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जंगल की रोचक-प्रेरक कथाएं

पुस्तक समीक्षा

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गोविन्द शर्मा के बालकथा–संग्रह ‘दिन में सौ चांद’ की सभी पंद्रह कहानियां मिलकर बच्चों के लिए एक प्रेरक और मनोरंजक संसार रचती हैं। हर कथा में बुद्धिमत्ता, साहस, सहयोग और नैतिकता जैसे मूल्यों को सरल, जीवंत और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। प्रारम्भ से अंत तक लेखक का उद्देश्य स्पष्ट दिखता है—बच्चों को उपदेश नहीं, बल्कि परिस्थितियों के माध्यम से सोचने की क्षमता देना। खरगोश, चीकू, सोनू और जंगल के अन्य पात्र चतुराई से समस्याएं सुलझाते हैं, जिससे बच्चों को समझ आता है कि बल से अधिक मूल्य बुद्धि का है।

कई कहानियां सहयोग की शक्ति को उजागर करती हैं—चाहे वह काली चिड़िया के बच्चों की रक्षा हो या जंगल के जीवों द्वारा आपदा में एकजुट होकर काम करना। कुछ कहानियां सहज रूप से मेहनत, ईमानदारी और दृढ़ता के महत्व को समझाती हैं—जैसे चोरों को परिश्रम का महत्व बताना, शेर को सबक सिखाना, मेहनत करने की आदत का सम्मान करना तथा सजावट के लिए फ़िज़ूलखर्ची न करके पर्यावरण को सुरक्षित रखना आदि।

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लेखक की भाषा सरल है, घटनाएं चुस्त हैं और संदेश बिलकुल पारदर्शी ढंग से बच्चों तक पहुंचते हैं। कहानियों में रोमांच, हास्य और भावुकता का संतुलन उन्हें और अधिक प्रभावी बनाता है।

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समग्र रूप से यह संग्रह न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि बच्चों में तार्किक सोच, नैतिक मूल्यों और जीवन-समझ को विकसित करने वाला पठनीय बालसाहित्य भी है।

पुस्तक : दिन में सौ चांद (बालकथा संग्रह) लेखक : गोविन्द शर्मा प्रकाशक : साहित्यागार धामाणी मार्केट की गली, जयपुर पृष्ठ : 54 मूल्य : रु. 175

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