भारत भूषण
समाज में घटने वाली घटनाएं साहित्यकार के चेतन में वह उद्वेलन उत्पन्न करती हैं, जिससे वह उन्हें अपनी रचनाओं के माध्यम से कागज पर उकेर देता है। इस दौरान भाषा, क्षेत्र और समाज की रीति-नीति साहित्यकार का मार्गदर्शन करते हैं। साहित्यकार अशोक कुमार शर्मा की कहानियों का संचय ‘अंतिम पड़ाव’ सच के उद्घाटन का ऐसा कच्चा चिट्ठा है, जोकि चेहरों के पीछे छिपे चेहरों को सामने लाता है, वहीं चरित्रों के इस दोहरेपन पर तीखी चोट करता है। इस संग्रह की कहानियां समाज के हर वर्ग की हैं।
संग्रह की पहली कहानी ‘प्रतिष्ठा’ युवाओं के दिखावे और झूठी शान के लिए अपने मान-सम्मान को बलि चढ़ाने की प्रवृत्ति पर आधारित है। एक युवती किस प्रकार अपने झूठे रुतबे के लिए चरित्रहीन और धोखेबाज युवकों के चंगुल में फंसकर सब कुछ खो देती है। ‘मुक्ति’ कहानी एक ऐसी पत्नी की कहानी है, जोकि पति की प्रताड़ना से तंग होकर पति के दोस्त अपने आशिक के साथ भविष्य के सुनहरे सपने देखने लगती है। हालात यहां तक आते हैं कि दोनों मिलकर पति को ठिकाने लगाने की सोचने लगते हैं। लेकिन पत्नी की यह बाजी तब उलटी पड़ जाती है, जब जहर मिलाई शराब को उसका पति नहीं बल्कि आशिक ही पी जाता है। ‘जुदाई’ कहानी भी समाज की उस विडम्बना की ओर संकेत करती है, जिसमें एक तरफ समाज के दुश्मनों से अपनी मासूम बेटी को बचाना है, दूसरी तरफ एक पिता को कानून और नियमों का भी पालन करना है। बगैर मां की बच्ची को घर में बंद करके बाहर ताला लगाकर गया पिता कानून की नजरों में गुनहगार हो जाता है।
‘बड़े घर की लड़की’ एक ऐसी कहानी है, जोकि समाज में झूठी शान और रुतबे के लिए दूसरों के समक्ष छदम आवरण एवं चरित्र अपनाने वाले लोगों का सच उजागर करती है।
संग्रह की अन्य कहानियों ‘धर्म संकट’, ‘उच्चाधिकारी’, ‘धर्म-कर्म’, ‘प्रायश्चित’ आदि में मानवीय संवेदनाओं के क्षरण की दास्तां मिलती है।
पुस्तक : अंतिम पड़ाव कहानीकार : अशोक कुमार शर्मा प्रकाशक : कादम्बरी प्रकाशन पृष्ठ : 143 मूल्य : रु. 350.