
रश्मि खरबंदा
लेखिका वंदना सिंह की किताब विभिन्न विषयों, किस्से-कहानियों एवं स्वानुभावों में परवरिश का मूलतत्व ढूंढ़ती है। पुस्तक में कुल 19 चैप्टर हैं, जिनका सार अंत में सरल बिंदुओं के रूप में दिया गया है। लेखिका खासकर उन अभिभावक़ों को संबोधित कर रही हैं जिनके बच्चे तीन से बारह वर्ष के हैं। इस प्रयोजन के मुख्य दो कारण हैं : पहला कि इस उम्र के बाद बच्चे विकास के अगले चरण में पहुंच जाते हैं और दूसरा कि लेखिका का खुद एक बारह वर्षीय बेटा है, जिसकी परवरिश का अनुभव इस पुस्तक का मुख्य स्रोत है।
यह पुस्तक बाल केंद्रित परवरिश के प्रारूप पर लिखी गयी है। गौरतलब है कि पेरेंटिंग का यह तरीका हाल ही में प्रचलित हुआ है और नवयुग के मां-बाप इसे अपना रहे हैं। इस पद्धति के अनुसार परवरिश बच्चे की ज़रूरतों पर केंद्रित होती है। इसमें बच्चे के व्यक्तित्व के अनुसार परवरिश के तौर-तरीकों को ढाला जाता है। लौकिक-मत के विपरीत, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि बच्चे की हर मांग, हर जिद को पूरा किया जाए। बल्कि इसका उद्देश्य है कि बच्चे को एक पूर्वरचित ढांचे की बजाय उसकी अनुपम राह में बढ़ने देना चाहिए। इसमें अभिभावकों और बच्चों के बीच संतुलन की स्थापना की जाती है। लेखिका का परामर्श इसी संतुलन की डोर थामे है।
पुस्तक की शुरुआत में ही मां के अपने स्वास्थ्य, पहचान की चर्चा की गई है। इसके बाद वातावरण सामंजस्य, डिजिटल युग, यौन शिक्षा, फैमिली सीक्रेट्स, आहार, आत्मनिर्भरता जैसे कई चुनौतीपूर्ण विषयों को सहजता से प्रस्तुत किया है। लेखिका ने बोलचाल की भाषा का प्रयोग कर ऐसे कठिन विषय-वस्तु पर पुस्तक लिखी है। उनका यह प्रयास सराहनीय है।
पुस्तक : मैं परफेक्ट मां हूं लेखिका : वंदना सिंह प्रकाशक : अमरसत्य प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 107 मूल्य : रु. 195.
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