वाशिंगटन (एजेंसी) : फेसबुक ने कहा है कि चीन में बनाए गये कुछ फर्जी अकाउंटों और पेजों के नेटवर्क को कंपनी ने खत्म कर दिया है। ये पेज अमेरिका और अन्य देशों में राजनीतिक गतिविधियों को प्रभावित करने पर केंद्रित थे। अमेरिका केंद्रित पेजों पर लगभग न के बराबर फॉलोइंग थी। उनका मुख्य केंद्र फिलीपीन समेत दक्षिणपूर्वी एशिया था। अमेरिका में इन अकाउंटों पर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के समर्थन और विरोध में पोस्ट डाली गई थीं। फेसबुक सीधे तौर इस नेटवर्क को चीनी सरकार के साथ नहीं जोड़ रहा है। हालांकि उसने कहा कि इस नेटवर्क के पीछे के लोगों ने अपनी पहचान और स्थान को निजी नेटवर्कों व अन्य तरीकों से छुपाने की कोशिश की। अमेरिकी की खुफिया एजेंसी एफबीआई और गृह सुरक्षा विभाग की साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने चुनाव में हस्तक्षेप से जुड़ी चिंताओं के संबंध में बृहस्पतिवार को चेतावनी जारी की थी।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।