तमाम संभावनाओं की भाषा हिंदी अवरोधों के बावजूद अपने आकाश को विस्तार दे रही है। इसकी बानगी हरिगंधा के हिंदी विशेषांक अंक में दृष्टिगोचर होती है। देश के नामचीन साहित्यकारों ने हिंदी की ताकत को स्वीकार करते हुए इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं का सारगर्भित विवेचन किया है जो हमें हिंदी के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित करता है। हरियाणा की महक लिये रचनाएं ‘हरियाणवी आंचल’ स्तंभ के अंतर्गत प्रकाशित हुई हैं। पत्रिका का कलेवर व मुद्रण प्रभावी बन पड़ा है।
पत्रिका : हरिगंधा संपादक : डॉ. चन्द्र त्रिखा प्रकाशक : हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला पृष्ठ : 72 मूल्य : रु. 15.