बाल्टीमोर, 11 जनवरी (एजेंसी)
एक मरीज का जीवन बचाने के अंतिम प्रयास के तहत अमेरिकी चिकित्सकों ने उसमें ‘जेनेटिकली मॉडीफाइड’ सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया, जो चिकित्सा जगत में पहली बार किया गया प्रयोग है। मैरीलैंड के एक अस्पताल ने सोमवार को बताया कि अत्यधिक प्रयोगात्मक इस सर्जरी के 3 दिन बाद भी मरीज की तबीयत ठीक है। हालांकि, ऑपरेशन की सफलता के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन जीवनरक्षक प्रतिरोपणों में किसी जानवर के अंग का इस्तेमाल करने को लेकर जारी दशकों पुराने अनुसंधान की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर’ के चिकित्सकों ने कहा कि यह प्रतिरोपण दर्शाता है कि जेनेटिक (अानुवांशिक) बदलाव के साथ जानवर का दिल तत्काल अस्वीकृति के लक्षण दिखाए बिना मानव शरीर में काम कर सकता है। मरीज डेविड बेनेट (57) के बेटे ने बताया कि डेविड को पता था कि इस प्रयोग के सफल होने की कोई गारंटी नहीं, लेकिन वह मरणासन्न अवस्था में थे, वह सामान्य प्रतिरोपण के योग्य नहीं थे और उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर’ के एक बयान के अनुसार ऑपरेशन से एक दिन पहले बेनेट ने कहा, ‘यह प्रतिरोपण मेरे लिए करो या मरो की स्थिति है। मैं जीना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि यह अंधेरे में तीर चलाने के समान है, लेकिन मेरे पास यही अंतिम विकल्प है।’ बेनेट सोमवार को स्वयं सांस ले पा रहे थे, लेकिन वह अब भी हृदय और फेफड़ों संबंधी मशीनों की मदद ले रहे हैं। उनके स्वास्थ्य के लिहाज से आगामी कुछ दिन अहम होंगे। मैरीलैंड यूनीवर्सिटी के पशुओं-से-मानवों में प्रतिरोपण कार्यक्रम के वैज्ञानिक निदेशक डॉ. मोहम्मद मोहिउद्दीन ने कहा, ‘अगर यह ऑपरेशन सफल रहता है, तो पीड़ित मरीजों के लिए इन अंगों की अंतहीन आपूर्ति होगी।’
जीन्स में किया बदलाव
इससे पहले इस प्रकार के प्रतिरोपण की कोशिशें नाकाम रही हैं और इनका मुख्य कारण यह रहा कि अानुवांशिक अंतर के कारण इंसानी शरीरों ने जानवरों के अंगों को स्वीकार नहीं किया। वैज्ञानिकों ने संभावित नुकसानदेह जीन्स को हटाकर व उनमें बदलाव करके इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया है। बेनेट के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया दिल, जिस सूअर से लिया गया, उसके 3 जीन्स को हटाया गया था, जबकि 6 इंसानी जीन्स डाले गये थे। इसके अलावा, सूअर के दिल के आकार की ज्यादा वृद्धि रोकने के लिए भी एक जीन हटाया गया। इन आनुवांशिक बदलावों के अलावा बेनेट को किनिक्सा फार्मा कंपनी द्वारा विकसित एक प्रयोगात्मक ‘एंटी-रिजेक्शन’ दवा भी दी गयी।