शशि सिंघल
पूर्व प्राचार्य डॉ. एच.एल. माहेश्वरी सामाजिक सरोकारों व आमजन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के कारण व निदान पर अब तक कई पुस्तकें लिखकर लोगों को अपने विचारों से रूबरू कराते रहे हैं। इसी क्रम में उनकी एक और पुस्तक ‘दुष्कर्म – कैसे लगे लगाम?’ आई है। डॉ. माहेश्वरी ने इसमें दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं से चिंतित होते हुए इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार किया है।
पुस्तक में वर्णित दस अध्यायों में दुष्कर्म के मूल कारण खोजने, पीड़ितों की मनोदशा जानने, दंड के लिए कानूनी प्रावधानों, दुष्कर्म के बारे में राजनेताओं, न्यायाधीशों और प्रबुद्ध वर्ग के लोगों के विचार एवं कथन के साथ इस गंभीर समस्या पर लगाम लगाने के लिए कार्यरूप में परिणत किए जा सकने वाले व्यावहारिक सुझाव दिए हैं। पहले अध्याय ‘दुष्कर्म की बढ़ती घटनाएं – एक भयावह स्थिति’ के तहत देश के किस भाग में कब और कहां कितनी घटनाएं हुईं, इसका पूरा ब्योरा आंकड़ों के साथ दिया है। वहीं दूसरे अध्याय ‘अश्लील प्रदर्शन ने बनाया समग्र माहौल-सेक्सी’ में कहा है कि मोबाइल पर पोर्न साइट्स, सिनेमा, अश्लील चित्र, बेहूदा साहित्य, गंदे व द्विअर्थी गाने- संवाद नग्नता प्रदर्शित करती भड़कीली पोशाक आदि ने समाज के वातावरण को वासनामयी बना रखा है, जिससे दृष्टि दोष व विकार चिंतन ने अपने पांव पसार दिए हैं। अगले अध्याय में असामान्य कामुकता को दुष्कर्म का सबसे बड़ा कारण माना है। लेखक ने बड़ी गहराई से दुष्कर्म पीड़ितों व उनके परिवार के दर्द को महसूस करते हुए लिखा है कि पीड़ित महिला को शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक, तीनों स्तर पर वेदना सहन करनी पड़ती है।
‘दुष्कर्म के दंड के लिए कानूनी प्रावधान और उसका प्रावधान’ में भारत में रेप के लिए बने कानूनी दंड प्रावधानों के साथ-साथ विदेशों की न्याय प्रक्रिया पर प्रकाश डाला है। अंत में लेखक ने अपने चिंतन-मनन व अध्ययन से दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, जिनमें प्रमुख हैं पीड़िता को समय-सीमा में न्याय मिले, नशीले पदार्थों के सेवन से बचा जाए, ब्वॉय फ्रेंड बनाने में सतर्कता, शालीन पोशाक नियमित व मर्यादित जीवन के अलावा लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाए।
समाज में अच्छे और सच्चे लोगों का अभाव नहीं है। अभाव है तो उनके समवेत स्वर व एकजुटता का। आज के दौर में अनिवार्य है कि समाज के विभिन्न वर्ग, वह चाहे चिकित्साविद् हो, कानूनविद् हो, पुलिस या न्यायविद् हो, का दृष्टिकोण संवेदनायुक्त हो। यह पुस्तक समाज के मान्य मूल्यों के प्रति स्वर को संयुक्त करने में सहायक रहेगी।
पुस्तक : दुष्कर्म – कैसे लगे लगाम? लेखक : डॉ. एच.एल. माहेश्वरी प्रकाशक : डायमण्ड बुक्स, नई दिल्ली. पृष्ठ : 103 मूल्य : रु. 150.