कोझीकोड (केरल), 17 अगस्त (एजेंसी) केरल में जिला सत्र अदालत ने एक मामले में कहा कि जब एक महिला ने ‘यौन भावनाएं भड़काने वाली ड्रेस’ पहन रखी थी, तो प्रथम दृष्टया यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता। उसकी इस टिप्पणी को लेकर विवाद पैदा हो गया है और राज्य महिला आयोग ने इसकी कड़ी निंदा की है।
अदालत ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में पिछले हफ्ते 74 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सिविक चंद्रन को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की थी। कोझीकोड सत्र अदालत ने 12 अगस्त के अपने आदेश में कहा था कि जमानत अर्जी के साथ आरोपी द्वारा पेश की गई शिकायतकर्ता की तस्वीर यह स्पष्ट कर रही थी कि वह खुद ऐसी पोशाक पहने हुए है, जो कुछ यौन भावनाएं भड़काने वाली है। साथ ही, अदालत ने कहा कि यह विश्वास करना असंभव है कि 74 वर्षीय एवं दिव्यांग व्यक्ति ने शिकायतकर्ता को जबरन अपनी गोद में बिठाया तथा उसका यौन उत्पीड़न किया।
अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) लगाने के लिए शारीरिक संपर्क, यौन संबंध की मांग या आग्रह और अश्लील टिप्पणी होनी चाहिए।
अदालत की टिप्पणी पर चिंता जाहिर करते हुए केरल महिला आयोग की अध्यक्ष पी सतीदेवी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने और मुकदमा चलने से पहले ही इस तरह की टिप्पणी कर अदालत ने शिकायतकर्ता के आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में एक बहुत गलत संदेश देता है।’
चंद्रन यौन उत्पीड़न के दो मामलों में आरोपी है। एक मामला, अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाली एक लेखिका ने अप्रैल में एक पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान कथित यौन उत्पीड़न किये जाने को लेकर दर्ज कराया था। वहीं, दूसरा मामला एक युवा लेखिका ने फरवरी 2020 में शहर में एक पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान कथित यौन उत्पीड़न किये जाने को लेकर दर्ज कराया था। पुलिस ने चंद्रन के खिलाफ मामले दर्ज किये थे, लेकिन आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी, क्योंकि प्रथम मामला दर्ज होने के बाद से वह फरार था। चंद्रन को पहले मामले में दो अगस्त को अग्रिम जमानत मिली थी।