काठमांडू, 22 मई (एजेंसी)
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार आधी रात को संसद भंग कर दी और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की। इससे पहले उन्होंने माना कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और विपक्षी गठबंधन, दोनों सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं। भंडारी की इस घोषणा से पहले प्रधानमंत्री ओली ने आधी रात को मंत्रिमंडल की आपात बैठक के बाद 275 सदस्यीय सदन को भंग करने की सिफारिश की थी। मंत्रिमंडल ने पहले चरण का चुनाव 12 नवंबर और दूसरे चरण का चुनाव 19 नवंबर को कराने की सिफारिश भी की थी।
इससे पहले राष्ट्रपति कार्यालय के एक नोटिस में कहा गया था कि वह न तो पदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और न ही नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को नियुक्त कर सकता है। दोनों ने ही सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन होने का दावा किया था। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को नयी सरकार बनाने के लिए संसद में कम से कम 136 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है। नेपाल के राजनीतिक संकट में शुक्रवार को उस वक्त नाटकीय मोड़ आ गया जब प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी दल, दोनों ने ही राष्ट्रपति को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रधानमंत्री ओली विपक्षी दलों के नेताओं से कुछ मिनट पहले राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे और अपनी सूची सौंपी। खास बात यह कि कुछ सांसदों के नाम दोनों की सूची में थे।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी बहाल : यह दूसरी बार है जब राष्ट्रपति भंडारी ने राजनीतिक संकट के बाद प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर संसद भंग की है। पिछले साल 20 दिसंबर को भी भंडारी ने संसद भंग की थी, लेकिन फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बहाल कर दिया था।
ओली और भंडारी की आलोचना
मध्यावधि चुनाव की घोषणा होने के तुरंत बाद बड़े राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री ओली और राष्ट्रपति भंडारी की आलोचना की। नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता विश्व प्रकाश शर्मा ने कहा, ‘लोग महामारी से लड़ रहे हैं और यह लोगों को तोहफा है? प्रधानमंत्री तानाशाही के अपने काल्पनिक रास्ते पर चल रहे हैं। सामूहिक रूप से संविधान का शोषण महंगा साबित होगा।’ माओइस्ट सेंटर के नेता वर्षा मान पुन ने कहा, ‘यह आधी रात को हुई लूट है। ज्ञानेंद्र शाह ऐसे कदमों के लिए शुक्रवार और आधी रात को चुनते थे। केपी ओली उन लोगों के लिए कठपुतली हैं जो हमारे संविधान को पसंद नहीं करते और यह लोकतंत्र तथा हमारे संविधान पर हमला है।’ वरिष्ठ नेपाली कांग्रेस नेता शेखर कोइराला ने इस कदम को असंवैधानिक बताया।
कानूनी कार्रवाई का सहारा लेगा विपक्ष : नेपाल में विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के फैसले को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार देते हुए उसके खिलाफ राजनीतिक एवं कानूनी कार्रवाई का सहारा लेने की घोषणा की। विपक्ष ने राष्ट्रपति भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर लाभ के लिए संविधान का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया। विपक्षी गठबंधन ने राजनीतिक संकट पर बुलाई गई बैठक के बाद संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि वर्षों के राजनीतिक संघर्ष के बाद नेपाली नागरिकों को प्राप्त हुए संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने को लेकर विपक्ष पूरी तरह एकजुट और प्रतिबद्ध है। विपक्षी गठबंधन राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ रविवार को उच्चतम न्यायालय जाने की रणनीति तैयार कर रहा है।