हल्द्वानी, 17 अगस्त (एजेंसी)
वर्ष 1984 में जनवरी के महीने में वह घर आए थे। फिर जल्दी आने का वादा कर देश के प्रति अपनी ड्यूटी निभाने चले गए। आज 38 साल बाद लौटे भी तो तिरंगे में लिपटकर। ये बातें कहीं लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति देवी ने। नम आंखों से पति के पार्थिव शरीर को सैल्यूट करते हुए शांति देवी ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि मेरे पति ने देश के प्रति अपने फर्ज को प्राथमिकता दी।’
बुधवार को हर्बोला का पार्थिव शरीर उत्तराखंड के हल्द्वानी लाया गया और उनकी दो बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, हर्बोला 1975 में सेना में भर्ती हुए थे और 1984 में भारत-पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए टकराव के दौरान भारतीय सेना की कार्रवाई को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ नाम दिया गया और इसके तहत सियाचिन में गश्त के लिए हर्बोला समेत 20 सैनिकों को भेजा गया था। इसी दौरान, सभी सैनिक एक बर्फीले तूफान के बीच ग्लेशियर की चपेट में आ गए।
बाद में 15 जवानों के शव मिल गए, लेकिन हर्बोला समेत अन्य के शव नहीं मिल पाए थे। चंद्रशेखर हर्बोला का शव 38 साल बाद अब मिला। मूल रूप से अल्मोडा के द्वाराहाट के रहने वाले हर्बोला के लापता होने के बाद से उनकी पत्नी शांति देवी यहां हल्द्वानी में रहने लगीं। उल्लेखनीय है कि 29 मई, 1984 को दुनिया की सबसे ऊंची और बर्फीली युद्धभूमि सियाचिन में भारत-पाकिस्तान के बीच झड़प के दौरान बर्फीले तूफान की चपेट में आकर हर्बोला लापता हो गए थे। बताया गया कि लांस नायक हर्बोला का शव हाल में सियाचिन के एक पुराने बंकर से मिला जिसकी जानकारी कुमाऊ रेजिमेंट, रानीखेत के सैनिक ‘ग्रुप केंद्र’ की ओर से 14 अगस्त को उनके परिजनों को दी गयी थी।
सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
सियाचिन में 38 साल पहले मारे गए 19 कुमाऊं रेजीमेंट के लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला का बुधवार को यहां उनके गमगीन परिजनों और स्थानीय लोगों की भीड़ की मौजूदगी में पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले, हर्बोला के पार्थिव शरीर को यहां के सरस्वती विहार डडरिया स्थित उनके आवास पर लाया गया, जहां पद्रेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत अनेक गणमान्य तथा स्थानीय लोगों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के लिए बलिदान देने वाले उत्तराखंड के सैनिकों की स्मृति में सैन्यधाम की स्थापना की जा रही है और शहीद चंद्रशेखर की स्मृतियों को भी वहां संजोया जाएगा। घर से हर्बोला के शव को देशभक्ति के नारों और सेना बैंड की धुन के बीच चित्रशीला घाट रानीबाग ले जाया गया, जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।