Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

हाइकु विधा में प्रकृति की छाया

पुस्तक समीक्षा

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

पुस्तक ‘गाएगा युग’ कशमीरी लाल चावला का सद्यः प्रकाशित हाइकु-संग्रह है, जिसमें उनके लगभग 1800 हाइकु संकलित किए गए हैं। चावला ने एक से बढ़कर एक प्रकृति विषयक हाइकु-रचनाएं प्रस्तुत की हैं। लगता है वे अपना एकांत जब प्रकृति के साथ बिताते हैं तो उन्हें हाइकु लिखने की प्रेरणा और ऊर्जा प्राप्त होती है।

कवि प्रकृति प्रेमी होने के कारण पर्यावरण के प्रति भी चिंतित है। बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषित होती नदियां और सिमटते जंगल कोई शुभ संकेत नहीं हैं। कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से हमें चेताने का प्रयास करता है।

Advertisement

चावला ने जीवन-जगत के विभिन्न पहलुओं पर हाइकु लिखे हैं। इसलिए उनके कथ्य में विविधता है। मां-बेटी, रिश्ते-नाते, व्रत-त्योहार, मौसम-ऋतुएं, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, नदियां-झरने, चांद-चांदनी सब उनकी कविताओं में मौजूद हैं।

Advertisement

बीते हुए पल सुखद हों या दुखद, रह-रह कर व्यक्ति को उनकी याद आती रहती है। लेकिन समय कभी ठहरता नहीं है।

सहज सरल हिन्दी भाषा में रचे गए संग्रह के अधिकतर हाइकु विशेष प्रभाव छोड़ने वाले हैं। कवि पंजाब से संबंध रखता है, इसलिए पंजाबी के शब्दों का भी उदारतापूर्वक प्रयोग किया है। प्रूफ की अशुद्धियां खटकती हैं। वहीं संग्रह में कुछ ऐसे भी हाइकु हैं जिनमें 5-7-5 अक्षर क्रम का निर्वाह तो हुआ है, परंतु उनमें हाइकु की आत्मा का सर्वथा लोप है और वे सामान्य कथन मात्र बनकर रह गए हैं। कुल मिलाकर ‘गाएगा युग’ एक अच्छा और पठनीय संग्रह है।

पुस्तक : गाएगा युग कवि : कशमीरी लाल चावला प्रकाशक : तर्क भारती प्रकाशन, बरनाल पृष्ठ : 119 मूल्य : रु. 250.

Advertisement
×