वाशिंगटन, 19 मार्च (एजेंसी) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष शी चिनपिंग को वीडियो कॉल कर बताया कि अगर चीन यूक्रेनी शहरों पर भीषण हमले कर रहे रूस को मदद मुहैया कराता है, तो इसके क्या निहितार्थ और नतीजे हो सकते हैं। व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक, दोनों नेताओं में वीडियो कॉल पर लगभग 2 घंटे तक हुई बातचीत के दौरान यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान पर केंद्रित थी। बाइडेन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने सहित उन उपायों के बारे में बताया, जिनका मकसद हमले रोकना और उनका जवाब देना है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि लगभग दो घंटे लंबी बातचीत का अधिकांश हिस्सा यूक्रेन संकट पर अमेरिका, उसके सहयोगियों और भागीदारों के विचारों को रेखांकित करने में बीता। साकी के कहा कि बाइडेन ने चिनपिंग को बताया कि ‘हम यहां कैसे पहुंचे, हमने क्या कदम उठाए, हम क्यों इस हद तक गए।’ बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया कि बातचीत एकदम स्पष्ट थी। अधिकारी के मुताबिक बाइडेन ने चिनपिंग को पुतिन के कदमों को लेकर अमेरिकी आकलन से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि बाइडेन ने चीनी राष्ट्रपति को विस्तार से बताया कि कैसे स्थितियां इस पड़ाव तक पहुंचीं और मौजूदा हालत को लेकर उनका क्या आकलन है। बाइडेन ने संकट के राजनयिक समाधान के प्रति अपना समर्थन भी जताया। अधिकारी के कहा कि बाइडेन ने यूक्रेन को लेकर अमेरिका और उसके सहयोगियों व भागीदारों की एकजुटता का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बाइडेन ने अमेरिका और इसके यूरोपीय, नाटो और हिंद-प्रशांत भागीदारों के बीच अभूतपूर्व समन्वय तथा रूसी आक्रमण की वैश्विक निंदा का भी जिक्र किया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।