‘वर्ल्ड बुक फेयर’ जैसे आयोजन जनोपयोगी : आचार्य बालकृष्ण
चंडीगढ़, 10 फरवरी (ट्रिन्यू) राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, शिक्षा मंत्रालय के तत्वाधान में भारत मण्डपम, प्रगति मैदान, दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड बुक फेयर में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि ‘वर्ल्ड बुक फेयर’ जैसे आयोजन...
चंडीगढ़, 10 फरवरी (ट्रिन्यू)
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, शिक्षा मंत्रालय के तत्वाधान में भारत मण्डपम, प्रगति मैदान, दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड बुक फेयर में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि ‘वर्ल्ड बुक फेयर’ जैसे आयोजन जनोपयोगी हैं जिनमें विश्वस्तरीय ज्ञानपरक साहित्य सुलभ हो पाता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग-आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है। योग के विषय में आचार्य ने कहा कि गौरव की बात है कि योग की स्वीकार्यता आज पूरे विश्व में हो गई है।
आयुर्वेद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को आयुर्वेद के रूप में स्थापित करने के लिए वैश्विक स्तर पर जो कार्य होना चाहिए था, वस्तुतः वह नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद अपने आप में सम्पूर्ण विज्ञान है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमारे जीवन में रचा-बसा है जबकि एलोपैथी मजबूरी है। आयुर्वेद को यदि औषधि विज्ञान या जड़ी-बूटी के रूप में व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसके लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति के अनुरूप पदार्थों का उपयोग करते हुए प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन का प्रयास करना चाहिए। आचार्य ने बताया कि पतंजलि ने वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया के रूप में एक महाग्रंथ का प्रकाशन किया है जिसमें 32 हजार औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन है। इससे पहले केवल 12 हजार औषधीय पौधों की जानकारी ही उपलब्ध थी।

