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कार्यकारी परिषद के सदस्यों की नियुक्ति में धांधली !

डीसीआरयूएसटी विश्वविद्यालय
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हरेंद्र रापड़िया/हप्र

सोनीपत, 4 मई

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दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी), मुरथल में लंबे समय से कार्यकारी परिषद (ईसी) के सदस्यों की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी का आरोप लगा रही शिक्षक संघ डीक्रूटा का संघर्ष रंग लाया है।

उनकी शिकायत पर हुई जांच में खुलासा हुआ है कि कुलपति ने राज्यपाल को अंधेरे में रखकर मनमाने तरीके से ईसी सदस्यों की नियुक्ति कर दी। यही नहीं, सरकार की हिदायत के बावजूद दूसरी बार भी उन्हीं सदस्यों के साथ ईसी की बैठक कर डाली। डीक्रूटा ने अब इस मामले में सरकार से कार्रवाई की मांग करते हुए फिर से शिकायत की है।

डीसीआरयूएसटी में ईसी के गठन में घोर अनियमितता के आरोप सही पाए गए हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों की यूनियन डीक्रूटा द्वारा लगाए गए आरोपों पर हरियाणा सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी ने पुष्टि की है कि कुलपति ने विवि. एक्ट की अवहेलना करते हुए राज्यपाल को गुमराह कर गलत सदस्यों की सिफारिश की और उन्हें कार्यकारिणी में नामित करवा लिया।

जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि कुलपति द्वारा की गई सिफारिश विवि. एक्ट की धारा-2 का स्पष्ट उल्लंघन है। जबकि विवि. के संचालन के लिए एक्ट की शत-प्रतिशत पालना अनिवार्य है, कुलपति ने मनमानी करते हुए ईसी में सदस्यों की नियुक्ति के प्रावधान को दरकिनार कर दिया। डीक्रूटा ने इस पूरे मामले को लेकर राज्यपाल एवं प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।

इसके बाद हरियाणा सरकार ने 17 मार्च 2025 को पत्र संख्या यू-317/25/यूएनआईवी के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन को कड़े निर्देश जारी किए कि ईसी सदस्यों की नियुक्ति पूरी तरह यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार हो।

निर्देशों के बावजूद फैसलों को वैधता देने का प्रयास

सख्त निर्देशों के बावजूद कुलपति ने 25 मार्च 2025 को गलत तरीके से नामित सदस्यों से ईसी की बैठक आयोजित कर अपने फैसलों को वैधता देने का प्रयास किया। डीक्रूटा का आरोप है कि यह न सिर्फ सरकारी आदेशों की अवहेलना है, बल्कि राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद को भी जानबूझकर भ्रमित करने का गंभीर मामला है। विश्वविद्यालय के 200 से अधिक टीचिंग व नॉन-टीचिंग स्टॉफ सदस्यों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित ज्ञापन के माध्यम से राज्यपाल और हरियाणा सरकार से फिर से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। डीक्रूटा का कहना है कि अगर इसी प्रकार विवि. एक्ट को नजरअंदाज कर फैसले होते रहे, तो यह न सिर्फ विवि. की स्वायत्तता और पारदर्शिता को खत्म करेगा, बल्कि हरियाणा सरकार द्वारा 273 एकड़ जमीन पर जनता के पैसे से स्थापित दीनबंधु छोटूराम के नाम की यह संस्था धीरे-धीरे अव्यवस्था का शिकार होकर बर्बाद हो जाएगी।

प्रधान ने कहा-डीक्रूटा ने किया था आगाह

डीक्रूटा के प्रधान डॉ. अजय कुमार ने कहा कि विवि के कुलपति ने ईसी में सदस्यों की नियुक्ति के समय जब नियमों को ताक पर रखा था तो डीक्रूटा ने उन्हें आगाह किया था, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में राज्यपाल को शिकायत भेजी गई, जिसके बाद अब खुलासा हुआ है कि राज्यपाल को भी अंधेरे में रखा गया। इस मामले में व्यापक कार्रवाई के लिए सरकार व राज्यपाल को फिर से लिखा गया है।

कुलपति ने कहा : कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि नियमों की अवहेलना के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। ईसी के सदस्यों की नियुक्ति विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार ही की गई है। कहीं कोई नियम नहीं तोड़ा गया।

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