राखी का त्योहार अनोखा जो, भाई-बहन का बढ़ाए प्यार।
कच्चे धागे से पक्का होता, रिश्तों का यह अद्भुत संसार।
बहनों की आंखों में बसती है, भाई के लिए खुशियां अपार।
उसकी रक्षा का देता है नित, भैया निज वचनों का उपहार।
मोल नहीं इस रिश्ते का कोई, जोड़े हरदम आपस के तार।
त्योहार पावन यही जग में जो, राखी से करता है शृंगार।
-गोविन्द भारद्वाज
रक्षाबंधन
प्रेम भरी इक डोरी न्यारी।
रीत बनी है कितनी प्यारी।
युगों-युगों से चलती आए-
इसे निभाए दुनिया सारी।।
पर्व निराला रक्षाबंधन।
बहना करती भाई-वंदन।
भाई होता फिर संकल्पी-
होता रिश्ते का अभिनंदन।।
खिल जाता दोनों का तन-मन।
कच्चे धागों से हो पावन ।
दुआ करें इक-दूजे की खातिर-
बरस उठे भावों का सावन।।
– सत्यवीर नाहड़िया
निश्छल प्यार है राखी…
भाई-बहन का निश्छल प्यार है राखी, भागीरथी की निर्मल सी धार है राखी
सावन में राह निहारे आयेगा मेरा भैया, ससुराल में पीहर का ख़ुमार है राखी
संजोकर रखी हमने अमूल्य समझकर, संस्कृति का अनुपम त्योहार है राखी
केवल कलाई की शोभा ना समझना, देश-धर्म की रक्षा का विचार है राखी
बहन-बेटियों पर बुरी ऩज़र जो रखते, उन ज़ालिमों के लिए तलवार है राखी
– व्यग्र पाण्डे
जुग-जुग जीवे मेरा भाई
रक्षाबंधन के दिन बहना, थाल सजा कर लायी, बोली राजा भैया अपनी
आगे करो कलाई। लायी हूं सुन्दर सी राखी, लो भैया बंधवा लो, मैंने बनायी खास मिठाई, लो थोड़ी सी खा लो। भैया ने राखी बंधवाई, बड़े मज़े से खायी मिठाई। हो प्रसन्नचित्त बहना बोली, जुग-जुग जीवे मेरा भाई।
-वसीम अहमद नगरामी
उठ मेरे भाई
उठ उठ उठ! उठ मेरे भाई
जल्दी आगे करो कलाई
राखी बांधने तुझे मैं आई
उठ उठ उठ! उठ मेरे भाई ।
सारी रात तू फोन चलाता,
फिर सुबह उठा नहीं जाता।
मुंह खोलो खाओ मिठाई
उठ उठ उठ! उठ मेरे भाई।
वैसे तो हम खूब हैं लड़ते
पर प्यार भी खूब हैं करते
देख मैं चॉकलेट लाई
उठ उठ उठ! उठ मेरे भाई।
– राकेश कुमार