वाशिंगटन/बीजिंग, 30 नवंबर (एजेंसी)
भारत और अमेरिका के बीच ‘नजदीकी’ चीन को बहुत अखर रही है। एक तरफ उसने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ उसके संबंधों में दखल न दें। दूसरी तरफ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास का उसने कड़ा विरोध किया है। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की कांग्रेस (संसद) में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘चीनी गणराज्य (पीआरसी) तनाव कम करने की कोशिशों में जुटा है, ताकि भारत अमेरिका के और करीब न जाए। पीआरसी के अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ पीआरसी के संबंधों में हस्तक्षेप न करें।’
उल्लेखनीय है कि इन दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग 100 किमी दूर उत्तराखंड में भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’ का 18वां संस्करण चल रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने बीिजंग में मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘चीन-भारत सीमा पर एलएसी के करीब भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौते की भावना का उल्लंघन करता है।’ पाकिस्तान के एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘यह चीन और भारत के बीच आपसी विश्वास को पूरा नहीं करता है।’ चीनी विदेश मंत्रालय का 1993 और 1996 के समझौतों का संदर्भ देना दिलचस्प है क्योंकि भारत ने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी में विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजने के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रयासों को द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करार दिया था जिनके मुताबिक शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से सीमा विवाद का समाधान किया जाना है। यहां उल्लेखनीय है कि सीमा पर गतिरोध को हल करने के लिए भारतीय और चीनी सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बैठकें की हैं।
पेंटागन में पेश हुई रिपोर्ट
पेंटागन में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच वार्ता में न्यूनतम प्रगति हुई है, क्योंकि दोनों पक्ष सीमा पर अपने-अपने स्थान से हटने का विरोध करते हैं। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की झड़प के बाद से पीएलए ने लगातार सैन्य बलों की उपस्थिति बनाए रखी है और एलएसी के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की गलवान घाटी की घटना पिछले 46 वर्षों में दोनों देशों के बीच संघर्ष की सबसे घातक घटना थी। चीन ने इससे पहले भारत के साथ उसके सीमा विवाद पर बयान देने के लिए अमेरिका की आलोचना की थी। भारत लगातार यह कहता रहा है कि एलएसी पर अमन-चैन विकास के लिए महत्वपूर्ण है।