राकेश कोछड़
पिछले कुछ समय से जिम में व्यायाम करते वक्त या फौरन बाद युवा और अधेड़ों की मृत्यु की कई खबरें मिली हैं। किसी मशहूर हस्ती, खासकर फिटनेस के शौकीन, की अचानक मौत होने की घटना सामने आने से आमजन के मन में डर बैठ जाता है। असल में, कसरत वजन कम करने, फिट रहने, बीमारियों से बचाव, खेलों में स्टेमिना बढ़ाने या फिर शारीरिक सौष्ठव के लिए की जाती है। लेकिन जो रोजाना वर्जिश बीमारी से बचा सकती है, वही अचानक मौत का कारक भी बन सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसका पूर्वानुमान लग सकता है। यह भी कि व्यायाम करने की उचित सीमा क्या होनी चाहिए?
मौतों की वजह
कसरत के दौरान या फौरन बाद हुए हृदयाघात वाली मौतों के पीछे ज्यादातर वजह दिल को जितनी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उसकी आपूर्ति और मांग में फर्क होना है। मृत्यु के कारणों में व्यक्ति में बिना लक्षणों वाली एथरोस्कलेरोटिक कोरोनरी आर्टरी डिसीज़, हार्ट मसल्स डिसीज़ जैसे कि कार्डियोमायोपैथीस और कंडक्शन डिफेक्ट आदि हो सकता है।
एरोबिक और एनारोबिक
व्यायाम दो किस्म के होते हैं-एरोबिक और एनारोबिक। एरोबिक या कार्डियो व्यायाम में हम ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं और इसमें व्यायाम अवधि में हल्की-मध्यम-भारी वर्जिश की आवर्ती बनाई जाती है। उदाहरणार्थ, पहले पैदल चलना और फिर साइकिल चलाना या स्विमिंग या जॉगिंग करना या फिर टेनिस ओर बास्केटबॉल जैसे तीव्र खेल खेलना। एरोबिक व्यायाम दिल को मजबूती देने, स्टेमिना बनाने, कॉलेस्ट्रोल व ब्लड प्रेशर कम करने और मधुमेह का जोखिम कम करने में मददगार होते हैं। उधर, एनारोबिक वर्जिश में व्यायाम के छोटी अवधि के किंतु अति-तीव्र चरण होते है, जैसे कि वेट लिफ्टिंग और कम दूरी की तेज़ दौड़, यह शारीरिक गतिविधि मसल्स में संचित ऊर्जा का इस्तेमाल करती है। रोधक-व्यायाम जैसे वेटलिफ्टिंग भी हड्डियों की सघनता और आकार बढ़ाने में मददगार हैं।
रोजाना कितने कदम
सबसे साधारण व्यायाम है पैदल चलना। पैदल चलने से न केवल भार कम होता है बल्कि पूरे शरीर का भला होता है। लेकिन 2000 से 10000 कदम प्रतिदिन चलने से कार्डियोवैस्कुलर संबंधी हृदयाघात की संभावना 10 फीसदी कम हो जाती है। इसमें 2000 कदम और जोड़ देने से ब्लड शूगर के स्तर में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति 25 फीसदी तक कम हो जाती है। कोई इंसान अगर रोजाना 10000 कदम चलने लगे तो अगले दस सालों में मौत का जोखिम लगभग आधा रह जाएगा।
क्षमता की कसौटी
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि व्यक्ति को एक हफ्ते में मध्यम दर्जे की 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने के अलावा दो-तीन सत्र वेट लिफ्टिंग जैसी मध्यम भारी वर्जिश के रखने चाहिए। मध्यम से तीव्र स्तर की करसत करने के दौरान यदि आप तीन-चार वाक्य बिना सांस फूले बोल सकते हैं तो समझिये कि आप उस व्यायाम की तीव्रता को संभालने लायक हैं। कसरत करते वक्त दिल की धड़कन आपकी अधिकतम हृदय चाप सीमा के 50-70 फीसदी के बीच बनी रहनी चाहिए। इस फार्मूले के अनुसार, एक 50 वर्षीय व्यक्ति की अधिकतम वर्जिश दिल धड़कन 170 बनती है, मध्यम तीव्रता के व्यायाम करते वक्त में ऊपरी सीमा 120 के आसपास बनी रहे तो अच्छा है।
सुरक्षित माहौल
अमेरिका का एक अध्ययन बताता है कि सियाटल क्षेत्र में हृदयाघात से अचानक मौतों की 16 फीसदी घटनाएं व्यायामशालाओं में हुईं। इनमें आधे से अधिक बच गए क्योंकि वे किसी सतत निगरानी वाले स्तरीय जिम में वर्जिश कर रहे थे लेकिन जिनको दिल का दौरा मॉल्स जैसी सार्वजनिक जगहों में आया उनमें एक तिहाई ही बच पाये। जिम में प्रशिक्षित स्टाफ और हृदयाघात रोधी उपकरणों का होना जरूरी है।
शारीरिक परीक्षण
फिटनेस के शौकीनों के लिए जरूरी है वह सघन वर्जिश की शुरुआत करने से पहले अपना शारीरिक परीक्षण करवा लें। खासकर 40 साल से ऊपर वालों के लिए यह आदर्श स्थिति होगी। पेशेवर खिलाड़ी भी दिल की जांच करवाएं। यदि परिवार का इतिहास दिल के रोगों वाला हो तो डॉक्टर के ध्यान में लाएं। वहीं सिक्स-पैक्स बनाने के चाहवान भी खास सावधानी बरतें। बहुत बार चेतावनी के लक्षण महसूस होने लगते हैं, मसलन सांस फूलना, धड़कन तेज़ होना, छाती में दर्द या थकावट, इन्हें नज़रअंदाज नहीं करें। व्यायाम शेड्यूल किसी विशेषज्ञ की देखरेख में बननी चाहिए और किसी इंसान की वहनशक्ति की सीमा से बाहर न हो। वहीं जब कोशिश वजन कम करने की खातिर हो तो बेहतर तरीका है कि खुराक कुछ कम करें और शरीर की हिलजुल भी बढ़ाएं।
सप्लीमेंट्स का जोखिम
फिटनेस के बहुत से शौकीन भार कम करने या बढ़ाने के लिए प्रोटीन और पौष्टिकता वर्धक सप्लीमेंटस का प्रयोग करते हैं। भार घटाने वाले कुछ सप्लीमेंट्स में साइब्यूट्रामाइन दवा होती है जो हृदयाघात का जोखिम बढ़ा देती है। मसल्स बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स में कुछ में एनाबॉलिक स्टीरॉयड होते हैं, इसको खिलाड़ियों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर और मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन व्याधि पैदा करने से जोड़ा जाता है। स्वस्थ रहने व वजन घटाने के लिए व्यायाम की जरूरत है वहीं व्यायाम के दौरान अनहोनी से बचने के लिए शुरुआत आहिस्ता-आहिस्ता करें व अपनी क्षमता को ध्यान में रखें।
लेखक इंडियन सोसाइटी ऑफ गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी के पूर्व अध्यक्ष हैं।