एक अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘अशोभनीय कृत्य’ से सहमत होते हुए कहना है कि पंजाब में भाजपा नेताओं के साथ दुर्व्यवहार आंदोलन के प्रति लोगों की सहानुभूति को कम कर सकता है। दोषियों को गिरफ्तार न किया जाना सबसे बड़ा सवालिया निशान है। यह काम किसान आंदोलन के लंबा खिंचने के कारण उत्पन्न निराशा तथा कुछ शरारती लोगों का काम भी हो सकता है। ऐसे कृत्यों से आम लोगों की सहानुभूति आंदोलनकारियों के प्रति कम हो सकती है। इसकी किसान नेताओं को निंदा करनी चाहिए और अपने आंदोलन से शरारती लोगों को दूर रखना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
अमानवीय बर्ताव
म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद की गई बर्बरता ने दुनिया को चिंता में डाल दिया गया है। तख्तापलट के बाद प्रदर्शनकारियों पर जिस तरह सेना गोलियों की बौछार कर रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अमेरिका सहित यूरोपीय देश भी म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली का इंतजार कर रहे हैं। वहीं चीन ने म्यांमार की घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उसका म्यांमार में बहुत बड़ा आर्थिक निवेश है और चीन नहीं चाहता कि उसकी पूंजी प्रभावित हो। भारत को म्यांमार की समस्या को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
कांतिलाल मांडोत, सूरत
शिक्षा का संकट
कोरोना की वजह से बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लेना पड़ रहा है। पंजाब में भी कोरोना पाबंदियों को 10 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। शिक्षा संस्थान बंद रखने के फैसले से अभिभावक खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि इसका बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। शहरी बच्चे तो ऑनलाइन शिक्षा से पढ़ पा रहे हैं लेकिन ग्रामीण बच्चों की हालत ठीक नहीं है। शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। ऑनलाइन शिक्षा से अभिभावकों और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
राघव जैन, जालंधर