चरणजीत भुल्लर
चंडीगढ़, 26 सितंबर
हिमाचल प्रदेश पिछले 44 वर्ष से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) का पानी मुफ्त ले रहा है, जिसका पंजाब सरकार ने कभी विरोध नहीं किया। एक अहम खुलासे में सामने आया है कि हिमाचल प्रदेश 1978 से अब तक बीबीएमबी में बिना हिस्सेदारी के 358 क्यूसेक पानी मुफ्त ले चुका है। अब मंगलवार से बीबीएमबी पूरी तरह केंद्र के अधीन आ जाएगा और इसके साथ ही हिमाचल को ज्यादा पानी मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं, बीबीएमबी में पंजाब का स्थायी प्रतिनिधित्व आज समाप्त हो गया। इसके सदस्य (पावर) हरमिंदर सिंह चुघ ने मियाद पूरी होने पर आज चार्ज छोड़ दिया। वहीं, हरियाणा सरकार ने 9 सितंबर 2020 को अपने सदस्य (सिंचाई) गुलाब सिंह नरवाल को बीबीएमबी से वापस बुला लिया था। उसके बाद 23 अक्तूबर 2020 को हरियाणा से तीन सदस्यों का पैनल केंद्र को भेजा गया था, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई। गौर हो कि केंद्र ने 23 फरवरी को बीबीएमबी से पंजाब और हरियाणा के स्थायी प्रतिनिधित्व को खत्म करने की अधिसूचना जारी की थी। नये सदस्यों की नियुक्ति के लिए ऐसी योग्यता और शर्तें तय की गई हैं कि पंजाब से कोई भी सदस्य नियुक्त नहीं हो सकेगा।
जानकारी के अनुसार, भाखड़ा नंगल समझौते 1959 और 31 दिसंबर 1981 के अंतर्राज्यीय समझौते के तहत पंजाब, हरियाणा और राजस्थान का बीबीएमबी के पानी में हिस्सा है, जबकि हिमाचल प्रदेश के लिए कोई आवंटन नहीं है। बीबीएमबी की प्रशासनिक इकाई ने इन वर्षों में 15 बार एजेंडा पास कर हिमाचल प्रदेश को ‘अच्छी भावना’ के तहत मुफ्त पानी देने का फैसला किया, जिसका पंजाब सरकार ने कभी विरोध नहीं किया। जुलाई 2022 में हुई बीबीएमबी की 242वीं बैठक में हिमाचल ने नालागढ़ थीम पार्क के लिए नंगल हाइडल चैनल से 10 एमएलडी पानी मांगा था। इस बैठक में पहली बार पंजाब सरकार ने हिमाचल को पानी देने पर विरोध दर्ज कराया, जिसके चलते एजेंडा टालना पड़ा। हिमाचल की इस मांग के पंजाब के विरोध का हरियाणा और राजस्थान ने भी समर्थन किया था।
चुनाव से पहले सियासी हलचल
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य को और 10 एमएलडी पानी मुफ्त देने पर चर्चा शुरू कर दी है। सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई एक बैठक में इस पर बात हुई। सूत्रों के अनुसार बीबीएमबी के चेयरमैन संजय श्रीवास्तव और सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार ने इसमें भाग लिया। जानकारी के मुताबिक ऊर्जा मंत्रालय के सचिव ने जब हिमाचल प्रदेश को पानी देने का मुद्दा उठाया तो पंजाब सरकार ने कड़ा विरोध किया।