सुशील शर्मा/निस
लोहारू, 21 मार्च
ऐतिहासिक लोहारू रियासत का नाम एक बार फिर देश के मानचित्र पर उभरे हुए अक्षरों में उकरने वाला है। इस बार यह नगरी जयपुर, बीकानेर और जोधपुर की तर्ज पर एक पर्यटन नगरी के तौर पर उभरकर आएगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने इसके लिए हाल ही में घोषित बजट में विशेष हिस्सा घोषित कर दिया है। दैनिक ट्रिब्यून ने जनहित के इस मुद्दे को अपने 5 जनवरी और 18 जनवरी के अंकों में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
लोहारू किले सहित इस नगर को पर्यटन केंद्र घोषित कराने में यहां से पैतृक तौर पर जुड़े जयपुर जिला विकास परिषद के अध्यक्ष एवं इतिहासविद् डाॅ. उमाशंकर शर्मा तथा पूर्व मंत्री जेपी दलाल के विशेष प्रयास रहे। डाॅ. उमाशंकर ने लोहारू को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए बजट घोषणा से कुछ समय पूर्व प्रदेश सरकार से पत्राचार करके सही समय पर गर्म लोहे पर वार किया। वहीं उन्होंने इस मामले पर स्थानीय नेता जेपी दलाल से भी सरकार तक यह मांग पहुंचाने की अपील की।
लोहारू में चार शताब्दियों पूर्व के लोहारू किले को हालांकि पुरातत्व विभाग में सौंपा हुआ है, लेकिन उचित बजट में अभाव में इस किले की अनेक वास्तुकला की कलाएं और नक्काशी नष्ट हो चुकी हैं। अब सरकार द्वारा इसे पर्यटन केंद्र घोषित करने से लोगों में उम्मीद बनी है कि उनकी यह ऐतिहासिक धरोहर जिंदा रह सकेगी। किले के साथ-साथ यहां राजपूत राजाओं का रणक्षेत्र और उनकी कुर्बानियों की याद में बने स्मारक स्थल, युद्ध में वफादार कुत्ते का स्मारक, ऐतिहासिक तालाब आदि अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं जिनमें अब जान फूंके जाने की आस लोगों में पैदा हुई है।

