समराला (निस) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने पिछले 9 वर्षों के दौरान भारत में बड़े कारपोरेट घरानों के हितों की सेवा की है, जबकि देश में भूख, महंगाई और बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। महंगाई इस चरम सीमा पर पहुंच रही है कि हर जरूरी सामान आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। यह बात ट्रेड यूनियन नेता, लेखक एवं पंजाबी साहित्य सभा समराला के संरक्षक बिहारी लाल सद्दी ने पत्रकारवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले मोदी सरकार ने लोगों से बड़े-बड़े वादे किए थे। कि वे रोजगार देंगे और गरीबी और भुखमरी पर नियंत्रण करेंगे, लेकिन उनके ये वादे और दावे खोखले साबित हुए।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश को बड़े कॉरपोरेट घरानों के हवाले कर दिया है. उन्होंने कहा कि जब भी कोई अपने अधिकारों की बात करता है तो धर्म के नाम पर जनता को सार्वजनिक मुद्दों से भटकाने की कोशिश की जाती है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।