रोहतक, 1 दिसंबर (निस)
जिले के गांव गढ़ी बोहर स्थित धर्मशाला के नामकरण मामले ने तूल पकड़ लिया है। दक्ष प्रजापति, दलित एवं पिछड़ा वर्ग समाज के लोग असमाजिक तत्वों द्वारा धर्मशाला के नाम का बोर्ड उखाड़ने के विरोध में सड़कों पर उतर आए और लघु सचिवालय के बाहर सड़क जाम कर धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार जानबूझ कर इस मामले में चुप्पी साधे हुए है और मेयर भी पार्षदों के समर्थन की अनदेखी कर रहे हैं। जब तक धर्मशाला का नाम दक्ष प्रजापति के नाम पर नहीं रखा जाता और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों ने इस संबंध में उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा है।
मंगलवार को दक्ष प्रजापति व दलित एवं पिछड़ा वर्ग समाज के लोग मानसरोवर पार्क में एकत्रित हुए और शहर में प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय का घेराव किया। दलित नेता कांता आलड़िया ने कहा कि आज दलित एवं पिछड़ा वर्ग पर लगातार अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है। उन्होंने कहा कि कई बार इस प्रकरण को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन प्रशासन असामाजिक तत्वों के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला के नामकरण को लेकर 17 पार्षद अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन मेयर पार्षदों की भी अनदेखी कर रहे हैं।
इस प्रकरण को लेकर समस्त दलित समाज, पिछड़ा वर्ग का रमेश बोहर को कमेटी का चेयरमैन मनोनीत किया गया। रमेश बोहर ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने गांव गढ़ी बोहर में कुम्हार/प्रजापति समाज की धर्मशाला के लिए एक हजार गज जमीन दी थी, जिसका निर्माण कार्य मारुति सुजुकी कम्पनी द्वारा किया गया। कुम्हार समाज ने धर्मशाला में महाराजा दक्ष प्रजापति के नाम का बोर्ड लगा दिया था, जिसे असामाजिक तत्वों ने उखाड़ दिया है। इतना ही नहीं नगर निगम की बैठक में भी इस धर्मशाला के नामकरण को लेकर 17 पार्षद समर्थन कर चुके हैं, लेकिन मेयर भी पार्षदों के समर्थन की अनदेखी कर रहे हैं। रमेश बोहर ने चेताया कि अगर जल्द धर्मशाला का नाम दक्ष प्रजापति के नाम से नहीं किया गया और असामाजिक तत्वों के खिलाफ केस दर्ज नहीं हुआ तो पूरे प्रदेश में दलित पिछड़ा वर्ग सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा। उपायुक्त ने प्रदर्शनकारियों को मामले की जांच व उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रदर्शनकारियों में लोकीराम, किशोरी लाल प्रजापति, राजपाल प्रजापति, जयभगवान, जितेन्द्र दक्ष, प्रमोद सिंहपुरिया, मनजीत मोखरा, सतीश प्रजापत, प्रिंस मल्होत्रा, मदन मुंगाना, रेनु डीघल व मुकेश प्रजापति प्रमुख रूप से शामिल रहे।