25,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किसानों के लिए विनाशकारी
केंद्रीय रेल और खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने लुधियाना के आसपास के गांवों में 25,000 एकड़ कृषि भूमि अधिग्रहण करने के आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा यह कदम स्थानीय किसानों के लिए विनाशकारी होगा और राज्य नेतृत्व पर 'प्रॉपर्टी डीलरों' की तरह काम करने का आरोप लगाया। बिट्टू ने भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की, जिसे हाल ही में पंजाब कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। बिट्टू ने कहा- पंजाब के सबसे उपजाऊ और उत्पादक क्षेत्रों में से एक लुधियाना के 10 किलोमीटर के दायरे में लगभग सभी कृषि भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय कृषक समुदाय को तबाह कर देगा। केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव पंजाब के वित्त और आबकारी मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा तैयार किया गया था, जिन्हें उन्होंने संगरूर, अमृतसर और लुधियाना में हाल ही में हुई शराब की त्रासदी के लिए भी जिम्मेदार ठहराया।
बिट्टू ने आगे आरोप लगाया कि यह योजना दिल्ली स्थित आप नेताओं मनीष सिसोदिया और सतिंदर जैन से प्रभावित है, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया कि वे दोनों 'पंजाब में डेरा डाले हुए हैं' और राज्य के शासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लुधियाना के गांवों में जमीन की कीमत 5 से 10 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है। एक बार अधिग्रहण हो जाने के बाद किसानों के पास पुनर्वास या कृषि में अपनी आजीविका जारी रखने के लिए कोई नजदीकी विकल्प नहीं होगा। बिट्टू ने कहा कि सरकार द्वारा अधिगृहीत की गई भूमि किसानों के लिए उपयोग के दायरे से बाहर हो जाएगी क्योंकि उन्हें लैंड पूलिंग नीति का लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें आवासीय उद्देश्य के लिए प्लॉट तभी मिलेगा जब भूमि का विकास हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी भूमि को विकसित करने में कई साल लग सकते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पंजाब पहले से ही अत्यधिक शहरीकरण के प्रभावों से पीड़ित है। यह बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण राज्य के पारिस्थितिक असंतुलन को और खराब करेगा।