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रजिस्ट्री, न वाहन रजिस्ट्रेशन, रोज 200 करोड़ से ज्यादा की चपत

हरियाणा में 15 दिन से क्लर्कों की हड़ताल, कामकाज ठप

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हिसार में सोमवार को धरने पर बैठे लिपिक। -हप्र
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चंडीगढ़, 17 जुलाई (टि्रन्यू)
पिछले 15 दिन से चल रही क्लर्कों की हड़ताल ने हरियाणा को बुरी तरह से प्रभावित किया है। जिलों के अधिकांश विभागों व बोर्ड-निगमों में कामकाज लगभग ठप है। एक अनुमान के अनुसार, रोजाना 200 करोड़ से अधिक के राजस्व की चपत प्रदेश सरकार को लग रही है। सबसे अधिक प्रभाव तहसीलों और गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी में है।
हड़ताल में क्लर्कों के अलावा बड़ी संख्या में सहायक (असिस्टेंट), डिप्टी सुपरिंटेंडेंट (उपाधीक्षक) और अधीक्षक (सुपरिंटेंडेंट) भी शामिल हैं। बड़ी बात यह है कि हड़ताल में शामिल कर्मचारी बाढ़ प्रभावित एरिया में इमरजेंसी ड्यूटी तो करते हैं, लेकिन हाजिरी नहीं लगाते।
क्लर्कों की इस हड़ताल को देखते हुए पिछले सप्ताह सीएम के ओएसडी जवाहर यादव क्लर्क एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल के साथ चंडीगढ़ में बैठक भी कर चुके हैं, लेकिन वे इसका समाधान नहीं निकाल सके। एसोसिएशन की मांग है कि उनकी मुख्यमंत्री के साथ बैठक तय करवाई जाए।
वर्तमान में क्लर्कों का बेसिक-वे 19,900 है और वे इसे बढ़ाकर 35,400 रुपये करने की मांग कर रहे हैं। अगर क्लर्कों की बेसिक-पे बढ़ती है तो उसी हिसाब से सहायकों, उपाधीक्षकों और अधीक्षकों की बेसिक-पे तय की जाएगी। यही कारण हैं कि इन तीनों कैटेगरी के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हैं।
हड़ताल की वजह से तहसीलों में रजिस्ट्री और जमीनों से जुड़े तमाम काम ठप हैं। गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के लिए भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं विपक्षी दलों को भी इस हड़ताल के बहाने सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा कह चुके हैं कि मौजूदा सरकार पूर्व की सरकार में किए फैसलों को लागू करने की बजाय उन्हें रद्द कर  रही है।
सभी जिलों में चल रहे धरने

क्लर्कों, सहायकों, उपाधीक्षकों व अधीक्षकों द्वारा जिला मुख्यालयों पर लघु सचिवालयों में धरने दिए जा रहे हैं। वहीं पंचकूला के सेक्टर-5 स्थित ग्राउंड में प्रदेश स्तर का धरना चल रहा है। क्लर्कों ने अपनी हड़ताल 5 जुलाई से शुरू की थी जो अभी तक जारी है। नागरिक सेवाएं इस हड़ताल की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।

लिपिक स्टॉफ पिछले करीब 3 वर्षों से आंदोलनरत है। सरकार की ओर से जब कोई निर्णय नहीं लिया गया तो मजबूरी में हड़ताल करनी पड़ी।  बेसिक-पे में बढ़ोतरी होने तक हम पीछे नहीं हटेंगे। इमरजेंसी कार्यों में हर सेवा देने को तैयार हंै। बशर्ते, इस दौरान भी हम गैर-हाजिर ही रहेंगे।
-विक्रांत तंवर, क्लर्क एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष
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