अर्विना
शाम को एक नंबर प्लेटफार्म की बेंच पर बैठी गाड़ी आने का इंतजार कर रही थी, तभी कंधे पर बैग टांगे एक हमउम्र लड़का बेंच पर आकर बैठ गया।
क्षमा करें लगता है आज गाड़ी लेट हो गई है।
न बोलना चाहते हुए भी मैंने हां में सिर हिला उसकी तरफ देखा। लड़का देखने में सुंदर, नैन-नक्श आकर्षक और कद लम्बा था। उसे भी अपनी ओर देखते मैंने अपना ध्यान दूसरी ओर से आ रही गाड़ी को देखने में लगा लिया। समय काटने के लिए यही ठीक लगा। हमारे बीच फिर खामोशी पसर गई। इस बीच कई ट्रेनें गुज़र गईं। जैसे ही हमारी ट्रेन का एनाउंसमेंट हुआ। मैं उठ खड़ी हुई। ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर लगी तो मैं चढ़ने को हुई कि अचानक मेरी चप्पल टूट गई और मेरा पैर पायदान से फिसला तो मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरा एक पैर प्लेटफार्म के नीचे चला गया।
अचानक इतना सब हुआ की संभल नहीं पायी। पीछे वहीं अंजान लड़का था। उसने बिना विलम्ब किये मेरा पैर झट से निकाला और सहारा देकर उठाया। खड़ी हुई चल नहीं पा रही थी। उसने कहा यदि तुम्हें बुरा न लगे तो मेरे कंधे का सहारा ले सकती हो। ट्रेन बस छूटने ही वाली थी। मैंने हां में सिर हिलाया तो अजनबी ने मुझे ट्रेन में सहारा दे चढ़ा दिया और सीट पर बैठा दिया। खुद भी सामने की सीट पर बैठ गया। तभी ट्रेन चल दी। उसने अपना नाम पूरब श्रीवास्तव बताया और तुम्हारा नाम क्या है?
मेरा नाम कनिका वर्मा है।
आपको कहां तक जाना है?
अहमदाबाद जा रही हूं।
क्या करती है?
मैं मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही हूं। वहां पीजी में रह रही हूं। आपको कहां जाना है?
मैं भी अहमदाबाद ही जा रहा हूं।
क्या करते हैं?
वहां भाई से मिलने जा रहा हूं।
बातचीत का सिलसिला चल ही रहा था कि बीच में अचानक कम्पार्टमेन्ट में पांच लोग घुसे और आपस में एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए तीन लोग मेरी बगल में आकर बैठ गए। उनके मुंह से शराब की दुर्गंध से मेरा सांस लेना भी मुश्किल होने लगा। दो लोग सामने पूरब की साइड में बैठ गए। उनकी भाषा अश्लील थी। पूरब ने स्थिति को भांप लिया और कनिका से कहां डार्लिंग तुम्हारे पैर में चोट है, तुम इधर आ जाओ, ऊपर वाली बर्थ पर लेट जाओ। नीचे बार-बार आने जाने वालों से तुम्हें परेशानी होगी। मैं अब परिस्थिति वश पूरब की हर बात किसी आज्ञाकारी शिष्य की तरह मान रही थी। पूरब ने सहारा दिया तो मैं ऊपर की बर्थ पर लेट गई। इधर पैर में चोट से दर्द भी हो रहा था। हल्की-सी कराहट सुन पूरब ने मूव का ट्यूब मेरी तरफ बढ़ाया।
बरबस मेरे मुंह से निकल गया- ओह! आप कितने अच्छे हैं। उन लोगों ने पूरब को मेरी इस तरह से सेवा करते देख फिर कोई फिकरा नहीं कसा और अगले स्टेशन पर सभी उतर गए। मैंने चैन की सांस ली। पूरब तो जैसे मेरी ढाल बन गया था।
पूरब! आज तुम न होते तो मेरा क्या होता? मैं किन शब्दों में तुम्हारा धन्यवाद करूं। आज जो भी तुमने मेरे लिए किया , शुक्रिया शब्द तुम्हारे सामने छोटा पड़ रहा है।
ओह! कनिका मेरी जगह कोई भी होता तो यही करता।
बातें करते-करते अहमदाबाद आ गया। कनिका ने अपने बैग में रखी स्लीपर निकाल कर पैर में पहननी चाही, मगर सूजन की वजह से पहन नहीं पा रही थी। पूरब ने देखा तो झट से अपनी स्लीपर निकल कर दे दी। कनिका ने पहन ली।
पूरब ने कनिका का बैग अपने कंधे पर टांग लिया और सहारा देकर ट्रेन से उतारा और बोला-मैं तुम्हें पीजी तक छोड़ देता हूं।
नहीं! मैं चली जाऊंगी।
कैसे जाओगी?
तुमने अपने पैर की हालत देखी है। किसी पास के किसी नर्सिंग होम में दिखा देते हैं। फिर मैं तुम्हें छोड़कर भईया के पास चला जाऊंगा।
आओ इधर टैक्सी में बैठो कनिका, पूरब ने टैक्सी वाले से कहा-भईया यहां जो भी पास में नर्सिंग होम हो वहां ले चलो। टैक्सी वाले ने कुछ ही पल में एक नर्सिंग होम के सामने गाड़ी रोक दी।
अंदर डाक्टर को दिखाया तो डाक्टर ने कहा-ज्यादा नहीं लगी है। हल्की मोच है, आराम करने से ठीक हो जायेगी। कुछ दवा लिख दी है, लेने से आराम हो जायेगा।
नर्सिंग होम से निकल कर दोनों टैक्सी में बैठ गए। कनिका ने अपने पीजी का पता बता दिया। टैक्सी पीजी पर रुकी। पूरब ने कनिका का सामान उठा लिया और उसके कमरे में रख कर पलटने लगा तो कनिका ने कहा-बैठिए कॉफी पी कर जाइये।
… नहीं मुझे देर हो जायेगी तो भईया चिंतित होंगे। कॉफी फिर पी लूंगा, अच्छा अब चलता हूं। अपना ख्याल रखना।
चलते हुए पूरब ने हाथ हिलाया तो मैंने भी जवाब में हाथ हिलाया और जाते हुए देखती रही।
अंदर को मुड़ी और कमरे में आकर आंखे बंद कीं तो पूरब का चेहरा आंखों में दिखाई दिया। कुछ घंटे पहले की घटना चलचित्र की भांति घूम गयी।
पलभर को सिहरन-सी दौड़ गई। धड़कन तेज हो गई। तभी कमरे के बाहर कदमों की आहट पास आती प्रतीत हुई और साथ ही कालबेल बजी तो सोचा इस समय कौन हो सकता है? उठी और दरवाजा खोला देखा तो पूरब खड़ा था।
क्या हुआ, कुछ रह गया?
हां जल्दबाजी में मोबाइल यहीं छूट गया?
अरे! मैं तो भूल ही गई, मेरे पैरों में तुम्हारे स्लीपर हैं। इन्हें भी लेते जाना कहती हुई कनिका कॉफी बनाने चली गई। अंदर जाकर कॉफी मेकर से झट से दो कप कॉफी बना लाई। कनिका कनखियों से पूरब को देख रही थी। पूरब भाई से बात करने में व्यस्त था। एक कप पूरब की तरफ बढ़ाया तो पूरब की उंगलियां उसकी उंगलियों से छू गईं तो लगा जैसे एक तरंग-सी दौड़ गई शरीर में। कनिका पूरब के सामने बैठ गई। दोनों खामोशी से कॉफी पीने लगे।
कॉफी खत्म होते ही पूरब जाने के लिए उठा। कनिका मुझे तुम्हारा मोबाइल नंबर मिल सकता है। अब विश्वास अपनी जड़ें जमाने लगा था। कनिका ने अपना मोबाइल नंबर दे दिया।
पूरब फिर मिलेंगे कह कर चला गया। कनिका वापस बिस्तर पर आकर कटे वृक्ष की तरह ढह गई।
खाना खाने का मन नहीं था। पीजी चलाने वाली आंटी को भी फोन पर ही अपने आने की खबर दी, साथ ही खाना खाने के लिए मना कर दिया।
लेटे-लेटे कनिका को कब नींद आई, पता ही नहीं चला। सुबह जब सूरज की किरणें आंखों पर पड़ी तो कनिका उठी, देखा आठ बज रहे थे।
ओह! आज तो क्लास है।
जल्दी से तैयार हो नाश्ता करके कालेज के लिए निकल गई।
एक सप्ताह कब बीत गया पता ही नहीं चला। आज कालेज की छुट्टी थी। कनिका को बैठे-बैठे पूरब का ख्याल आया कि कह रहा था फोन करेगा लेकिन उसका कोई फोन नहीं आया। एक बार मन किया खुद ही कर ले, फिर ख्याल को झटक दिया लेकिन मन आज किसी काम में नहीं लग रहा था। किताब लेकर बैठी कुछ देर यूं ही पन्ने पलटती रही। रह-रह कर उसे न जाने क्यों पूरब का ख्याल आ रहा था।
अनमनी हो खिड़की से बाहर देखने लगी। बाहर लान में बेला खिला था। उसकी भीनी-भीनी महक उसे कुछ सुकून दे रही थी। अपनी पलकों को बंद कर गहरा श्वास भरा तभी अचानक फोन बजा उठाया तो देखा पूरब का था। कनिका ने कांपते हाथों से उठाया और हेलो कहा उधर से पूरब ने कहा-कैसी हो कनिका?
मैं ठीक हूं।
तुम कैसे हो, तुमने कोई फोन नहीं किया?
पूरब ने हंसते हुए कहा-मैं भाई के साथ व्यावसायिक काम में व्यस्त था। हमारा हीरे का व्यापार है। तुम तैयार हो जाओ मैं लेने आ रहा हूं।
कनिका के तो मानों पंख लग गए पहनने के लिए एक प्यारा पिंक कलर का ड्रेस निकला। उसे पहना, कानों में मैचिंग इयरिंग को आईने में निहारा तो आज एक अलग ही कनिका नजर आई। बाहर से बाईक के हाॅर्न की आवाज़ सुनकर कनिका जल्दी से बाहर की ओर भागी। देखा पूरब हल्के नीले रंग की शर्ट उस पर बहुत ही फब रही थी। कनिका सम्मोहित-सी बाइक पर बैठ गई। पूरब ने कहा-आज तो बहुत सुंदर लग रही हो। सुनकर कनिका का दिल रोमांचित हो उठा।
कहां ले चल रहे हो?
कॉफी हाउस चलते हैं, वहीं बैठ कर बातें करेंगे।
अच्छा चलो।
बाइक हवा से बातें करने लगी। कनिका का दुपट्टा हवा से पूरब के चेहरे पर गिरा तो भीनी-सी खुशबू से पूरब का दिल जोर -जोर से धड़कने लगा।
कनिका ने अपना आंचल समेट लिया।
पूरब! एक बात कहूं, कुछ देर से एक गाड़ी हमारे पीछे आ रही है। ऐसा लग रहा है जैसे कोई हमें फॉलो कर रहा है।
तुम्हारा वहम है, उन्हें भी इधर ही जाना होगा।
अगर इधर ही जाना है तो हमारे पीछे ही क्यों चल रहे हैं, आगे भी निकल कर जा सकते हैं।
ओह! देखो वो कॉफी हाउस आ गया। तुम टेबल नंबर चार पर बैठो, मैं बाइक पार्क करके आ रहा हूं।
कनिका अंदर जाकर टेबल पर बैठ गई। पूरब जल्दी लौट आया।
कनिका क्या लोगी?
आज तो आप जो भी मंगवाओगे वही?
संकोच मत करो, अब तो हम मिलते ही रहेंगे।
पूरब ऐसी बात नहीं है, मैं फिर कभी, आज आर्डर तुम ही कर दो।
वेटर को दो कॉफी का आर्डर कर दी। कुछ ही पल में कॉफी टेबल पर रख गया वेटर।
कनिका ने कॉफी पीते हुए घड़ी देखी तो पूरब से बोली-अब मुझे चलना चाहिए।
ठीक है, मैं तुम्हें छोड़कर आफिस चला जाऊंगा। मेरी एक मीटिंग है।
पूरब कनिका को छोड़ कर अपने आफिस पहुंचा। सौरभ की केबिन में पहुंचा तो भईया की त्योरियां चढ़ी हुई थीं।
पूरब कहां थे? क्लाइंट तुम्हारा इंतज़ार करता रहा और चला गया। तुम कहां किसके साथ घूम रहे थे, मुझे सब साफ-साफ बताओ।
अपनी एक दोस्त कनिका वर्मा के साथ था। आपको बताया तो था।
मुझे तुम्हारा इन साधारण परिवार के लोगों से मिलना-जुलना पसंद नहीं है और फिर बिजनेस में ऐसे काम नहीं होता है। अब तुम घर जाओ और फोन पर क्लाइंट से अगली मीटिंग फिक्स करो।
जी भईया।
कनिका और पूरब की दोस्ती को धीरे-धीरे छह महीने बीत गए। मुलाकातें बढ़ती गई। अब दोनों एक-दूसरे के काफी नजदीक आ गए थे। एक दिन दोनों घूमने के लिए निकले तो कनिका ने देखा कि सामने से एक बाइक पर सवार तीन युवक बगल से गुजरे। अचानक सनसनाती हुई गोली चली। वो कनिका की बांह को छूती हुई पूरब की बांह में जा धंसी। कनिका चीखी-गाड़ी रोको, पूरब कुछ समझ पाता उसने गाड़ी रोक दी। उतरा तो लड़खड़ा गया। बांह से रक्त की धारा बहने लगी। कनिका बेहद घबरा गई, वहीं सड़क के किनारे पूरब को सहारा दे बांह पर दुपट्टा बांध दिया और मदद के लिए सड़क हाथ दिखा गाड़ी रोकने का प्रयास करने लगी। कोई भी रुकने को तैयार नहीं। कनिका को ख्याल आया उसने सौ नंबर पर फोन किया। जल्दी ही पुलिस की गाड़ी पहुंच गई। पूरब को अस्पताल में भर्ती कराया और पूरब के फोन से उसके भाई साहब को फोन पर सूचना दी।
पूरब की हालत बिगड़ी देख आपरेशन के लिए कनिका ने साइन कर दिए। डाक्टर ने कहा-खून काफी बह चुका है। खून की जरूरत है।
कनिका अपना खून देने के लिए तैयार हो गई। ब्लड ग्रुप परीक्षण कराया तो उसका ब्लड ग्रुप मैच कर गया तो उसका रक्त ले लिया गया।
तभी बदहवास से पूरब के भाई साहब पहुंच गए। डाक्टर से बोले-किसी भी हालत में मेरे भाई को बचा लीजिए।
आपको इस लड़की का धन्यवाद करना चाहिए जो सही समय पर अस्पताल ले आई। लड़के की बांह से गोली निकाली दी गई है। आप बैठिए ईश्वर से प्रार्थना कीजिए। आज की रात कट गई तो कोई खतरा नहीं।
सौरभ की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। जैसे ही पूरब को होश आया, सौरभ फफक-फफक कर रो पड़ा। भाई मुझे माफ़ कर दे। मेरे भाई तुझे कुछ हो जाता तो मैं अपने को कभी माफ नहीं कर पाता। मैं पैसे के मद में एक साधारण परिवार की लड़की को तुम्हारे साथ नहीं देख सका और उसे तुम्हारे रास्ते से हमेशा के लिए हटाना चाहा पर मैं भूल गया जाति और पैसे से ऊपर भी इनसानियत भी कोई चीज है। कनिका तुम भी मुझे माफ कर दो। मैं माफी के काबिल तो नहीं पर… तुम चाहो तो माफ कर दो। पूरब ने तुम्हारे बारे में बताया था कि वो तुम्हें पसंद करता है। लेकिन मैं नहीं चाहता था साधारण परिवार की लड़की हमारे घर की बहू बने। लेकिन आज तुमने मेरे भाई की जान बचा कर मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है।
आओ मेरे पास आओ, कनिका का हाथ पूरब के हाथों में देकर बोले-तुम इसी के लिए बनी हो। मैं जल्द ही तुम्हारे माता-पिता से बात करके तुम दोनों की शादी की बात करता हूं-कहकर वह बाहर निकल गए।
पूरब कनिका की ओर देखकर मुस्कुराया। कनिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया। कनिका अब हम सहयात्री से जीवन साथी बनने जा रहे हैं।