केंद्र सरकार के नये कृषि विधेयकों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को अब सौ दिन से ऊपर हो गए हैं। किसान कृषि बिल को रद्द कराने के लिए कभी भारत बंद, कभी ट्रेनों के पहिए रोक चुके हैं तो कभी हाइवे बंद कर चुके हैं। अब तो आंदोलन को और मजबूत करने के लिए अपनी फसल को नष्ट करने की बात कर रहे हैं। किसानों को सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करने के लिए अपनी फसल को नष्ट नहीं करना चाहिए। बेहतर होगा तैयार फसल को गरीबों में बांट दिया जाये ताकि फसल को तैयार करने के लिए की गई मेहनत बेकार न जाए। सरकार भी नरम रुख अपनाये।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
कोर्ट करे फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को लेकर राज्यों की राय पूछी है। सत्य जानने का यह प्रजातांत्रिक तरीका है लेकिन देश में हर पार्टी वोट की राजनीति कर रही है। हर पार्टी का मकसद होता है कि मतदाताओं को किसी भी तरह आरक्षण या अन्य सुविधाओं का लालच देकर मत प्राप्त किए जाएं। लिहाजा आरक्षण कब तक और किसको कितना हो, के सवाल वोटों की बिसात पर चलने वाली सरकारों से पूछना वाजिब नहीं होगा। संविधान ने अदालतों को स्वतंत्र संस्था बनाया है।
पूनम कश्यप, बहादुरगढ़
राजनीति के रंग
कहना कठिन है कि ममता बनर्जी पर हमला एक साजिश है या आगामी चुनावों के लिए जनता की सहानुभूति बटोरने की रणनीति। इन सबसे भी बड़ा सवाल ये है कि अगर जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद सुरक्षा कर्मियों को बेवकूफ बनाकर मुख्यमंत्री पर हमला हो सकता है तो आम जनता राज्य में अपनी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करे। क्या बंगाल में ममता बनर्जी का सुरक्षा घेरा इतना कमजोर है कि मुख्यमंत्री पर हमला हो जाता है और किसी को खबर भी नहीं लगती।
नंदनी जांगिड़, पंचकूला