गुरतेज प्यासा/निस
संगरूर, 23 मार्च
नाभा जेल ब्रेक मामले में साढ़े सात साल बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एचएस ग्रेवाल की अदालत ने 22 आरोपियों को दो से 10 साल की सजा सुनाई है। विदित हो कि यह मामला लगभग साढ़े 7 वर्ष तक चला, जिसकी कार्यवाही हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेशों के आधार पर प्रतिदिन संचालित की गयी। इसमें गुरप्रीत सिंह मंगेवाल, मंजीत सिंह, गुरजीत सिंह लाडा, सहायक जेल अधीक्षक भीम सिंह, जगमीत सिंह, मनजिंदर सिंह, सुलखान सिंह, गुरप्रीत बब्बी खेड़ा, पलविंदर पिंडा, गुरप्रीत सेखों, किरणपाल, सुखचैन, राजविंदर, कुलविंदर टिबरी, सुनील कालरा, अमनदीप धोडियान, अमन समेत दो अन्य लोगों के नाम शामिल हैं जबकि नरेश नारंग, जितिंदर, मोहम्मद आसिम, तेजिंदर शर्मा, रविंदर विक्की सहोता और रंजीत को बरी कर दिया गया है।
बता दें ये वही लोग हैं जो 2016 में लग्जरी कारों में सवार होकर नाभा हाई सिक्योरिटी जेल के गेट पर आए थे और आते ही अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। इस हमले के बाद उन्होंने जेल में बंद कैदियों को छुड़ाया और उन्हें गाड़ियों में लेकर फरार हो गए। इस मामले में नाभा पुलिस ने कुल 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिनकी पहचान भवानीगढ़ निवासी कुलदीप सिंह और अशोक विहार निवासी निर्मल खान के रूप में हुई है। पलविंदर पिंडा ने इसका नक्शा तैयार किया था जबकि प्रेमा ने साजो-सामान की मदद की और मणि ने हथियारों की व्यवस्था की थी। इस जेलब्रेक को कुल 12 लोगों ने अंजाम दिया था। घटना के बाद विक्की गौंडर और प्रेमा लाहौरी दोनों गंगानगर स्थित एक घर में छिपे हुए थे, जिसका एनकाउंटर साल 2018 में हुआ था। हालांकि इसी साल केएसएफ हरमिंदर सिंह मिंटू मुख्य आतंकी जेल में मर गया था।