दो अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में राजकुमार सिंह का विचारोत्तेजक लेख ‘राजनीति से अहद-ए-वफा चाहते हो’ पढ़ा। लेख राजनीति की हकीकत को बेनकाब करने वाला था। देखिये, राजनीति किस स्तर तक जा गिरी है कि सत्ता के लिये सारी राजनीतिक मर्यादाएं ताक पर रख दी जाती हैं। न पार्टी के प्रति वफादारी है और न ही जनता के प्रति, जिन्होंने उन्हें चुना है। चुनाव आते ही उछलकूद शुरू हो जाती है। बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं। कुर्सी के लिये सारी नैतिक हदें पार कर दी जाती हैं। पश्चिम बंगाल में तो पाला बदलने की होड़ लगी है। मौजूदा राजनीति की हकीकत बयां करने के लिये धन्यवाद!
मधुसूदन शर्मा, रुड़की
बड़ी कार्रवाई हो
छत्तीसगढ़ के सुकमा तथा बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों से मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के जवानों के बेरहमी से मारे जाने की घटना बहुत ही दुखदायक है। केंद्रीय गृह मंत्री ने अपराधियों को सबक सिखाने का वादा किया है। परंतु क्या समय का इंतजार करना उचित होगा? पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल प्रदीप नाईक ने नक्सलियों की समस्या का अंत करने के बारे में कहा था। लेकिन वायुसेना का प्रयोग नहीं किया जा सका। नक्सलियों के पास ड्रोन गिराने तक के हथियार हैं। लिहाजा हवाई हमले के अतिरिक्त और कोई रास्ता बचा ही नहीं है।
अनिल रा. तोरणे, तलेगांव, महाराष्ट्र
टीके से सुरक्षा
कोरोना संक्रमण के मामलों में आ रही तेजी बेहद चिंताजनक है। केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर समुचित कदम उठा रही हैं, लेकिन महामारी की रोकथाम में हर नागरिक को भी अपना योगदान देना होगा। कुछ लोग टीका लगवाने में हिचकिचा रहे हैं। यह समझना जरूरी है कि टीका ही वायरस से सुरक्षा का टिकाऊ उपाय है।
नितेश मंडवारिया, नीमच, म.प्र.