अरुण नैथानी
भारत के तीर्थ, श्रद्धा का महासागर समेत व्यंग्य व यात्रा वृत्तांत आदि रचनाओं के साथ पहचान बनाने वाले डॉ. जवाहर धीर की नयी पुस्तक है ‘कोरोना से करुणानिधि।’ दरअसल, कोरोना काल का सदुपयोग करते रची गई यह पुस्तक छोटे मुरारी बापू के प्रवचन का संकलन है। लेखक ने उन पर पुस्तक लिखने का अक्सर विचार किया। कोरोना काल के संकट को अवसर में बदलते हुए लेखक ने छोटे मुरारी बापू के पांच मई से पांच जून तक के ऑनलाइन प्रवचनों को पुस्तक रूप दिया है।
पुस्तक : कोरोना से करुणानिधि की ओर रचनाकार : डॉ. जवाहर धीर प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन, अलीगढ़ पृष्ठ : 153 मूल्य : रु. 199.
कालचक्र की पड़ताल
हरियाणा के साहित्यिक व पत्रकारिता जगत में प्रतिष्ठित स्थान रखने वाले रोहित यादव ने अपनी हालिया पुस्तक ‘कालचक्र’ के जरिये समकालीन राजनीतिक व सामाजिक विसंगतियों, विरोधाभासों, विद्रूपताओं तथा विकृतियों को कुंडली छंद के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। वर्ष 2018 की पहली छमाही में रची गई ये कुंडलियां चुटीले अंदाज में अभिव्यक्त होती हैं। रचनाओं के केंद्र में राजनीतिक, सामाजिक, न्यायिक, वैयक्तिक घटनाओं और प्रकरणों का शामिल करते हुए निरपेक्ष भाव से विवेचन किया गया है। पुस्तक में कुल 160 कुंडलियों को सचित्र शामिल किया गया है।
पुस्तक : कालचक्र रचनाकार : रोहित यादव प्रकाशक : अभिव्यक्ति प्रकाशन, मंडी अटेल पृष्ठ : 176 मूल्य : रु. 400.
जीने का सलीका
बाल साहित्य समेत कई विधाओं में अपनी पहचान बनाने वाले अकोला, चित्तौड़गढ़ के रचनाकार राजकुमार जैन ‘राजन’ की हालिया प्रकाशित पुस्तक है ‘जीना इसी का नाम है।’ पुस्तक में उनके कतिपय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित वैचारिक संपादकीय लेखों का संकलन है। संकलन में शामिल लेख जीवन के सकारात्मक पक्ष को अभिव्यक्त करते हैं। लेखक अपने जीवन अनुभवों को केंद्र में रखकर प्रगतिशील सोच को प्रश्रय देते हैं। रचनाएं जीवन में आशावाद का संचार करती हैं। संकलन में कुल 29 रचनाएं शामिल हैं।
पुस्तक : जीना इसी का नाम है लेखक : राजकुमार जैन ‘राजन’ प्रकाशक : अयन प्रकाशन, महरौली, दिल्ली पृष्ठ : 103 मूल्य : रु. 200.
लघुता से गुरुता की तलाश
शिक्षा, समाज सेवा और सृजन में समान रूप से सक्रिय मधुकांत की लघुकथाओं का गंभीर विमर्श हालिया पुस्तक ‘मधुकांत की इक्यावन लघुकथाएं तथा उनका समीक्षात्मक अध्ययन’ में डॉ. लता अग्रवाल ने प्रकाशित किया है। मधुकांत ने विपुल साहित्य रचा है। रचनाओं के केंद्र में लोकमंगल का स्वर मुखर है। लघुकथा उनका प्रिय विषय है, जिसका 69 पृष्ठों में लेखिका ने विस्तृत रूप से वर्णन किया है। इसके अलावा उनकी 51 लघुकथाएं भी पुस्तक में शामिल हैं। पुस्तक पठनीय है।
पुस्तक : मधुकांत की इक्यावन लघुकथाएं तथा उनका समीक्षात्मक अध्ययन रचनाकार : डॉ. लता अग्रवाल प्रकाशक : मोनिका प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 127 मूल्य : रु. 400.
गहन अहसासों को शब्द
लघुकथा और व्यंग्य विधा में पहचान बनाने वाले नरेंद्र गौड़ ने अपने जीवन के पचास वसंतों के बीच उद्वेलित करने वाले प्रसंगों, घटनक्रमों और स्मृतियों को हालिया पुस्तक अर्द्धशतक: संस्मरण पचास तक में प्रकाशित किया है। इन घटनाओं को लेखक ने सहजता-सरलता से पाठकों के समक्ष रखा है। बिना किसी लाग-लपेट के इनके माध्यम से संवेदनशील प्रसंगों, सामाजिक विसंगतियों व विरोधाभासों को अभिव्यक्त किया है। पुस्तक में पठनीय रचनाओं की भाषा-शैली सहज है।
पुस्तक : अर्द्धशतक – संस्मरण पचास तक लेखक : नरेंद्र कुमार गौड़ प्रकाशक : उमंग प्रकाशन, न्यू गुप्ता कॉलोनी, दिल्ली पृष्ठ : 152 मूल्य : रु. 400.