नयी दिल्ली, 12 अगस्त (एजेंसी)सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों, बीमा, डाकघर कोष आदि के बारे में सूचना उपलब्ध कराने वाला एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और अन्य से जवाब मांगा। जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने पत्रकार सुचेता दलाल द्वारा दायर एक याचिका पर वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा अन्य को नोटिस जारी किए। सुचेता की ओर से शीर्ष न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए। याचिका के जरिए कानूनी उत्तराधिकारी की हैसियत से बैंक जमा, बीमा, डाकघर कोष आदि के संबंध में किए जाने वाले दावों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया बनाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है, ताकि इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी को समाप्त किया जा सके। याचिका में कहा गया है कि आरबीआई के नियंत्रण में एक केंद्रीकृत ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है। यह मृतक खाताधारक के बारे में सूचना उपलब्ध कराएगा, जिसमें नाम, पता और मृतक खाता धारक द्वारा किया गया अंतिम लेनदेन का विवरण शामिल होगा।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।