
न्यूयार्क में अरविंद पनगढ़िया से बातचीत करते एस जयशंकर।
वाशिंगटन/न्यूयार्क, 22 सितंबर (एजेंसी)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर अमेरिका सहित कई देश भारत के समर्थन में खड़े हैं। इससे पहले कई देश अपना समर्थन दे चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम पहले भी यह मानते थे और आज भी इस बात को मानते हैं कि भारत, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाया जाना चाहिए।’
उधर, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा कि भारत वैश्विक मंच पर बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे दीर्घकालिक संस्थानों को अतीत की तरह अपने भविष्य को भी प्रभावशाली बनाने के लिए अपने में बदलाव करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा, 'भारत कई तरीकों से वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।’ इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘वह दिन जरूर आएगा जब यह मसला हल होगा।’
गौर हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कहा कि वक्त आ गया है, जब संस्था को और समावेशी बनाया जाए, ताकि यह आज के युग की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्य, जिनमें अमेरिका भी शामिल है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रक्षा करनी चाहिए और वीटो से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी, दोनों तरह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जोर देता है। इनमें वे देश भी शामिल हैं, जिनकी स्थायी सदस्यता की मांग का हम लंबे समय से समर्थन करते आ रहे हैं।’ गौरतलब है कि भारत के पास अभी सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर दो साल का कार्यकाल है। उसका कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो जाएगा।
भारत की स्थायी सदस्यता के बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा, ‘आखिर क्या कारण है कि जापान, ब्राजील, भारत, जर्मनी और यूक्रेन इसके सदस्य नहीं हैं।’ ब्रिटेन के मंत्री क्लेवरली ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह उचित है कि सुरक्षा परिषद उस दुनिया को दर्शाए जो आज है न कि उस दुनिया को, जब संयुक्त राष्ट्र बना था।’
...यह वैश्विक जरूरत : जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना आज वैश्विक जरूरत है। उन्होंने कहा, 'हम इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं।' जयशंकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर तथा नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के साथ बातचीत कर रहे थे। विदेश मंत्री ने कहा कि बदलाव अपेक्षित है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र 80 वर्ष पहले की स्थितियों के परिणामस्वरूप बना। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, यह दुनिया की सबसे घनी आबादी वाला देश होगा। उन्होंने कहा, ‘ऐसे देश का अहम वैश्विक परिषदों का हिस्सा न होना जाहिर तौर पर न केवल हमारे लिए बल्कि वैश्विक परिषद के लिए भी अच्छा नहीं है।'
अभी ऐसी है स्थिति
वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य देश शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। इन देशों के पास किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो (रोक लगाने) करने की शक्ति है। हाल ही में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग तेज हो रही है।
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