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अहसासों के मौन की अभिव्यक्ति

पुस्तक समीक्षा

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प्रद्युम्न भल्ला

कर्मवीर सिंह सूरी के ताज़ा प्रकाशित लघुकथा संग्रह ‘पुरुष एवं अन्य लघुकथाएं’ में बासठ रचनाएं संगृहीत हैं। लेखक चूंकि पंजाबी पृष्ठभूमि से हैं और पंजाबी में उनके कई मिनी कहानी संग्रह, उपन्यास और आलोचना की पुस्तकें इस विधा में प्रकाशित हैं तो उनका प्रभाव भी इस संग्रह में नज़र आता है। लेखक ने बहुत सारी पुस्तकें संपादित की हैं व बहुत-सी पुस्तकों का हिंदी से पंजाबी में, अंग्रेज़ी से पंजाबी में भी अनुवाद किया है।

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इस संग्रह की अधिकतर रचनाएं भीतर के मौन को भावनात्मक स्तर पर अभिव्यक्ति देने में समर्थ हैं। लघुकथा के लिए यह आवश्यक है कि इसमें संवेदना को गहनता से छूने की कला समाहित हो। रचना में वर्णित संवेदना जब सशक्त रूप से सामने आती है तो पाठक की आंखें नम कर देती है।

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संवेदना का विस्फोट जब शब्दों के द्वारा होता है तब उसकी अभिव्यंजना पाठक की गहनता में और विश्वास उत्पन्न कर देती है।

कर्मवीर सिंह सूरी के संग्रह की काफी रचनाओं में यह सच्चाई नजर आती है। उदाहरणत: उनकी लघुकथा ‘उनतीस फरवरी’ घर के बुजुर्गों की दयनीय स्थिति का वर्णन करती है तो ‘सोच’ लघुकथा में रोज़गार निभाने की टीस सामने आती है। इसी प्रकार ‘नॉट आउट’ लघुकथा यह दर्शाती है कि परिस्थितियां कब और क्या मोड़ ले लेती हैं हम सोच भी नहीं सकते।

इसी प्रकार उनकी लघुकथा ‘मैं इसे जानता हूं’ व्यावहारिक दृष्टिकोण का सशक्त उदाहरण है और संदेश देती है कि हम किसी के बारे में बहुत जल्दी जजमेंटल नहीं हो सकते। उनकी रचना ‘आस्तिक नास्तिक’ में समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार का सजीव चित्रण है।

कहना न होगा कि कर्मवीर सिंह सूरी की काफी रचनाएं लघुकथा की कसौटी पर खरी उतरती हैं मगर वहीं कुत्ता रिश्ता, वरदान आदि लघुकथाओं में वह दंश गायब है जो लघुकथा का एक अनिवार्य तत्व है।

पुस्तक : पुरुष एवं अन्य लघुकथाएं लेखक : कर्मवीर सिंह सूरी प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 150.

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