हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 17 मई
कहने को यह मॉडल स्कूल है। पढ़ाई-लिखाई का मॉडर्न सामान भी यहां पहुंच चुका है, लेकिन यहां पढ़ाई की राह में अगर-मगर बहुत हैं। चारों तरफ गड्ढे। बैठने की जगह नहीं। सांप-बिच्छू का डर। शिक्षकों की कमी है। रही सही कसर पूरी कर दी इमारत पर ‘अफसरी कब्जे’ ने। यह है रोहतक स्थित सांपला का राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय। स्कूल के प्रांगण में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बना हुआ है।
आलम यह है कि स्कूल में बच्चों के लिए बैठने के लिए कमरे नहीं हैं। एक-एक कमरे में 40 से 50 बच्चों को बैठाना पड़ रहा है। सापला खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पिछले करीब 10 वर्ष से सांपला स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में चल रहा है। विद्यालय प्रबंधन पिछले कई वर्षों से अधिकारियों से गुहार लगा रहा है कि खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय को यहां से कहीं और तब्दील कर दिया जाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। स्कूल में कटीली झाड़ियां उगी हुई हैं। स्कूल में विज्ञान की एक भी प्रयोगशाला नहीं है। इससे इतर स्कूल में अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित एक कंप्यूटर लैब जरूर है, मगर शिक्षकों की कमी के चलते विद्यार्थियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा। बड़ी बात यह है कि स्कूल में गणित, अंग्रेजी व विज्ञान आदि महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक ही नहीं है। प्राइमरी स्कूल को भी 3 जेबीटी चला रहे हैं।
क्या कहती हैं जिला शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी विजय लक्ष्मी का कहना है कि खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का भवन अलग से बना हुआ है। बीईओ कार्यालय ने स्कूल में कोई कब्जा नहीं किया। स्कूल में भवन की कमी बारे उन्होंने कहा कि सारा मामला सरकार व विभाग के संज्ञान में है इसका समाधान जल्द खोज लिया जाएगा।
एसडीएम बोलीं…
सांपला की एसडीएम श्वेता सुहाग का कहना है कि खुद एसडीएम कार्यालय तहसील भवन में चल रहा है। हमारे पास खुद ही स्पेस नहीं है, इसके लिए तो शिक्षा विभाग ही जगह मुहैया करा सकता है।
सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं : प्रधानाचार्य
प्रधानाचार्य डॉ. संदीप नैन ने बताया कि सरकार ने स्कूल में डिजिटल स्क्रीन आदि अन्य कीमती सामान भिजवाया हुआ है। चारों ओर झाड़ होने और चारदीवारी छोटी होने के कारण सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। स्कूल में चौकीदार नहीं है। उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत करा चुके हैं। बीईईओ कार्यालय होने के कारण मुख्य द्वार हर समय खुला रहता है। लोग स्कूल के अंदर ही गाड़ियां ले जाते हैं।