चेन्नई, 13 अगस्त (एजेंसी) मद्रास हाईकोर्ट ने कोयंबटूर स्थित ईशा फॉउंडेशन के पक्ष में दिए गए मध्यस्थ अधिकरण के फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें बीएसएनएल के ढाई करोड़ रुपये के बिल के लिए संस्था को 44 हजार रुपये का भुगतान करने को कहा गया था। इसके साथ ही अदालत ने भारत संचार निगम लिमिटेड को पुनः मध्यस्थता की कार्यवाही में शामिल होने को कहा है। बीएसएनएल ने दिसंबर 2018 और जनवरी 2019 के दो बिल में ईशा को करीब 2.50 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था, जिसके विरुद्ध संस्था ने अदालत का रुख किया था। मध्यस्थ अधिकरण ने बाद में निष्कर्ष निकाला कि ईशा को दोनों माह के लिए 22-22 हजार रुपये देने होंगे। जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति ने कहा, ‘मध्यस्थ अधिकरण का निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण है, इसलिए ब्याज सहित 44 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश देना गलत है।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।