मनमोहन गुप्ता मोनी
कहानी संग्रह ‘खंडित होती शाश्वत अवधारणाएं’ में लेखक सदाशिव कौतुक की 12 कहानियां सम्मिलित हैं। इसमें लेखक ने जहां रूढ़िवादिता व जातपात के मुद्दे उठाए हैं, वहीं आधुनिक समाज की वर्जनाओं को भी इन कहानियों की विषय-वस्तु बनाया है। ग्रामीण अंचल की खुशबू भी इन कहानियों में महसूस की जा सकती है।
कहानी ‘हनी ट्रैप’ आधुनिकता की विद्रूपता को दर्शाती है तो ‘कोरोना’ आज की त्रासदी का खुला चिट्ठा पेश करती है। इसी प्रकार ‘होलिका दहन’, ‘उसने वादा पूरा किया’, ‘हाशिए पर’ मानवीय संवेदना को दर्शाती हैं। अधिकांश कहानियां संवेदनशील हैं। समय के साथ पात्रों द्वारा अपना चरित्र बदलने से ये पठनीय बन पड़ी हैं। जीवन की सच्चाई बयां करने वाली दिखाई देती है ये कहानियां।
‘खंडित होती शाश्वत अवधारणाएं’ कहानी इस संग्रह की बेहतरीन बन पड़ी है। इसमें लेखक सदाशिव कौतुक ने सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते हुए महात्मा जी के माध्यम से अध्यात्म की बात कही है। यह एक लोककथा पर आधारित है। सहज और बोलचाल की भाषा कहानियों को समृद्ध बनाती है। लेखक सदाशिव कौतुक की 63 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका यह संग्रह निश्चित ही संग्रहणीय है।
पुस्तक : खंडित होती शाश्वत अवधारणाएं लेखक : सदाशिव कौतुक प्रकाशक : साहित्य संगम, इंदौर पृष्ठ : 111 मूल्य : रु. 200.