 को पहली डोज तथा 32,647 को दूसरी डोज दी जा चुकी है। इनमें 11 हजार 66 हैल्थ केयर वर्कर्स, 7757 फ्रंट लाइन वर्कर्स, 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के 91271 तथा 45 वर्ष आयु वर्ग से ऊपर के 1,32,323 लोग शामिल हैं। रविवार को 3527 व्यक्तियों का टीकाकरण किया गया।
पीएचसी-सीएचसी की स्थित बेहद चिंताजनक
जिले में बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं की ओर नजर दौड़ाएं तो स्थिति चिंताजनक है। जिले में 21 पीएचसी व 6 सीएचसी में एक भी डॉक्टर नहीं है। कैथल में सीवन, राजौंद, कौल, गुहला चीका, कलायत, पूंडरी में सीएचसी हैं। इन छहों पीएचसी में कहीं पर भी डॉक्टर नहीं है। इसी प्रकार जिले में 17 पीएचसी है, वहां भी किसी में भी बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। ऐसे में बिना डॉक्टर के भला इलाज के लिए बच्चों को लेकर अभिभावक जाएं तो जाएं कहां।
अतिरिक्त बिस्तरों का इंतजाम भी नहीं
इसी प्रकार यहां बच्चों के लिए कोई अतिरिक्त बिस्तरों व अन्य भी कोई इंतजाम नहीं है। प्रदेश के कई जिलों से यहां मरने वाले बच्चों की मृत्यु दर भी अधिक है। अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 में इस जिले में 1114 बच्चों की मौत हुई है। अगर वर्ष 2015 की बात करें तो यहां मरने वाले बच्चों की संख्या 910 है। इसके इसके बाद मृत्यु दर में काफी सुधार भी हुआ, लेकिन बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, बाल विशेषज्ञ, अत्याधुनिक मशीनें आदि हो तो इन आंकड़ों को और भी कम किया जा सकता है। कैथल जिले में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए फिलहाल बात करें तो यहां यहां 20 वेंटिलेटर हैं। इनमें से 7 वेंटिलेटर ही ऐसे हैं जो बच्चों के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं। सात वेंटिलेटर ही ऐसे हैं जो हैं तो बड़ों के लिए लेकिन वो बच्चों के लिए भी शिफ्ट हो सकते हैं। डॉक्टरों की बात करें तो पूरे जिले में एक बाल रोग विशेषज्ञ है। किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सबसे पहले उस बीमारी के विशेषज्ञ डॉक्टर की आवश्यकता होती है। इसके बाद ही रोगी का सही तरीके से इलाज शुरू हो पाता है।
मुख्यालय में करेंगे बात : डीसी
इस बारे में डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि जिले में बाल रोग विशेषज्ञ की कमी के बारे में उन्हें पता नहीं था। इस संदर्भ में मुख्यालय में बात कर बाल रोग विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाई जाएगी। बच्चों के इलाज में कमी नहीं आने दी जाएगी।
जल्द बढ़ाएंगे सुविधाएं : सीएमओ
इस बारे में सीएमओ डा. शैलेन्द्र ममगईं शैली से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे पास सात वेंटिलेटर ऐसे हैं जो छोटे बच्चों के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं। एंबुलेंस, ऑक्सीजन व बेडों की व्यवस्था जरूरत के हिसाब से बढ़ाई जा सकती है। विभाग से 2 बाल रोग विशेषज्ञ, 8 स्टाफ नर्स मांगी हैं। इसके लिए विभाग को लिखा गया है। सरकार को कुछ जरूरी उपकरण व अन्य सुविधाओं के लिए भी लिखा है। उनका प्रयास है कि जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिले।
बच्चे के चेहरे को टच न करें
इस बारे में जब सिग्नस अस्पताल कैथल के डायरेक्टर डा. जसजीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनका संस्थान कोविड के मरीजों के इलाज के लिए अधिकृत है। अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है उनके पास इस संकट से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। उनके पास बच्चों के लिए फिलहाल 40 बेड हैं और 14 आईसीयू बेड और 10 वेंटिलेटर हैं। आवश्यकता के अनुसार बेडों की संख्या में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने लोगों ने अपील की है कि साबुन से हाथ धोएं। मास्क, सेनेटाइजर का प्रयोग करें और बच्चे के चेहरे को टच न करें। यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो घर पर रहें या फिर डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं। अभिभावकों को जैसे ही बच्चे में कोई कोरोना के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।