चंडीगढ़, 4 दिसंबर (एजेंसी)
पंजाब के बठिंडा के एक किसान ने एयरोमॉडलिंग के क्षेत्र में उतरकर उड़ान के अपने बचपन के जज्बे को हकीकत के पंख लगा दिए हैं। अब उसने विद्यार्थियों को एयरोनॉटिक्स की बारीकियां पढ़ाने के लिए कई विश्वविद्यालयों के साथ हाथ मिलाया है।
किसान यादविंदर सिंह खोखर उच्च घनत्व (हाईडेंसिटी) के थर्मोकॉल से विभिन्न विमानों के मॉडल बना रहे हैं। उन्हें अपनी सृजनशीलता एवं नवोन्मेष को लेकर कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वह बठिंडा जिले में ‘भगता भाई का’ उप तहसील के सिर्येवाला गांव के निवासी हैं। उन्होंने कहा, ‘(बचपन में) पक्षी की तरह उड़ना चाहता था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1996 में जब खेती-बाड़ी करने लगा, तब भी मन में कहीं न कहीं यह इच्छा, यह उत्साह बना रहा।’
खोखर ने बठिंडा एवं मुक्तसर में ही प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। नाभा में पंजाब पब्लिक स्कूल से माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक कक्षाएं उत्तीर्ण की। उन्होंने दिल्ली के एक संस्थान से एयरोमॉडलिंग पर एक पाठ्यक्रम किया। जिसे सेना एवं वायुसेना के कुछ सेवानिवृत अधिकारी चलाते थे।
छात्रों को सिखाते हैं एयरोनॉटिक्स की बारीकियां
खोखर ने एयरोमॉडल बनाने के लिये गांव में अपने फार्महाउस पर एक एकड़ जमीन में रनवे, कार्यशाला और एयरोमॉडलिंग प्रयोगशाला बनायी। वह विभिन्न विमानों के मॉडल बनाते हैंं और उन्हें अपने खेतों के ऊपर उड़ाते हैं। उन्होंने कहा, ‘हाल में मैंने सी-130 हरक्यूलिस परिवहन विमान का मॉडल बनाया जो भारत में हाथ से बना सबसे बड़ा विमान मॉडल है और उसे अगस्त, 2022 में इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में जगह मिली है।’ खोखर ने कहा कि वह जो भी कर रहे हैं वह नागर विमानन महानिदेशालय के दिशानिर्देशों के दायरे में है। उन्होंने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, महाराजा रणजीत सिंह पंजाब टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, बठिंडा और जीएनए विश्वविद्यालय, फगवाड़ा से हाथ मिलाया है जहां वह विद्यार्थियों को एयरोनॉटिक्स की बारीकियां पढ़ाते हैं।