पेपर चेकर्स को समय पर नहीं दिया जा रहा मेहनत भत्ता
संगरूर, 17 मई (निस)
वित्तीय संकट में चल रही पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला अपनी परीक्षाएं के पेपर चेकर्स को मिहनत भत्ता देने में असफल रहने के कारण परीक्षाएं के समय पर रिजल्ट घोषित करने में विफल रही है। परीक्षा के बाद विद्यार्थियों को फेल या पास करने वाली पंजाबी यूनिवर्सिटी परीक्षा के नतीजे घोषणा करने के मामले में खुद फेल हो गई है। वित्तीय संकट के कारण पेपर चेकर्स को चेकिंग के बदले पैसे नहीं दिये जा रहे जिसके कारण समय पर पेपरों की चेकिंग नहीं हो पा रही है। कई परीक्षाओं के परिणाम लंबित हैं और छात्र चिंतित हो रहे हैं। 2024 सेमेस्टर के रिजल्ट और सप्लाई का इंतजार अभी खत्म नहीं हुआ है और अगले सेमेस्टर की परीक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। पंजाबी यूनिवर्सिटी दिसंबर 2024 सेमेस्टर परीक्षाओं का सिर्फ 30 से 35 फीसदी परिणाम ही घोषित कर पाई है, जबकि 70 से 75 फीसदी पेपरों के परिणाम अभी बाकी हैं। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का अब तक कुल बकाया भुगतान लगभग रु. 8 करोड़ 76 लाख रु. परीक्षा संचालन से संबंधित बकाया राशि रु. 02 करोड़ रु. पेपर सेट प्राप्त करने से संबंधित बकाया राशि लगभग 1.5 करोड़ रुपये है। पेपर चेकिंग भत्ता न मिलने के कारण अध्यापक पंजाबी यूनिवर्सिटी के पेपर चेक करने से मुंह मोड़ रहे हैं। जो परिणामों को प्रभावित करते है।
इस संबंध में उपकुलपति करमजीत सिंह का कहना है कि नतीजों में देरी गंभीर मामला है और इसकी जांच कराई जाएगी। पेपर चेक का भुगतान न होने के संबंध में वीसी ने कहा कि इसकी पूरी जानकारी नहीं है। 2024 सेमेस्टर के नतीजों में देरी पर हैरानी जताते हुए डॉ. करमजीत सिंह ने कहा कि नतीजे पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर घोषित किए जाएंगे।
यूनिवर्सिटी के अधीन आते कॉलेजों के सभी स्टाफ में असेसमेंट और ड्यूटी बकाया का भुगतान न होने के कारण भारी रोष है। कॉलेज स्टाफ ने पंजाबी यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर बकाया राशि का भुगतान करने की मांग की है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है। पेपर जांचने वाले एक शिक्षक ने बताया कि बार-बार अनुरोध के बावजूद विश्वविद्यालय पेपर चेकिंग के लिए भुगतान नहीं कर रहा है।
परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे छात्रों का कहना है कि 2024 के पुनर्मूल्यांकन पेपर के परिणाम में देरी के कारण छात्रों को जून 2025 के परीक्षा फॉर्म भरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कई छात्रों को अपने एसपीएल परिणामों के इंतजार में एक साल भी बर्बाद करना पड़ेगा।