Teachers Protest आठ महीने से वेतन न मिलने पर एडिड स्कूल शिक्षकों का नग्न प्रदर्शन
7 नवंबर से जेल भरो आंदोलन की चेतावनी
Teachers Protest पंजाब के सहायता प्राप्त स्कूलों (एडिड स्कूलों) के शिक्षक अब अपने हक के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। आठ महीने से वेतन न मिलने से तंग आकर शनिवार को तरनतारन में हजारों शिक्षकों ने राज्य स्तरीय विरोध रैली निकाली, जो धीरे-धीरे एक उग्र प्रदर्शन में बदल गई। गुस्से में कुछ पुरुष शिक्षकों ने कपड़े उतारकर आम आदमी पार्टी के चुनाव कार्यालय के सामने नारे लगाए और धरना दिया। इस अभूतपूर्व प्रदर्शन ने प्रशासन और सरकार दोनों को हिला दिया।
गांधी पार्क से शुरू हुई इस विशाल रैली में पंजाब के अलग-अलग जिलों से शिक्षक शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार पिछले आठ महीनों से वेतन अनुदान जारी नहीं कर रही, जिससे सैकड़ों परिवार आर्थिक संकट में हैं। किसी के घर राशन खत्म है, किसी का मकान किराया बकाया है, तो किसी के बच्चों की फीस रुकी हुई है।
शिक्षकों का कहना था कि वे शिक्षा दे रहे हैं, पर खुद अपने घर की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे। प्रदर्शनकारियों ने वित्त विभाग पर ‘जानबूझकर देरी और अनावश्यक जांच’ के आरोप लगाए और कहा कि सरकार उनके साथ ‘अमानवीय व्यवहार’ कर रही है।
सड़कों पर गूंजे नारे ‘सरकार जवाब दो’
तरनतारन की मुख्य सड़कों से मार्च करते हुए शिक्षक आम आदमी पार्टी के चुनाव कार्यालय पहुंचे। वहां गुस्से में कुछ शिक्षकों ने कपड़े उतार दिए और पूरे दिन नारेबाजी की। प्रदर्शन स्थल पर ‘हम भूखे हैं, शर्म सरकार को आनी चाहिए’ जैसे बैनर लगाए गए। इस बीच पुलिस और प्रशासन ने मौके पर सुरक्षा बढ़ा दी, लेकिन शिक्षकों का प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।
पंजाब एडिड स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष गुरमीत सिंह मदनीपुर और महासचिव शरणजीत सिंह कदीमाजरा ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने शिक्षकों के धैर्य की सीमा पार कर दी है। ‘हमने स्कूलों में सेवा दी, लेकिन बदले में अपमान मिल रहा है।’
सात से जेल भरो आंदोलन
वहीं पंजाब एडिड स्कूल पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गुरचरण सिंह चहल और महासचिव डॉ. गुरमीत सिंह ने कहा कि अगर 7 नवंबर तक अनुदान जारी नहीं हुआ तो पंजाब के हर जिले से शिक्षक तरनतारन पहुंचेंगे और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के बाहर जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे।
उन्होंने साफ कहा, ‘अब यह संघर्ष सैलरी का नहीं, सम्मान का है।’ जनता ने जताई सहानुभूति, लेकिन सरकार ने साधी चुप्पी धरने के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शिक्षकों के समर्थन में पहुंच गए। लोगों ने कहा कि सरकार को ऐसे हालात बनने ही नहीं देने चाहिए थे। प्रदर्शन स्थल पर दिनभर नारेबाजी, गीत और तख्तियां शिक्षकों की पीड़ा का प्रतीक बनी रहीं। सरकारी प्रवक्ता की ओर से देर शाम तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

