दो अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में चर्चित व्यक्ति के अंतर्गत ‘नंदीग्राम रणभूमि में नये सारथी शुभेंदु’ के बारे में लेख कुछ हद तक सही है। लेकिन मीडिया के एक वर्ग ने उनको रातोंरात बंगाल की राजनीति का महानायक बना दिया है। तृणमूल कांग्रेस में उनकी गिनती कोई विशेष नहीं होती थी। दिल्ली सरकार और मीडिया को भी आज बंगाल के अतिरिक्त कुछ भी दिखाई नहीं देता। चुनाव तो अन्य चार राज्यों में भी हो रहे हैं, फिर सारा फोकस बंगाल पर क्यों किया जा रहा है! क्या जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी, किसान आंदोलन से भुलाने के लिए इतना कुछ किया जा रहा है।
जगदीश श्योराण, हिसार
सबको लाभ मिले
पंजाब सरकार ने हाल ही में पंजाब की सरकारी बसों में महिलाओं और लड़कियों को मुफ्त सफर का तोहफा दिया है। कुछ लोग इसे पंजाब विधानसभा चुनाव पास आते देख पंजाब सरकार का लॉलीपॉप भी बता रहे होंगे। लेकिन फिर भी सरकार के इस फैसले से गरीब और मध्य वर्गीय परिवारों को बसों के भारी-भरकम किराये से राहत तो जरूर मिलेगी। लेकिन यह उन महिलाओं और लड़कियों के साथ बेइंसाफी है जो दूसरे राज्यों से आकर पंजाब में नौकरी या पढ़ाई कर रही हैं। कैप्टन सरकार को इसका भी कोई हल निकालना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
अन्न का संरक्षण
समर्थन मूल्य पर गेहूं जैसी उपज की सरकारी खरीद जारी है। खबरों के मुताबिक कई केंद्रों पर उपज को सुरक्षित रखने के माकूल इंतजाम नहीं हैं। पिछले वर्ष भी जब सरकारी खरीदी की गई और बेतरतीब मौसम की बेरुखी के चलते पानी गिरने से बेशकीमती गेहूं पानी में भीगने से सड़-गल गया था। ऐसे में सरकार पिछले साल के कटु अनुभव को ध्यान में रखते हुए अभी से उचित उपाय करने चाहिए।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन, म.प्र.