चंडीगढ़, 6 नवंबर (एजेंसी) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पेट्रोल-डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) में कमी की मांग को लेकर पंजाब में कांग्रेस सरकार के खिलाफ शनिवार को यहां विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में अकाली प्रदर्शनकारियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ईंधन पर कर कम करके लोगों को राहत नहीं देने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के आवास को घेरने की कोशिश करने पर चंडीगढ़ पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस कार्रवाई में कुछ अकाली कार्यकर्ता घायल हो गए। सुखबीर ने पत्रकारों से बात करते हुए ईंधन पर कर में कटौती नहीं करने के लिए कांग्रेस नीत सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘सभी राज्यों ने ईंधन की कीमतों में कमी की है। लेकिन इस सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया।’ उन्होंने ईंधन की खुदरा कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की कमी करने की मांग की। शिअद के कार्यकर्ताओं ने सरकार से उन किसानों को उचित मुआवजा देने की भी मांग की, जिनकी फसल हाल में हुई बारिश और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई है। बादल ने कहा, ‘किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है और चन्नी सरकार सो रही है। किसानों को प्रति एकड़ 50 हजार रुपये का नुकसान हुआ है। हम यहां राज्य सरकार को जगाने आए हैं।’ बादल ने कहा, ‘किसान अपनी फसलों की बुआई के लिए आवश्यक डाइ-अमोनियम फॉस्फेट की कमी का सामना कर रहे हैं।’ शिअद प्रमुख ने चन्नी और कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू पर लोगों के मुद्दों को सुलझाने के बजाय एक-दूसरे से ‘लड़ने’ का आरोप लगाया। उन्होंने उनसे दिल्ली कांग्रेस की नई कार्यकारिणी समिति में एक स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में जगदीश टाइटलर की हाल में नियुक्ति पर उनके रुख के बारे में भी पूछा। टाइटलर को लंबे समय से 1984 के सिख विरोधी दंगों के मुख्य आरोपियों में से एक के रूप में नामित किया गया है। बादल के साथ बिक्रम सिंह मजीठिया और दलजीत सिंह चीमा सहित अन्य वरिष्ठ अकाली नेता मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने वाली सड़क पर धरने पर बैठे थे। पुलिस ने बाद में अकाली नेताओं और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा हाल में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः पांच रुपये और 10 रुपये की कटौती करने का फैसला लिया गया था।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।