चंडीगढ़, 26 जून (ट्रिन्यू)
पंजाब की राजनीति में सिमरनजीत सिंह मान एक ऐसा चेहरा हैं जो लंबे समय से अपने बूते पर गरमपंथी राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। कभी अफीम की खेती का समर्थन करने तो कभी युवाओं को गरमपंथी लहर से जुडऩे के सुझाव देने वाले सिमरनजीत सिंह मान पंजाब कॉडर के आईपीएस रहे हैं। सिमरनजीत सिंह मान का जन्म 20 मई 1945 को एक राजनीतिक घराने में हुआ। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल जोगिंदर सिंह मान 1967 में विधानसभा स्पीकर भी रहे। 1966 में सिविल सर्विसिज की परीक्षा पास करने के बाद 1967 में वह आईपीएस चुने गए। इस दौरान वह लुधियाना में एएसपी, अमृतसर तथा फरीदकोट में एसएसपी रहे। इस मान मुंबई में सीआईएसएफ के ग्रुप कमांडेंट भी रहे। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब जून 1984 में आप्रेशन ब्लू स्टार के आदेश जारी किए तो सिमरनजीत सिंह मान ने दरबार साहिब पर हुए हमले के विरोध में पुलिस की नौकरी छोड़ दी और मान जिस पुलिस की नेतृत्व कर रहे थे उसी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी। इसके बाद नेपाल बार्डर पर सिमरनजीत मान को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में मान के खिलाफ मामला दर्ज करके जेल भेज दिया गया। पांच साल तक लगातार भागलपुर की जेल में नजरबंद रहे मान ने 1989 के लोकसभा चुनाव में तरनतारन हलके से नामांकन भरा। उन्होंने 5,27,707 वोट लेकर रिकॉर्ड जीत कायम की। तरनतारन से लोकसभा सदस्य बनने पर उन्हें रिहा किया गया। जेल से चुनाव लडक़र 93.92 फीसदी वोट हासिल करने वाले मान का रिकॉर्ड 30 साल बाद भी कोई नहीं तोड़ पाया है। मान ने 1999 में दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। उन्होंने संसद में कृपाण हाथ में लेकर जाने की जिद्द की जिसे लेकर देशभर में हंगामा हुआ।
लोकसभा में उठायेंगे बंदी सिखों की रिहाई का मुद्दा : मान
संगरूर से सांसद बने शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान ने कहा है कि अब वह बंदी सिखों की रिहाई का मुद्दा लोकसभा में उठाएंगे। मान ने कहा कि वह पिछले लंबे समय से एक विचारधारा के साथ बंदी सिखों की रिहाई का मुद्दा उठा रहे हैं। कुछ लोगों ने इस मुद्दे को हाईजैक करने का प्रयास किया लेकिन संगरूर की जनता ने आज उन्हें जवाब दे दिया है। मान ने कहा कि जो सिख जेलों में अपनी सजा पूरी कर चुके हैं उन्हें मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर रिहा होने का पूरा अधिकार है। मान ने कहा कि वह अब रणनीतिक रूप से इस मुद्दे पर लड़ेंगे। मान ने कहा कि वे केंद्र सरकार से मांग करते हैं अटारी-बाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान के साथ कारोबार को बढ़ावा दिया जाए। इससे पंजाब के किसान अपनी फसल को पाकिस्तान के रास्ते इरान भेज सकेंगे।
खालिस्तानी एजेंडा शांति के लिए खतरा : बिट्टू
बंदी सिखों की रिहाई का विरोध करने वाले पंजाब के लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत बिट्टू ने संगरूर लोकसभा उपचुनाव में सिमरनजीत सिंह मान की जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मान लंबे समय से पंजाब में खालिस्तानी एजेंडा चला रहे हैं। यह एजेंडा पंजाब की अमन-शांति के लिए खतरा है। रवनीत बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पौत्र हैं। बेअंत सिंह ने पंजाब में आतंकवाद का खात्मा किया था। जिसके बाद आतंकियों ने पंजाब सचिवालाय में उन्हें बम से उड़ा दिया था। रवनीत बिट्टू ने कहा कि लोकतंत्र में जनता का फतवा हमेशा ही सर्वोच्च होता है। इस बार सिमरनजीत के हक में दिया गया है, हालांकि मान की विचारधारा अतीत में पंजाब व हमारी कौम के लिए जहरीली साबित हुई है।
आप ने भुगता मूसेवाला हत्याकांड का खामियाजा
पंजाब में लंबे समय के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब सत्तारूढ़ राजनीतिक दल को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव प्रचार के दौरान जहां सूबे की कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा बनी रही वहीं पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या तथा इस मामले में पुलिस द्वारा की जा रही खानापूर्ति का खमियाजा आप सरकार को भुगतना पड़ा है। संगरूर सीट पर हुए उपचुनाव में पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का हत्याकांड छाया रहा। विरोधी पार्टियों ने इसके लिए भगवंत मान की अगुआई वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मूसेवाला इस चुनाव में शिअद (अमृतसर) के सिमरजीत सिंह मान के लिए प्रचार करने वाले थे। इसी वजह से संगरूर सीट पर यूथ आप का साथ छोड़ मान का प्रचार करता रहा। इसी वजह से सिमरनजीत मान का पूरा दबदबा दिखा।
पंजाब की खुशहाली के लिए मेहनत करेंगे : भगवंत
संगरूर ने पंजाब की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं। उपचुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट करके कहा कि लोगों का फतवा सिर-माथे पर है। मैं पंजाब की तरक्की और खुशहाली के लिए दिन-रात ईमानदारी के साथ मेहनत कर रहा हूं तथा और मेहनत करूंगा। मैं आपका बेटा हूं। आपके परिवारों के भविष्य को रोशन बनाने के लिए कोई कसर नहीं रहने दूंगा। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा तथा कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने सिमरनजीत सिंह मान को इस जीत पर बधाई देते हुए आम आदमी पार्टी की हार पर खुशी जताई है। आप की हार में कांग्रेस नेता अपनी हार को भूल गए हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने अरविंद केजरीवाल तथा राघव चड्ढा को पंजाब में दखल नहीं देने की सलाह दी है। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सिमरनजीत सिंह मान की जीत पर शुभकामनाएं दी।