सरस्वती रमेश
यदि जीवन एक यात्रा है तो कविता इस यात्रा के दौरान मिले अनुभवों की बानगी। अहसास-दर-अहसास कविता जन्म लेती है। फिर कवि उन अहसासों में अपनी कल्पनाओं के धागे जोड़ कविता बुनता है। कल्पनाओं और यथार्थ के ऐसे ही धागों से जुड़ी कविताओं का संग्रह है ‘कठिन समय में हम’।
जाने-माने कवि अशोक भाटिया के इस संग्रह की कविताएं प्रेम, इंसानियत, जीवन-मरण और सामाजिक चेतना से ओतप्रोत हैं। अधिकतर कविताओं का स्वर नर्म है। भावनाओं की गर्माहट से भरा। वह किसी कटु बात को भी पूरी संजीदगी और संवेदना के साथ कहते हैं।
सबके लिए जगह थी/ उस घर में/ सिवाय उस गृह लक्ष्मी के/ जो देवी पूजा के ठीक बाद/ जला दी गई।
अशोक जी की कविताएं जीव जगत और मानवीय संबंधों की गूढ़ व्याख्या है। यह व्याख्या कवि की अपनी है, जिसके जरिए हम जीवन के रहस्यों को नये तरीके से समझते हैं। संग्रह में मां पर कविताओं की एक शृंखला है। हर किसी के लिए मां के प्रति संवेदनाएं लगभग एक जैसी होती हैं मगर उसकी अभिव्यक्ति अलग-अलग। कविताओं में जितनी कवि मन की कल्पनाएं साकार होती हैं उतना ही मन समाज की बुराइयों के प्रति जागृत है।
गर्भ/ सबसे बड़ा वधस्थल है देश का/ चारों तरफ फैली मौत की रुधिर धार/ स्नेह रज्जू को काट कर।
अशोक भाटिया जी की खासियत है कि वो किसी बात को घुमा-फिरा कर नहीं कहते। सहजता के कारण उनकी कविताएं सर्वसुलभ हैं। कविताएं आज के समय को और इसकी चेतना को मजबूत स्वर देती हैं। पठनीय कविताओं का सुंदर संग्रह!
पुस्तक : कठिन समय में हम कवि : अशोक भाटिया प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 120.