रोहतक, 24 फरवरी (निस)
दमन विरोधी दिवस मनाकर किसान संगठनों ने बुधवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर किसान सभा के जिला सचिव सुमित सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान तीन महीने से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार दमनकारी नीतियां अपना रही है। सरकार ने सैकड़ों किसानों के खिलाफ झूठे मुकद्दमे दर्ज कर उन्हें जेलों में डाल दिया है। सुमित सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज को दबा नहीं सकती है और हर हाल में उसे तीन काले कानून वापस लेने पड़ेगे। इस अवसर पर डॉ़ रणबीर दहिया, धर्मबीर हूडा, विनोद, रणबीर ने जेलों में बंद निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को खारिज कर सभी को बिना शर्त रिहा करने की मांग की। इसके अलावा दिल्ली पुलिस, एनआईए और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों को डराने के लिए भेजे जा रहे नोटिस रद्द करने, बॉर्डरों पर पुलिस प्रशासन द्वारा बन्द किये गए रास्तों को खोलने की भी मांग की। किसानों ने कहा कि आंदोलन के दौरान जब्त किये ट्रैक्टर व अन्य वाहन उनके मालिकों को लौटाये जायें।
सोनीपत (हप्र) : विभिन्न संगठनों ने बुधवार को लघु सचिवालय पर एकत्रित होकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए देश के राष्ट्रपति के नाम नायब तहसीलदार बलवान सिंह को ज्ञापन दिया है। किसान संगठनों ने इस दौरान दमन विरोधी दिवस मनाते हुए कहा कि किसानों पर बहुत अत्याचार हो चुका है, लेकिन अब आगे और सहन नहीं होगा। किसान संगठनों के साथ कर्मचारी संगठन व छात्र एकता मंच के सदस्य भी मौजूद रहे। किसानों ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं। केन्द्र सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने की बजाय किसानों पर ही मामले दर्ज किसानों को जेल में डाल रही है। किसान संगठनों ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर धरना देते हुए राष्ट्रपति के नाम नायब तहसीलदार को ज्ञापन दिया है।
यह हैं मांगें
ज्ञापन में मांग की है कि जेलों में बंद निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज केस खारिज कर उन्हें तुरंत बिना शर्त रिहा करना चाहिए। किसानों और उनके संघर्ष के समर्थक व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को खारिज कर दिया जाए। दिल्ली पुलिस, एनआईए और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों को भेजे जा रहे नोटिस को तुरंत रोका जाना चाहिए और पहले के नोटिस को रद्द कर दिया जाना चाहिए। दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस घेराबंदी के नाम पर बंद सड़कों को आम आदमी के लिए खोला जाना चाहिए।
दिल्ली की सीमाओं पर खोले जायें रास्ते
रोहतक (हप्र) : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर अखिल भारतीय किसान सभा और राष्ट्रीय मजदूर संगठन सीटू के नेतृत्व में किसानों ने महम तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम 6 सूत्री मांगपत्र दिया। किसान सभा के जिला कोषाध्यक्ष बलवान सिंह ने बताया कि उन्होंने मांग की है कि जेलों में बंद निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को खारिज कर सभी को तुरंत बिना शर्त रिहा किया जाए। दिल्ली की सीमाओं पर किसान मोर्चा की घेराबंदी के नाम पर पुलिस प्रशासन द्वारा बंद किए गए रास्तों को खोला जाए। इसके अलावा आंदोलन के दौरान जब्त किए गए टैक्टर व अन्य वाहन उनके अधिकृत मालिकों को लौटाए जाएं।
‘किसान आंदोलन को लेकर सरकार गंभीर नहीं’
रेवाड़ी (निस) : जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों ने बुधवार को दमन विरोधी दिवस मनाया और बावल के तहसीलदार मनमोहन सिंह को ज्ञापन सौंपा। इससे पहले सभी किसान बावल के अंबेडकर पार्क में एकत्रित हुए। इस मौके पर रामकिशन महलावत, बावल-84 के प्रधान सुमेर सिंह, नेहरा खाप के प्रधान प्रभुदयाल, अतर सिंह, बलबीर छिल्लर, कालूराम, राजबाला यादव, ईशा शर्मा, जगत सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसान आंदोलन को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। इस समस्या का समाधान निकालने की बजाय सरकारें किसानों पर जुल्म ढहा रही हैं। ज्ञापन में मांग की गई है कि जिन किसानों पर सरकार ने मुकदमे दर्ज किए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। 26 फरवरी को युवा किसान दिवस व 27 को मजदूर किसान एकता दिवस मनाया जाएगा।
टिकैत के संसद घेराव से सहमत नहीं किसान
पलवल (हप्र) : नेशनल हाइवे-19 पर किसानों का धरना बुधवार को भी जारी रहा। यहां टिकैत द्वारा संसद घेराव के ऐलान से किसान सहमत नहीं हैं। 52 पालों के प्रधान अरुण जेलदार का कहना है पलवल का धरना पालों और पंचों के नेतृत्व में चल रहा है, यहां जो भी आदेश आता है पहले उस पर मंथन और विचार विमर्श किया जाता है बाद में किसान उसे फॉलो करते हैं। संसद घेराव को लेकर वह पहले पालों के पंचो के साथ गावों के किसानों-मजदूरों के साथ बैठक करेंगे और उसके बाद फैसला लेंगे कि संसद घेराव करना है या नहीं। उन्होंने कहा कि टिकैत ने तो खड़ी फसलों को आग लगाने कि भी बात कही थी लेकिन हमने यह फैसला लिया था कि फसलों में आग नहीं लगायेंगे बल्कि गऊशालाओं में दान कर देंगे।
लक्खा की पंचायत से संयुक्त मोर्चा ने झाड़ा पल्ला
झज्जर, 24 फरवरी (हप्र)
पंजाब में लाल किला हिंसा के आरोपी लक्खा सिंह सिंघाना द्वारा की गई किसान पंचायत से संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने पल्ला झाड़ लिया है। टीकरी बॉर्डर पर मीडिया के सामने किसान नेताओं ने कहा कि लक्खा सिंह सिंघाना द्वारा की गई किसान पंचायत से संयुक्त मोर्चा का कोई लेना-देना नहीं है। वह लक्खा की निजी पंचायत थी। भाकियू के प्रगट सिंह ने राकेश टिकैत के उस बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें टिकैत ने संसद भवन पर किसानों द्वारा झंडा फहराने की बात कही है। प्रगट सिंह का कहना है कि टिकैत का यह बयान उनका निजी बयान है और इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं है। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकाली ट्रैक्टर परेड के बारे में उन्होंने कहा कि टिकैत ने उस दिन के लिए केवल इंडिया गेट के पार्क पर हल चलाने की बात कही थी न कि कुछ ओर। प्रगट सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए दिल्ली के सभी बॉर्डर पर शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलता रहेगा। आज देशभर में किसान दमन विरोधी दिवस मना रहे हैं।
100 रुपये प्रति लीटर दूध के रेट का समर्थन
सोशल मीडिया पर चल रहे सौ रुपये प्रति लीटर दूध का भाव पर टीकरी बॉर्डर पर धरने में शामिल एक महिला ने इस वीडियो को सहीं ठहराया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से महंगाई चल रही है और चारे के जिस तरह से दाम बढ़ रहे उसके बाद दूध का भाव सौ रुपये प्रति लीटर होना ही चाहिए।