नयी शिक्षा नीति संघीय मूल भावना के खिलाफ, देश की सांस्कृतिक एकता पर हमला : डीटीएफ
समराला, 18 मई (निस)
केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा देश पर थोपी गई नई शिक्षा नीति - 2020 को देश के संविधान के अनुसार संघीय ढांचे में विकसित हो रही विभिन्न संस्कृतियों पर एक तीखा प्रहार है। यह विचार आज यहां प्रसिद्ध नाट्यकार और शिक्षक नेता स्वर्गीय मास्टर तरलोचन सिंह की याद में डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट द्वारा आयोजित ‘चेतना कन्वेंशन’ में व्यक्त किए गए, जिसमें शिक्षा के केंद्रीकरण, निजीकरण और भगवाकरण के संदर्भ में नई शिक्षा नीति - 2020 पर चर्चा की गई। इस अवसर पर डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष विक्रमदेव सिंह ने अपने विचार प्रकट किए।
उन्होंने कहा कि जिस तरह अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने शैक्षणिक संस्थानों और अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला कर उनकी ग्रांटों पर प्रतिबंध लगाए, उसी तरह भारत में भी आरएसएस के इशारे पर भाजपा सरकार शिक्षा का केंद्रीकरण और भगवाकरण कर रही है। इसके तहत पूरे देश में एक ही शिक्षा नीति लागू कर विभिन्न संस्कृतियों पर हमला करने की साज़िश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि भारत एक संघीय ढांचे पर आधारित देश है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियां बसती हैं, इसलिए पूरे देश में एक समान नीति लागू करना अनुचित और अन्यायपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर स्थानीय संस्कृतियों को दबाया जा रहा है और यह नयी शिक्षा नीति सांस्कृतिक विविधता को नष्ट कर देगी।
उन्होंने कहा कि देश में विभिन्न धर्म, भाषाएं और बोलियां हैं, ऐसे में एक ही शिक्षा नीति उपयुक्त नहीं हो सकती। शिक्षा देश का भविष्य तय करती है, और बच्चों को एक ही विशेष विचारधारा से नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने कहा कि देश की सभी संस्कृतियों को आरएसएस की विचारधारा से जोड़ना उचित नहीं है।
इस अवसर पर रमनजीत सिंह संधू (जिला अध्यक्ष), रुपिंदरपाल सिंह जंडियाली (जिला सचिव), सुखविंदर सिंह लील (डेमोक्रेटिक मज़दूर फ्रंट), दीप दिलबर और हरजिंदरपाल सिंह ने भी अपने विचार साझा किए।
इस मौके पर बड़ी संख्या में शिक्षक और महिला शिक्षक उपस्थित रहे।