सोनीपत, 24 अगस्त (हप्र)
विश्व कुश्ती की सर्वोच्च संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू से भारत कुश्ती संघ के निलंबन के बाद पहलवानों में निराशा है। विश्व कुश्ती ओलंपिक मेडलिस्ट पहलवान बजरंग पूनिया ने बताया कि अपने देश के ध्वज के नीचे ही नहीं खेल सकेंगे तो खेलना या न खेलना बराबर ही है। यह बेहद निराशाजनक है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कुश्ती की छवि धूमिल हुई है। पहलवानों की तैयारियों को भी धक्का पहुंचेगा। तिरंगे को लहरा नहीं पाएंगे। भारतीय किट तक नहीं पहन सकेंगे। मेडल की गिनती भारतीयों में नहीं होगी, तो समझा जा सकता है, हालात कितने गंभीर हो गए हैं। ऐसा लगेगा कि किसी स्थानीय प्रतियोगिता में जा रहे हैं। जिसके परिणाम कुश्ती के लिए सकारात्मक नहीं होंगे।
राजनीति की भेंट चढ़ गए पहलवानों के हित
मुंबई के एक अस्पताल में उपाचाराधीन अंतर्राष्ट्रीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने दैनिक ट्रिब्यून से फोन पर बातचीत में कहा कि इससे दु:खद क्या हो सकता है कि अगर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में में भारतीय पहलवान पदक जीतते तो उनके पदक को भारत का पदक ही नहीं माना जाएगा। खिलाड़ी अपने तिरंगे के नीचे भी नहीं खेल पाएंगे। पहलवानों के लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण समय होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को निर्धारित समय में चुनाव करवाने चाहिए थे, लेकिन चुनाव को लटकाया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि अब भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया गया है। विनेश ने कहा कि पहलवानों के हित राजनीति की भेंट चढ़ गए।
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि पहलवानों का मनोबल टूटेगा। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। संभावना है कि भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव होने तक यूडब्ल्यूडब्ल्यू के प्रतिनिधि की देखरेख में आगे की गतिविधियां चलेंगी।