अनुराग अनन्त हिंदी साहित्य जगत में एक तेजी से उभरते हुए साहित्यकार हैं। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। अपनी कहानियों में नए प्रयोग और प्रस्तुतीकरण के नए ढंग अपनाने को वे अपना लक्ष्य मानते हैं। पेशे से प्राध्यापक होने के नाते वे साहित्य की शैलियों से भली-भांति परिचित हैं। यही कारण है कि प्रसिद्ध साहित्यकार उदय प्रकाश ने उनके बारे में लिखा है, ‘आपकी कहानी, कहानी होने का ही विध्वंस करती है। आपकी कहानियों में स्मृति, अनुभव, सिनेमा, विभ्रम, अवसन्नता, जागृति, मूर्च्छा, नींद, कविता, कैनवस, परिवार, समय, समाज, सत्य, असत्य, सूचना, अफवाह आदि सभी कुछ साथ-साथ चलता है और अंत में आपकी स्मृति में केवल भाषा, शब्दों, वाक्यों का मायालोक ही बचा रहेगा।’
पुस्तक ‘मुहावरे की मौत’ कथा संग्रह में कुल छह कहानियां हैं। प्रत्येक कहानी का अपना भूगोल है, लेकिन हर कहानी में कई समानांतर कथाएं चलती रहती हैं। इन कहानियों में कथाकार ने अनेक कथा विधियों और शैलियों का प्रयोग किया है। वर्तमान दौर में चलती हुई कहानी अचानक किस लोक में प्रवेश कर जाए, इसका पाठक अंदाजा भी नहीं लगा सकता। कई बार ऐसा भी लगता है कि शायद लेखक को भी इसका पूर्वानुमान न हो। ‘मुहावरे की मौत’ कहानी को इस कथा-संग्रह की मुख्य कहानी कहा जा सकता है। यह कहानी एक दरोगा की है जो ब्याज पर पैसे देता है, और जब लोग पैसे वापस नहीं कर पाते तो उन पर जुल्म करता है। उसके जुल्म के खिलाफ पीड़ित लोगों के विद्रोह की कहानी है ‘मुहावरे की मौत’।
इस विद्रोह की नायिका पिन्टू मल्लाह की पत्नी फूलमती बनती है, जो दरोगा को ललकारती है और पिस्तौल से हमला करती है। जुल्म के खिलाफ मजलूमों की बगावत की इस कहानी में एक पूरे उपन्यास का कथानक छुपा हुआ है।
‘रजस्वला’ कहानी में लेखक ने टोने-टोटके और पाखंड भरी सोच को उजागर किया है। ‘सुधा-चन्दर’ और ‘बरेली का झुमका’ कहानी सुधा और चन्दर के अधूरे प्रेम की पूरी कहानी है। ‘ग्रांड इवेंट’ कहानी नेताओं द्वारा जनता के शोषण को उजागर करती है। ‘मीरा, पिता जी और मासूम पेंटर’ कहानी का मुख्य पात्र एक लड़का है, जिसे उसकी सौतेली मां इल्ज़ाम लगाकर अपने पति से पिटवाती है, और फिर वह लड़का घर से भाग जाता है। बाद में उसका शारीरिक शोषण होता है और अंत में उसे बहुत ही दर्दनाक मौत मिलती है।
सभी कहानियां नए प्रयोगों और शैलियों में लिखी गई हैं, और इनमें बहुत सारी पूर्व की साहित्यिक मान्यताओं को तोड़ा भी गया है। समाज के यथार्थ को प्रस्तुत करती ये कहानियां धैर्य और साहस के साथ पढ़ी जाने वाली हैं।
पुस्तक : मुहावरे की मौत लेखक : अनुराग अनन्त प्रकाशक : लोक भारती प्रकाशन, प्रयागराज, पृष्ठ : 158, मूल्य : रु. 299.

