धोनी जैसा कोई नहीं
हर बड़े खिलाड़ी को संन्यास लेना होता है। यही खेल है। गैर पारंपरिक शैली में कप्तानी और मैच को अंजाम तक ले जाने की कला के साथ महानतम क्रिकेटरों की जमात में खुद को शामिल करने वाले धोनी के इस फैसले के साथ ही क्रिकेट के एक युग का भी अंत हो गया। लोग धोनी के बाद उनके स्थान पर विकेटकीपर के तौर पर किसी अन्य खिलाड़ी को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे। चयनकर्ता भले ही धोनी का कोई विकल्प ढूंढ लें, सच तो ये है कि धोनी की जगह लेना असंभव है। धोनी के बाद भी टीम खेलेगी और जीतेगी भी पर धोनी की कमी हमेशा खलेगी।
दिव्येश चोवटिया, गुजरात
विकल्प नहीं
भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (माही) ने 15 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट छोड़ने का फैसला लेकर फैंस को असमंजस में डाल दिया है। धोनी की सबसे स्थायी विरासत यह है कि उन्होंने आईसीसी ट्रॉफी जीती। उन्होंने पहली बार भारत को टेस्ट रैंकिंग में भी शीर्ष पर पहुंचाया। उनके हेलीकॉप्टर शॉट को भारत के सर्वश्रेष्ठ सीमित ओवर प्रति मैच सबसे अच्छे खिलाड़ी के रूप में याद किया जाएगा। भले ही धोनी का कोई विकल्प ढूंढ लें पर सच तो यह है कि धोनी की जगह लेना बिल्कुल असंभव है। क्रिकेट में उनका प्यार हमेशा याद किया जायेगा।
नेहा, चंडीगढ़
कमी खलेगी
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले महेन्द्र सिंह धोनी भारतीय टीम के लिए एक बेहतर विकेटकीपर और एक बेहतरीन कप्तान साबित हुए। उनके कुशल नेतृत्व में टीम ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में सफलता हासिल की व विश्व विजेता का तमगा हासिल किया। मैच के रोमांच के क्षणों में उनके संयम और कैप्टन कूल की भूमिका को सभी खिलाड़ी हमेशा याद रखेंगे। उनकी कमी भी टीम को जरूर खलेगी लेकिन नए खिलाड़ियों को तराशने में उनके योगदान से हमारी टीम नित नई सफलता की ऊंचाइयों को छूने का प्रयास जरूर करती रहेगी।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद
खेलना चाहिए था
धोनी का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना भारतीय क्रिकेट को बहुत बड़ा झटका है। अभी धोनी को खेलना चाहिए था, ऐसा सभी क्रिकेट प्रेमियों का कहना है। लेकिन धोनी के संन्यास से नये युवा खिलाड़ियों को सीख लेनी चाहिए कि धोनी से और अच्छा करके देश का नाम रोशन करें। भारतीय क्रिकेट में धोनी की कमी को दूर करने के लिए नये युवा खिलाड़ियों को मौका मिलना चाहिए। ऐसे खिलाड़ी के संन्यास लेने से क्रिकेट में एक स्वर्णिम युग समाप्त हुआ है।
सतपाल सिंह, करनाल
अनुभव बांटें
महेंद्र सिंह धोनी ने देश के स्वतंत्रता दिवस वाले दिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया। धोनी के इस फैसले से क्रिकेट प्रेमियों को निराशा हुई। धोनी के बिना भारतीय क्रिकेट में इनकी कमी तो जरूर महसूस होगी। मौजूदा खिलाड़ियों को धोनी की राह पर चलना चाहिए। भारत के जिन दिग्गज खिलाड़ियों ने क्रिकेट में देश को शानदार जीत दिलवा कर टीम का रुतबा बढ़ाया है, उन्हें चाहिए कि वे अपने हुनर का ज्ञान उन युवाओं को देने का प्रयास करें जो क्रिकेट में कुछ करने का जज्बा और जोश रखते हों।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
खिलाड़ियों को सिखाएं
महेंद्र सिंह धोनी निश्चित ही क्रिकेट जगत के ऐसे कप्तान रहे हैं, जिन्होंने सफलता की ऊंचाइयों को छूकर टीम को टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन बनाया है। यह हम सभी के लिए ख़ुशी की बात है। इनसे पूर्व कपिल देव और सचिन तेंदुलकर जैसे कप्तानों ने भी क्रिकेट में अच्छी ख्याति प्राप्त की है। अब धोनी जैसे कप्तान नये खिलाड़ियों का नेतृत्व कर और भी अधिक उपयोगी हो सकते हैं। धोनी की तरह देश में अनेक प्रतिभाएं इस क्षेत्र में और भी मिल सकती हैं, जिन्हें सही से तराशने की जरूरत है। इसलिए इन्हें सही से तलाश कर और प्रशिक्षित कर सही दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है।
वेद मामूरपुर, नरेला
स्वर्णिम सफलता
भारतीय क्रिकेट का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, उसमें कई नामी खिलाड़ियों का ज़िक्र होगा लेकिन जिस एक खिलाड़ी का ज़िक्र सुनहरे अक्षरों में होगा वो नाम सिर्फ महेन्द्र सिंह धोनी का होगा। सफल कप्तान, सर्वश्रेष्ठ फिनिशर, विध्वंसक बल्लेबाज़, शांत खिलाड़ी, उनके बारे में जितना लिखो, उतना कम है। घर में ही नहीं, विदेश में भी धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने नित नए शिखर छुए हैं। फैसला क्रिकेट के मैदान का हो या फिर जिंदगी का, धोनी के हर फैसले को दुनिया ने सराहा। जहां तक उनके संन्यास लेने का सवाल है तो उसे उचित ही कहा जाना चाहिए।
प्रदीप कुमार दुबे, देवास, म.प्र.