Dainik Tribune : आपकी राय

आपकी राय

कैसे बचें वन्य जीव प्रजातियां Other

Oct 31, 2022

जन संसद की राय है कि प्राकृतिक आपदाओं और मानव की गतिविधियों के कारण वन्य जीवों की लुप्त होती प्रजातियां चिंता का विषय है। इसके परिणामस्वरूप प्रकृति का संतुलन गड़बड़ा सकता है। ऐसे में जरूरत वनों के अंधाधुंध कटान पर राेक लगाने व संरक्षित क्षेत्र बनाने की है।

हस्तक्षेप रोकें

पिछले कुछ दशकों से वन्य जीवों की संख्या में गिरावट जैव विविधता के लिए चिंताजनक खबर है। ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, सुनामी आदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण वन्य जीवों के आवास नष्ट हो गए और परिणामस्वरूप इनकी संख्या में भारी कमी हो गई। वहीं जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य द्वारा आवास, कृषि, उद्यानों, कारखानों और संस्थानों के भवन बनाने हेतु वन-भूमि का उपयोग किया जा रहा है जिस से वन्य जीवों के अधिवास पर संकट उत्पन्न हो रहा है। प्रदूषण के कारण भी कई वन्य जीव प्रजातियां लुप्त हुई हैं। इन्हें बचाने हेतु वनों का संरक्षण किया जाए। अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों का विकास किया जाये। अवैध शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाये।

शेर सिंह, हिसार

सामंजस्य बने

वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है वनों का विकास व उनका संरक्षण। जनसंख्या वृद्धि, तकनीकी विकास के साथ ही हम स्वार्थ के वशीभूत प्रकृति का संरक्षण नहीं बल्कि दोहन करते चले जा रहे हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई से बारिश में कमी आती है, पर्यावरण मानक संकट में पड़ते हैं। वास्तव में, संरक्षित क्षेत्र जैव विविधता संरक्षण के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक हैं। वन्य क्षेत्रों, चारागाह भूमियों, वन्य जीव अधिवासों को संरक्षित करना होगा। प्रकृति और विकास के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा।

सुनील कुमार महला, पटियाला, पंजाब

मानवीय दखल रुके

पारिस्थितिकीय असंतुलन का एक मुख्य कारण जैव विविधता का प्रभावित होना है। जैव विविधता हमारी आहार शृंखला का अभिन्न अंग है। प्रत्येक जीव किसी न किसी आहार शृंखला में एक महत्वपूर्ण सोपान बनाता है। अगर वो सोपान समाप्त होता है तो पूरी आहार शृंखला अव्यवस्थित हो जाती है। वन्य जीव प्रजातियों को बचाने के लिए, सर्वप्रथम तो प्रकृति में मानव हस्तक्षेप को पूरी तरह से रोकना होगा तभी विलुप्त होती प्रजातियां बच सकेंगी।

राजेंद्र कुमार शर्मा, देहरादून, उत्तराखंड

संवेदनशील बनें

पिछले कुछ दशकों में वन्यजीवों की संख्या काफी कम हो गई है। यह सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो भविष्य में कुछ वन्य प्राणियों की उपस्थिति इतिहास के पन्नों में ही पढ़ने को मिलेगी। वनों का अंधाधुंध कटान तथा मनुष्य की वन्य जीवों के प्रति क्रूरता इनके विनाश का कारण है। इस कारण प्रकृति से सामंजस्य गड़बड़ा गया है। यही कारण कि आज वन्य जीवों की प्रजातियां समाप्ति की कगार पर है। पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो गया जो कि मानवीय अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है। हमें वन्य प्राणियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पेड़ों को काटते ही नए पौधे लगाने चाहिए।

शामलाल कौशल, रोहतक

संरक्षण जरूरी

मानव ने भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में प्रकृति के जीव-जंतुओं का जीना दुश्वार कर दिया है। बहुत से जंगली-जीव जंतुओं की प्रजातियां लुप्त होने की कगार तक पहुंच चुकी हैं। जंगलों में आग लगाने, अवैध शिकार की खबरें अक्सर आती हैं। जिस देश में प्रकृति के अंगों के रूप में वृक्षों, नदियों की पूजा की जाती हो, पशु-पक्षियों की सेवा को पुण्य माना जाता हो, वहीं इन सबके विरुद्ध काम होना हैरानी की बात है। लेकिन अगर भविष्य में जंगली जीव-जंतुओं की प्रजातियाें को बचाना है तो हमें प्रकृति के सभी अंगों का संरक्षण करना होगा।

राजेश कुमार चौहान, जालंधर

निरंकुश व्यवहार

निश्चित रूप से वन्य जीवों की संख्या में भारी गिरावट गंभीर चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण मनुष्य का वन्य जीवों के प्रति निरंकुशता का व्यवहार व उनके प्रति दमनकारी नीति है। लुप्त होती जा रही वन्य प्रजातियों को बचाने के लिए जहां यह जरूरी है कि सरकार इस दिशा में गम्भीर प्रयास करे, वहीं यह भी आवश्यक है कि मानव खुद भी वन्य जीवों के महत्व को समझते हुए इन जीवों के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन करे। सभी वन्य जीवों के साथ प्यार भरा व्यवहार करने की आवश्यकता है। वरना प्रकृति का संतुलन डगमगा सकता है।

सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

पुरस्कृत पत्र

अनुकूल वातावरण बने

प्रकृति के चक्र में सभी प्राणियों का अपना महत्व एवं उपयोगिता है। वन्य जीवों को बचाने के लिए चौतरफा प्रयासों की आवश्यकता है। प्राकृतिक जल स्रोत मैदानों में तब्दील होते जा रहे हैं। रेत माफियाओं ने उन्हें छलनी कर दिया है। उनके संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है। वन क्षेत्र में लकड़ियों की अवैध कटाई एवं पशुओं के शिकार पर भी रोक लगाने की सख्त आवश्यकता है। जंगलों को बचाने के साथ-साथ नये सिरे से पौधरोपण पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। वन्यजीवों के अनुकूल वातावरण का निर्माण करने से ही हम वन्य प्राणियों को बचा सकते हैं।

ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

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Oct 29, 2022

भारत की अहमियत

अट्ठाईस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में पुष्परंजन का ‘रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत की अहमियत’ लेख चर्चा करने वाला था। भारत मानवीय पक्ष को ध्यान में रखकर जहां यूक्रेन में सहायता पहुंचाता रहा है वहां रूस को भी समस्या को शांति से सुलझाने के लिए कहता रहा है। इसी बीच रूस के रक्षा मंत्री ने भारत तथा चीन के रक्षा मंत्रियों से यूक्रेन द्वारा डर्टी बम इस्तेमाल करने का डर व्यक्त किया है। भारत व्यापारिक तथा सामरिक दृष्टि से रूस तथा अमेरिका दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थता की रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी प्रशंसा की है। रूस, यूक्रेन, अमेरिका, नाटो के देश सभी परमाणु अस्त्रों के प्रयोग से होने वाले महाविनाश के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। भारत भी संबंधित पक्षों को यही सलाह देता रहा है।

शामलाल कौशल, रोहतक

श्रेय लेने की होड़

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भारतीय करेंसी नोटों पर भगवान श्रीगणेश और धनदेवी लक्ष्मी के चित्र छापने की बात कही है। बेहतर है कि इसमें कोई राजनीति न हो। दिल्ली में यमुना नदी अंतिम सांसें गिन रही है, क्योंकि नदी न तो गुजरात में बहती है और न ही हिमाचल में। गुजरात की साबरमती तो पहले ही स्वच्छ हो चुकी है अन्यथा इसका भी मुद्दा उछालने में केजरीवाल कदाचित चूकते नहीं। अभी दिवाली पर तेज गति से बह रही हवा के कारण कम प्रदूषण हुआ, उन्होंने इसे अपने प्रयास का नतीजा बता दिया। श्रेय लेने में अरविंद केजरीवाल का जवाब नहीं।

सतप्रकाश सनोठिया, रोहिणी, दिल्ली

केजरीवाल का हुनर

दैनिक ट्रिब्यून का 28 अक्तूबर का संपादकीय ‘केजरीवाल के मंसूबे’ विचारणीय है। केजरीवाल एक हुनरमंद नेता साबित हुए हैं। मौका देखकर चौका लगाने की उनकी आदत रही है। कई बार उन्होंने प्रासंगिक मुद्दों को झपट कर वाहवाही लेने की कोशिश भी की है। चूंकि अभी देश में धार्मिक माहौल है ऐसे में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को नोट पर छापने की बात अगर केजरीवाल ने कही है तो वह अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं है।

अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर

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Oct 28, 2022

राजनीतिक दांव

केजरीवाल द्वारा रुपये पर लक्ष्मी और गणेश के चित्र अंकित करने की मांग पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप दिल्ली के मुख्य मुद्दों पर भारी दिखाई देते हैं। दिल्ली में प्रदूषण, अतिक्रमण, ट्रैफिक जाम, कूड़ा प्रबंधन की अव्यवस्था, प्रदूषित यमुना एवं महिलाओं पर बढ़ते अपराध के मुद्दे दब कर रह जाना दिल्ली वालों के लिए गंभीर चिंता का विषय होने चाहिए। आम आदमी पार्टी का यह राजनीतिक दांव बीजेपी को उसके घर में उसी की पिच पर घेरने की रणनीति का एक हिस्सा है।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

धर्म के बीच अंतर

अरविंद केजरीवाल ने भारतीय मुद्रा पर भगवान गणेश और लक्ष्मी की तस्वीरें लगाने की बात की है। मुद्रा पर चित्र लगाने और अर्थव्यवस्था में विकास के लिए प्रयास न करने से निश्चित रूप से देश का विकास नहीं होगा। यह कथन केवल धर्मों के बीच अंतर पैदा करेगा। सवाल उठता है कि वे कैसे धर्म के आधार पर लोगों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

पारुल गुप्ता, फतेहगढ़ साहिब

राजनीतिक ड्रामा

केजरीवाल ने हिन्दू देवी-देवताओं की करेंसी पर तस्वीर छापने का शिगूफा छोड़ा है। यह चुनावी स्टंट के सिवाय कुछ नहीं है। भाजपा प्रवक्ता ने केजरीवाल आप की नाकामी और हिन्दू विरोधी मानसिकता से देशवासियों का ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक ड्रामा बताया है। चुनाव में गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले नेताओं से जनता को सावधान रहने की जरूरत है। केजरीवाल द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं का मुद्दा राजनीतिक स्वार्थ के लिए उठाया गया है।

कांतिलाल मांडोत, सूरत

स्वागतयोग्य कदम

बीसीसीआई ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए महिला और पुरुष क्रिकेटर्स को समान मैच फीस देने का फैसला किया है। बीसीसीआई का यह सराहनीय एवं स्वागतयोग्य कदम है। इसके अगले कदम के रूप में अब देश के भीतर महिला क्रिकेट आईपीएल की शुरुआत की जानी चाहिए ताकि महिला खिलाड़ियों को भी अपना हुनर दिखाने का मौका मिले।

सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.

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Oct 27, 2022

वोटों की राजनीति

बाईस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में छपी एक खबर ‘सुप्रीम कोर्ट का यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली सरकारों को निर्देश...’ चेतावनियों से भरपूर थी। इसके बावजूद नेता भड़काऊ भाषण देकर वोटों की राजनीति कर रहे हैं। दो समुदायों में जहर घोल रहे हैं जो कि देश के लिए घातक है। सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए हेट स्पीच करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं पुलिस अपने अधिकार का दुरुपयोग न करे।

शामलाल कौशल, रोहतक

मंदी की आहट

सरकार द्वारा निरंतर उपायों के बावजूद कोई भी उपाय महंगाई रोकने के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की अवधि निरंतर बढ़ती जा रही है। भारतीय उद्योगपतियों को कम मुनाफा कमाना मंजूर नहीं। देश की निरंतर बढ़ती हुई आबादी देश के सभी संसाधनों को बौना साबित कर रही है। सरकार भी लंबी अवधि तक अब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज वितरित नहीं कर सकेगी। कुल मिलाकर भारत अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी के चलते खुद के लिए भी आर्थिक मंदी की आहट सुन रहा है।

सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.

सुकून की दिवाली

चौबीस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा का ‘पर्व के मर्म के साथ सुकून की हो दिवाली’ ॔लेख अब दिवाली मनाने के तौर-तरीकों में अंतर को बताने वाला था। पहले पारंपरिक श्रद्धा के साथ दिवाली मनाते हुए पशु-पक्षियों की सुरक्षा को प्राथमिकता, प्रदूषण, आडंबर रहित, शुद्ध पौष्टिक स्वास्थ्यवर्धक मिठाइयों के उपयोग पर्व के महत्व को यादगार बनाता था। आज बम पटाखों के कर्णफोड़ू तेज शोर में अमन-चैन खो गया है। मिलावटी मिठाइयों से दिवाली व्यापारीकरण का शिकार हो गई है।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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Oct 26, 2022

लोक साहित्य की सुध

दैनिक ट्रिब्यून के रविवारीय अंक में दीपावली के पावन पर्व पर राग-रागनी कालम की शुरुआत करना एक सार्थक पहल है। इससे लोक साहित्य, हरियाणवी संस्कृति एवं भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में उन्नति होगी। सत्यवीर नाहड़िया द्वारा रचित रागनी क्यूंकर मनै दिवाली में हरियाणवी लोक संस्कृति एवं साहित्य का अहसास हुआ। लोक गायन विधा में भी नये आयाम स्थापित होंगे।

जयभगवान भारद्वाज, नाहड़


बड़ा दांव

दक्षिण भारत के कांग्रेसी नेता मलिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित होना बड़ी राजनीतिक घटना है। यह वास्तविकता है कि मलिकार्जुन खड़गे को मिला कांग्रेसी ताज कांटे भरा है। कांग्रेस ने दलित समाज के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर मतदाताओं में पैठ बनाने का बड़ा दांव खेला है। 

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

जन संसद Other

Oct 24, 2022

पाशविक मानसिकता

किसी भी समाज में बच्चियों से दुष्कर्म के बाद हत्या करना पाशविक मानसिकता का द्योतक है। ऐसे जघन्य अपराधियों को रोकने के लिए मानसिकता में परिवर्तन तथा त्वरित कठोर दंड की आवश्यकता है। बचपन से लड़कों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के अलावा आचरण को शुद्ध करने तथा बच्चों को इंटरनेट से दूर रखने की भी आवश्यकता है। ऐसे अपराधियों को बचाने के लिए राजनेताओं को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। माता-पिता तथा शिक्षकों को इस संदर्भ में सतर्क रहना चाहिए।

शामलाल कौशल, रोहतक

पश्चिम का अंधानुकरण

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान राजनीतिक दल चुनावों से पहले सत्ता प्राप्ति के लिए चलाते हैं। आधुनिकता के नाम पर माता-पिता सभी संस्कारों, सभ्यता, मान्यताओं को ताक पर रखकर पश्चिमी सभ्यता की ओर अग्रसर अपने आप को उच्च श्रेणी का समझ रहे हैं। उत्तेजित रहन-सहन, खानपान एवं फूहड़ पहरावा समाज में कौन से मूल्य स्थापित कर रहे हैं? जघन्यतम अपराधी फांसी की सजा के बाद भी बचने के दांव पेंच लगा लेते हैं। ऐसे हालात में अपराध प्रवृति कैसे रुक सकती है। इस सारे सिस्टम पर विचार करना जरूरी है।

एमएल शर्मा, कुरुक्षेत्र

अश्लीलता का प्रचार

ऐसे कई समाचार आते हैं कि बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसे मार दिया गया। सवाल उठता है कि अपराधी को जब पकड़ लिया जाता है, उसे दंडित भी किया जाता है फिर भी देश में ऐसे मामले क्यों बढ़ रहें हैं। सबसे पहला कारण है न्याय में देरी। दूसरा, लोगों को कानून का डर नहीं है। फिर हमारे संस्कार। आज हमारे संस्कार खत्म होते जा रहे हैं। अभिभावकों को लड़कों पर भी कंट्रोल करना चाहिए। जो काम संस्कार कर सकते हैं पुलिस व कानून नहीं कर सकते। आज सोशल मीडिया पर जो अश्लील सामग्री दिखाई जाती है उसने समाजिक रिश्तों की परिभाषा ही बदल दी है।

सोहन लाल गौड़, कैथल

संस्कारों का संकट

आज संयुक्त परिवार को छोड़ एकाकी जीवन बिताने वाले परिवारों की बढ़ती संख्या से बच्चों से लेकर बड़ों में विकृत संस्कृति पनप रही है। टीवी और मोबाइल से खानपान, शयन और संगत आदि में हो रहा बदलाव बच्चों में उम्र से पहले युवावस्था से परिचित कर रहा है। सजा के कठोरतम प्रावधान हो चुके हैं फिर भी विशेष सुधार प्रतीत नहीं हो रहा। संयुक्त परिवार में जीने को प्राथमिकता देकर हमें संस्कृति अनुसार आचार-विचार, खानपान के साथ मोबाइल और टीवी में कटौती करने हेतु छोटे बच्चों को संस्कारित करना होगा। साथ ही जागरूकता से सुरक्षा उपाय के प्रति सतर्कता बरतनी होगी।

बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

स्वस्थ हो मानसिकता

दुष्कर्म जैसी घटनाएं हृदय को विचलित कर देती हैं। परन्तु अफसोस की बात है कि कठोर दंड होने के बावजूद ऐसी घटनाओं में कोई कमी नहीं हो रही है। निश्चित ही इसमें इंटरनेट पर परोसी जाने अश्लीलता की बड़ी भूमिका है। युवा वर्ग ऐसी अश्लीलता देखकर कामुकता की मानसिकता पाल लेते हैं और ऐसे कृत्य कर डालते हैं। मां-बाप को अपने बच्चों की परवरिश में सावधानी से चलना चाहिए। उनकी गफ़लत भी बच्चों को ऐसे कृत्य करने का रास्ता साफ कर देता है। माता-पिता का दायित्व है कि वे बच्चों में नैतिकता के बीज रोपित करें। उनमें स्वस्थ मानसिकता का विकास करें।

सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम

बेटियां मजबूत बनें

आज इंटरनेट पर अश्लीलता न चाहते हुए भी आपके सामने आ जाती है। कोई अभिभावक अपने बच्चों को गलत शिक्षा नहीं देते। लड़कियों को मासूम, कमजोर कहना बन्द करना पड़ेगा। उनको आत्मरक्षा के गुर सिखाने पड़ेंगे। सबसे जरूरी बात न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ेगा। इन अपराधियों को पता है कि लचीला कानून उनको बच निकलने में मदद करेगा। कानून ऐसा बने कि न्याय शीघ्र हो। इनका सामाजिक बहिष्कार हो, सजा खत्म होने के बाद भी इनको समाज में न रहने दिया जाए।

हितेष भारद्वाज, कैथल

नैतिक शिक्षा जरूरी

मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म, हत्या जैसी घटनाएं मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। ऐसे अपराधों से निजात पाने के लिए स्कूली मूलभूत शिक्षा में नैतिक मूल्य संबंधी पाठ्यक्रम सम्मिलित किये जाने चाहिए। पारिवारिक वैचारिक धरातल पर माता-पिता द्वारा अपनी संतानों में अच्छे संस्कार डालने चाहिए। स्वयंसेवी संस्थाओं, समाज सेवियों को भी आगे आकर जागरूकता का काम करना चाहिए। न्याय शीघ्र हो तथा दोषियों को शीघ्र कठोर सजा देने का प्रावधान निश्चित किया जाना चाहिए।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

पुरस्कृत पत्र

संवेदनशील बनायें

बच्चियों के साथ हो रहे यौन अपराध साबित करते हैं कि पहनावे, चाल चलन, आधुनिकता जैसी बातों का यौन अपराधों से कोई सम्बंध नहीं है। दोषी तो पुरुषों की मानसिकता और परवरिश है। हम लड़कियों को यौन अपराधों के बारे में सचेत करते हुए उन पर बंदिशें लगाते हैं किंतु लड़कों को संवेदनशील नहीं बनाते। लड़कों को यौन अपराधों की विभीषिका, मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना और सामाजिक दुष्प्रभावों के बारे में नहीं समझाते। उन्हें समझना होगा कि घर की महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें समाज की हर महिला को संरक्षण देना ही होगा।

बृजेश माथुर, बृज विहार, गाजियाबाद

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Oct 22, 2022

संकटग्रस्त प्रजातियां

वन्य जीवों की प्रजातियाें की संख्या कम होने के पीछे कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है। खेती में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के चलते कीटों की संख्या बेहद कम होती जा रही है। इसके चलते पक्षी के सामने पेट भरने की समस्या पैदा हो गई है। उनके रहवास में ज्यादा से ज्यादा अब खेती होने लगी है। इससे इन पक्षियों को रहने के लिए जगह नहीं मिल रही है। संरक्षित स्थानों को दूषित वातावरण से मुक्त रखना होगा वहीं अवैध शिकार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित करना होगी।

संजय वर्मा, मनावर, धार, म.प्र.

पद से त्यागपत्र

अभी पैंतालीस दिन ही हुए थे कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। ट्रस को छह हफ्तों के कार्यकाल के दौरान कई बड़ी घटनाओं का सामना करना पड़ा, जिसका असर ब्रिटेन की राजनीति पर पड़ा। वे उम्मीदों व कसौटी पर खरा नहीं उतर सकीं तथा अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकामयाब रहीं। कम से कम लिज ट्रस ने अपनी नाकामी को स्वीकारते हुए पद पर बने रहने की बजाय त्यागपत्र देना ही उचित समझा, यह भी किसी मिसाल से कम नहीं है। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री से सीखना चाहिए। सही तरह से जिम्मेदारी न निभा सके तो पद पर बैठे रहने का क्या औचित्य?

हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन

बच्चों की सुरक्षा

हाल के उजागर मामलों में कुछ दूषित मानसिकता वाले युवकों द्वारा स्कूल के अंदर ताक-झांक करने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। मां-बाप इस भ्रम में रहते हैं कि उनकी बेटी या बेटा स्कूल में सुरक्षित है लेकिन ऐसी कई बातों से वह अनभिज्ञ रहते हैं। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए स्कूल प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका स्कूल इतना भी खुला न हो कि कोई भी राह चलता व्यक्ति वहां रुककर बच्चों को देखता रहे। पुलिस को भी स्कूलों के आसपास गश्त बढ़ानी चाहिए।

विट्ठल शुक्ला, कानपुर, उ.प्र.

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Oct 21, 2022

समाधान हो प्राथमिकता

उन्नीस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘भूख-बेरोजगारी का समाधान हो प्राथमिकता’ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा कटु सत्य उजागर करने के बावजूद मूलभूत समस्याओं की अनदेखी की हकीकत बताने वाला था। देश में अनाज के पर्याप्त भंडार के बावजूद लोगों में भुखमरी तथा कुपोषण पाया जाना शर्मनाक है। देश में कोरोना महामारी तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बेकारी बढ़ रही है। महंगाई सरकार के कंट्रोल से बाहर होती जा रही है। विडंबना देखिए, इन समस्याओं के बावजूद सरकार लोगों को भारत की अर्थव्यवस्था के विश्व में पांचवें नंबर पर होने की बात बता रही है। जबकि उपर्युक्त समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए।

शामलाल कौशल, रोहतक

चुनावी माहौल

देश की राजधानी दिल्ली में राजनीतिक गर्मी ने चुनावी माहौल बना दिया है। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के दुरुपयोग की चर्चा जोरों पर है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री गत दिन अपने समर्थकों के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंचे जिस पर बीजेपी प्रवक्ता ने सेलिब्रेशन ऑफ करप्शन का नाम देकर तीखी टिप्पणी की है। वहीं आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कूड़ा निस्तारण प्रबंधन का बड़ा मुद्दा उठाया हुआ है आने वाले दिनों में बीजेपी और ‘आप’ के अलावा कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक दखलअंदाजी भी देखने को मिलेगी।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

असमंजस में खरीदार

सोलह अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून लहरें अंक में आलोक पुराणिक का ‘गुलजार बाजार बौराया खरीदार’ लेख साधारण जन को लुभावनी वस्तुओं को लागत वास्तविक मुद्रित मूल्य पर भारी छूट देने के भ्रम जाल में फंसा कर जेबें खाली करवाने का चित्रण कर सचेत करने वाला रहा। महंगाई के बढ़ते दौर में ग्राहक दुकानदार की बातों में आ ही जाता है।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

आपकी राय Other

Oct 20, 2022

हिंदी की ओर

मध्यप्रदेश में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की शुरुआत की गई है। इस पहल का उद्देश्य मेडिकल की पढ़ाई को ग्रामीण क्षेत्रों और हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए आसान बनाना है। हालांकि सिर्फ शुरुआत कर देने से इसके सफल होने का दावा नहीं किया जा सकता। मेडिकल की तकनीकी शब्दावली का सटीक अनुवाद होना अति आवश्यक है। पाठ्यक्रम के अनुवाद मात्र से काम नहीं बनेगा। मेडिकल क्षेत्र में लगातार खोजें और शोध होते रहते हैं और उनकी रिपोर्ट जो कि अंग्रेजी में होती हैं उनका अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद होना चाहिए। यह एक सराहनीय पहल है। वहीं अनुवाद की भाषा सरल होने पर खास फोकस होना चाहिए।

अम्बिका अरोड़ा, चंडीगढ़

आधे-अधूरे प्रयास

गंगा एक नदी नहीं अपितु आस्था वालों के लिए मां से भी बढ़कर है। लोगों की जब इतनी गहरी श्रद्धा गंगा से जुड़ी हुई है तब फिर उसकी शुद्धता, पवित्रता का रखरखाव बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है। लेकिन इसके शुद्धीकरण की योजना ठीक तरह से क्रियान्वित नहीं हो पाई है। अभी भी गंदे नदी-नालों के साथ ही ऊपरी तौर से प्रदूषित करने पर रोक नहीं लग पाई है। ऐसे में कोर्ट की तल्खी वाजिब है। वास्तव में गंगा सफाई के काम में पारदर्शिता का अभाव हैै। दरअसल यह काम युद्ध स्तर पर एवं मिशन मानकर किया जाना चाहिए।

अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर

महत्वपूर्ण कदम

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारत को यह काम काफी समय पहले ही कर देना चाहिए था। बता दें कि विश्व के विकसित देशों में छात्र मातृभाषा में ही मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं। जापान, चीन और रूस इसके अहम उदाहरण हैं। अपनी भाषा में किया हुआ हर कार्य हमेशा बेहतर और प्रभावी होता है, मगर उसे प्रभावी बनाने वाला होना चाहिए। इस दिशा में भारत एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में धीरे-धीरे उभरकर सामने आया है।

समराज चौहान, कार्बी आंग्लांग, असम

आपकी राय Other

Oct 19, 2022

कुपोषण का संकट

देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी खाद्य असुरक्षा से ग्रसित है। हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 की सालाना रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें भारत 121 देशों की सूची में 107वें स्थान पर है। हैरानी की बात है कि सूडान, रवांडा, इथोपिया जैसे देश इस रैंकिंग में भारत से बेहतर स्थिति में हैं। भारत जहां प्राकृतिक आपदाओं एवं खाद्य संकट में अपने पड़ोसी देशों का पेट भरता है, ऐसे में यह स्थिति होना गंभीर विषय है। आंकड़ों की वास्तविकता कुछ भी हो, लेकिन वास्तव में देश के बच्चों में कुपोषण तथा पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में अभी भी बहुत सफल नहीं हो सका है।

शिवेंद्र यादव, कुशीनगर

जाति-धर्म की राजनीति

पंद्रह अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘जाति-धर्म की राजनीति के खतरे’ इस विषय पर चर्चा करने वाला था। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। लेकिन देश में जिस तरह जाति-धर्म के अनुसार चुनाव जीतने के राजनीतिक दलों द्वारा संग्राम हो रहे हैं, उससे देश की एकता, अखंडता, भाईचारा तथा सौहार्द ही खतरे में नहीं है बल्कि लोगों में आपसी द्वेष, टकराव तथा हिंसा बढ़ती जा रही है। गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दिल्ली के एक मंत्री द्वारा दलितों के एक आयोजन में प्रतिज्ञा को दोहराना राजनीति के अलावा कुछ नहीं।

शामलाल कौशल, रोहतक

स्वागतयोग्य पहल

गत दिन गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी में एमबीबीएस की पुस्तकों का विमोचन किया। देश में यह पहली बार है कि एमबीबीएस की पाठ्यपुस्तकें हिन्दी में प्रकाशित हुई हैं और इसी के साथ मध्य प्रदेश हिन्दी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। आगामी अवधि में इससे और अधिक पाठ्यक्रम होंगे जो हिंदी और कई अन्य भाषाओं में पुस्तकें प्रदान करेंगे। वास्तव में यह स्वागतयोग्य पहल है। परीक्षा को पास करने में जिन छात्रों को भाषा की कठिनाई का सामना करना पड़ता है, यह उन छात्रों के लिए वरदान साबित होगा।

पारुल गुप्ता, फतेहगढ़ साहिब

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Oct 18, 2022

भारत की दावेदारी

फटाफट क्रिकेट का विश्व कप शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। क्रिकेट प्रेमी इस बार भारत की सशक्त दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर भारतीय टीम की बात की जाये तो हम काफी मजबूत हैं, दक्षिण अफ्रीका को वनडे में हमारे युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर हराया। हमारे पास बल्लेबाजी शानदार और गेंदबाजी विश्वस्तरीय है। अगर अंतिम ओवर में हमारी गेंदबाजी ठीक रही तो निश्चित ही विश्व कप हमारे हाथों में होगा।

साजिद अली, चंदन नगर, इंदौर

डेंगू से बचाव

दिल्ली एनसीआर में डेंगू का प्रकोप दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। केंद्र, दिल्ली सरकार एवं नगर निगम प्रशासन को अपने सभी अस्पतालों ने डेंगू प्रकोप से निपटने के लिए विशेष इंतजाम करने होंगे। जागरूकता अभियान भी जरूरी है। इसके साथ ही एनसीआर के सभी अस्पतालों में इमरजेंसी बेड की संख्या बढ़ाने से आपातकालीन इलाज में मदद मिलेगी। जागरूकता के अभाव में डेंगू गंभीर बीमारी बन जाती है।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

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जन संसद Other

Oct 17, 2022

मुश्किल हालात

भौतिकतावाद के इस युग में लोगों का जीवन एकाकी और तनावपूर्ण हो चुका है। सबसे बड़ा कारण है संयुक्त परिवारों का टूटना। वहीं एकाकी परिवारों में भी एक अथवा दो बच्चों का होना और इससे भी बढ़कर माता-पिता द्वारा संतान को उचित समय न दे पाना। अभी थोड़े समय पूर्व ही कोरोना के कारण लोगों के पास कोई भी कार्य करने को नहीं था। इतना ही नहीं, छोटे बच्चों से लेकर युवाओं को शिक्षण संस्थानों से दूर रहना पड़ा। उनके जीवन में तनाव उत्पन्न हो गया। कुंठा के कारण बहुत युवा नशे की और अग्रसर हुए हैं। ऐसे युवाओं को उचित मार्गदर्शन और चिकित्सा की आवश्यकता है।

अशोक कुमार वर्मा, कुरुक्षेत्र

सामाजिक सक्रियता

लोगों के समग्र कल्याण के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य अनिवार्य है। मानसिक सेहत में भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल हैं। कोविड महामारी ने निस्संदेह शारीरिक रोगों के साथ मानसिक रोगों को तेजी से बढ़ाया है। कोरोना की वजह से लगातार भय, चिंता, अलगाव, जीवन के नुकसान का शोक, आय में गिरावट और सेवाओं के वितरण में व्यवधान पैदा हुआ। इस चुनौती के मद्देनजर राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और टोल फ्री हेल्पलाइन की शुरुअात एक सराहनीय कदम है। इस संकट के समाधान हेतु सामाजिक योगदान की भी जरूरत है।

देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

कुदरत का मरहम

कोरोना महामारी के समय भय, चिंता, आय में गिरावट और लॉकडाउन के कारण हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है‌। आत्मकेंद्रित सोच व एकाकी जीवन से व्यक्ति मनोरोग से ग्रसित हो जाता है। राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और टोल फ्री हेल्पलाइन की शुरुआत का मकसद मानसिक रोगियों को राहत और सहायता प्रदान करना है। यह मनोरोगियों के लिए जीवन रेखा का काम करेगी। वहीं हमारी आध्यात्मिकता हमें योग-प्राणायाम और प्रकृति की ओर ले जाती है। इन सब से नाता जोड़ने से ही इन बीमारियों से निजात पा सकते हैं।

पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

हमारे बोये कांटे

मानसिक स्वास्थ्य संकट के मूल कारण भय, चिन्ता और तनाव हैं। कोरोना महामारी ने इन सब को खूब बढ़ाया है। बीमार होने का भय, इलाज की चिन्ता, मृत्यु का भय। पृथकवास में अकेलेपन का त्रास। लॉकडाउन के दौरान कितनों की नौकरी गई, अपने रोज़गार बंद हो गए। रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। इनसे उत्पन्न तनाव को झेलना पड़ा। आधुनिक जीवन शैली भी तनाव बढ़ा रही है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा और अधिक पाने की लालसा, असंतोष को बढ़ावा दे रही है। पहले लोग एक साथ बैठ कर सुख-दुःख साझा करते थे। संयुक्त परिवारों में यह सब सहज ही हो जाता था। लेकिन एकल परिवारों में यह संभव नहीं हो पा रहा। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत प्रशंसनीय कदम है।

शेर सिंह, हिसार

परिवार की भूमिका

मानसिक स्वास्थ्य संकट के आंकड़े बढ़ने के कारण देश में आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। मानसिक स्वास्थ्य संकट से बचने के लिए हमें प्रत्येक हाल में संतुष्ट रहना सीखना चाहिए। लोभ-लालच, ईर्ष्या जैसी मानसिक व्याधियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। सकारात्मक ऊर्जा भरने वाली पुस्तकें पढ़नी चाहिए। सतसंग में भाग लेना चाहिए और जो लोग नकारात्मक विचारों वाले हों उनसे दूरी बनाकर रखें। अगर कोई फिर भी मानसिक रोगी बन जाता है तो उसके परिजनों और मित्रों को चाहिए कि उसे प्यार से समझाएं, उसके पास सकारात्मकता का माहौल बनाएं।

राजेश कुमार चौहान, जालंधर

सामाजिक सद‍्भाव हो

यह सही है कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य संकट में तेजी से वृद्धि हुई है। बीमारी का भय, अपनों से दूरी, रोजगार का छिनना और भविष्य की चिंता ने इसे और हवा दी। एकल परिवार में ये चुनौतियां और बढ़ गयीं। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और टोल फ्री हेल्पलाइन शुरुआत अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन उससे पहले व्यक्ति के परिवार में और आसपास एक सकारात्मक ऊर्जा का माहौल होना जरूरी है। आसपास रह रहे परिवारों के दुख-सुख में एक साथ खड़े रहने का जज्बा होना चाहिए। इसके साथ ही प्रकृति से दूरी ने भी हमने बीमारियों को आमंत्रित किया है। तकनीकी युग में घर बैठे उपलब्धता ने स्वास्थ्य एवं मानसिक तनाव को कहीं न कहीं आमंत्रण दिया है।

गणेश दत्त शर्मा, होशियारपुर

पुरस्कृत पत्र

प्रकृति में समाधान

वर्तमान पीढ़ी में मानसिक रोगों की अधिकता का एक महत्वपूर्ण कारण जीवन में भौतिक सुखों के लिए की जा रही दिन-रात की भागदौड़ है। हम सभी मशीनी जीवन जी रहे हैं, जहां प्राकृतिक व मानवीय गुणों की अनदेखी की जा रही है। अपने मस्तिष्क की प्राकृतिक क्षमताओं के मुकाबले अधिक बोझ डाल रहे हैं, जो मानसिक रोगों के रूप में हमारे सामने आ रही हैं। इसका समाधान हमारी प्रकृति के पास है। हम जितना ‘प्रकृति’ के नजदीक जायेंगे, उतना ही जीवन प्राकृतिक ऊर्जाओं से भर जाएगा। सामूहिक कार्यक्रम, धार्मिक उत्सव, खेल गतिविधियां आदि बेहतर जीवन के लिए अनिवार्य हैं।

राजेंद्र कुमार शर्मा, देहरादून, उत्तराखंड

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Oct 15, 2022

त्रासदी से सबक

चौदह अक्तूबर के दैनिक टि्रब्यून में ‘हिमस्खलन की त्रासदी से सबक लेना जरूरी’ लेख में मुकुल व्यास ने विनाश से जुड़े जिन मुद्दों पर प्रकाश डाला है उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है। आज सब तरफ प्रकृति के हितों को दरकिनार कर बेतरतीब निर्माण कार्य जारी है। पहाड़ों पर दिखने वाली प्रकृति की सुंदर कलाकृति आज अट्टालिकाओं से अटी पड़ी है। इन क्षेत्रों में निर्माण कार्य वन क्षेत्रों की बलि चढ़ा कर हो रहे हैं जो किसी भी दृष्टिकोण से प्राणी मात्र के हित में नहीं है। हिमस्खलन ने जिन त्रासदियों को न्योता दिया है उसके कारणों को गंभीरता से समझना जरूरी है।

अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर

नोटबंदी का उद्देश्य

तेरह अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित एक खबर ‘नोटबंदी की जांची जाएगी वैधता’ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने कहा कि वे अपनी लक्ष्मण रेखा को ध्यान में रखते हुए इस बात की जांच करेंगे कि क्या नोटबंदी का फैसला वैध था या नहीं। नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने काले धन को समाप्त करने, नकली नोटों के प्रचलन को बंद करने, आतंकवाद को समाप्त करने आदि तर्क दिए थे। इनमें से कोई भी लक्ष्य प्राप्त होता दिखाई नहीं देता। लगता है नोटबंदी का उद्देश्य राजनीतिक था ताकि विपक्षी दलों के पास जो मुद्रा है उसका पता लगाया जा सके।

शामलाल कौशल, रोहतक

सुविधा का विस्तार

दिल्ली में बाजार व्यवस्था का विस्तार करते हुए रात्रि में भी व्यापारिक गतिविधियों की अनुमति प्रदान कर दिल्ली के राज्यपाल ने दिल्ली वासियों को शानदार दिवाली तोहफा दिया है। अब 24 घंटे दिल्ली में अनेक प्रकार की ऑनलाइन शॉपिंग सेवा एवं फूड डिलीवरी उपलब्ध कराई जा सकेगी। अब दिल्ली वाले ही नहीं बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक भी नाइट लाइफ का आनंद उठा पाएंगे। लेकिन सब कुछ कायदे-कानून से हो, सुरक्षा का चाक-चौबंद इंतजाम जरूरी है।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

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Oct 14, 2022

युद्ध की विभीषिका

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और यूरोप के अनेक देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिये, जिसके कारण रूस से यूरोपीय देशों को प्राकृतिक गैस की सप्लाई लगभग बंद हो गयी है। युद्ध के चलते अब विश्व में महंगाई भी जोर पकड़ रही है। वहीं महंगाई के विरोध में यूरोप के देशों की जनता सड़कों पर उतर कर यूक्रेन को दी जा रही आर्थिक मदद का विरोध कर रही है। इन देशों की जनता का कहना है कि यूक्रेन को मदद और नाटो सन्धि संगठन के नाम पर हो रहे खर्च के कारण जनता क्यों आर्थिक बोझ उठाये। युद्ध की विभीषिका लड़ने वाले देशों को ही प्रभावित नहीं करती अपितु सारी दुनिया पर इसका असर होता है।

सतप्रकाश सनोठिया, रोहिणी, दिल्ली

किसानों से उम्मीद

अक्तूबर-नवंबर में किसान धान की पराली जलाते हैं जिससे धुआं बहुत फैलता है। चूंकि धान की कटाई के बाद गेहूं के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए किसान पराली को जल्द हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं। इसके प्रदूषण से न सिर्फ लोग बीमार पड़ते हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। पंजाब में नई सरकार बनने के बाद लोगों को उम्मीद है कि इस बार कोई रास्ता निकाला जाएगा ताकि इस समस्या को कम किया जा सके। हालांकि, आप सरकार के हरित तरीके को खारिज कर दिया गया है, अब केंद्र सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए क्योंकि किसानों के पास कोई भी नई तकनीक अपनाने के लिए बहुत कम समय बचा है।

जैसमीन कौर, चंडीगढ़

प्रेरणादायी कहानी

नौ अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में चित्रेश की ‘करवा चौथ’ कहानी हृदय की गहराइयों में उतरने वाली सामयिक प्रस्तुति रही। आपसी वैचारिक सामंजस्य से गृहस्थ की गाड़ी सुख-समृद्धि लेकर चलती है। दादी के वासंती जीवन में पति की गुमशुदगी का पतझड़ आने के पश्चात भी परंपरागत रीति-रिवाज व करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु कामना से किया जाना संपूर्ण महिला वर्ग के लिए प्रेरणादायी है।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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Oct 13, 2022

रेवड़ी संस्कृति के खतरे

संपादकीय ‘सपनों के सौदागर’ में उल्लेख किया है कि चुनाव आयोग ने मुफ्त की रेवड़ी को कोड ऑफ कंडक्ट के दायरे में लाने का प्रस्ताव भेजा है। राजस्व में वृद्धि न होने से जीडीपी या कर संग्रह का संतुलन गड़बड़ा रहा है। रेवड़ियों को प्रतिबंधित करने हेतु कोई विशेष पैनल गठित हो। ऐसा कोई मापदंड तय करें कि मनमानी घोषणा करने से पहले या साथ में इनकी क्षतिपूर्ति और आय के साधन भी कोर्ट या चुनाव आयोग को बताए जायें। संसद भी ऐसा कठोर कानून भी पास करे कि एक सीमा से अधिक घोषणाएं होने पर सियासी दलों के खिलाफ कार्रवाई हो।

बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

ज़हर का कहर

बारह अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘नीले ज़हर का कहर’ मोबाइल व इंटरनेट द्वारा सेक्सटॉर्शन के बढ़ते मामलों की समस्या का वर्णन करने वाला था। आजकल मोबाइल व इंटरनेट के जरिये अश्लीलता तथा सेक्सटॉर्शन बढ़ाने का काम हो रहा है! इसका शिकार स्कूली बच्चे, युवा तथा बड़ी उम्र के लोग हो रहे हैं! आजकल मोबाइल व इंटरनेट का दुरुपयोग करके लोगों की बैंकों में जमा राशि को निकाला जा रहा है। साइबर अपराधों को रोकने के लिए पुलिस को विशेष प्रबंध करने तथा लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है!

शामलाल कौशल, रोहतक

गांधी जी के आदर्श

गांधी जी की आदमकद मूर्ति लगाने या पुण्यतिथि मनाने से पहले उनके आदर्शों को अपनाना होगा। दरअसल, आज हम सभी कमोबेश गांधी दर्शन के विरुद्ध आचरण कर रहे हैं। टीवी में तम्बाकू, पान-गुटका को बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है। गांधी जी इन सबके विरुद्ध थे। हमें उनके आदर्शों पर चलना है तो अहिंसा एवं खादी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इन्हें पूंजीवाद की छाया से मुक्त करना होगा। उनके आदर्शों को अपनाना ही गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

रजत कुमार, भूड़, बरेली, उ.प्र.

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Oct 12, 2022

सहज जीवन

दस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘सहजता का व्यवहार’ मानवीय जीवन की जटिलता तथा तनाव का विश्लेषण करने वाला था। खानपान की बदली तस्वीर ने मनुष्य के जीवन को राेगग्रस्त बना दिया है। संयुक्त परिवारों में बुजुर्गों की सकारात्मक भूमिका, त्योहारों को मनाने की शैलियां मन को अाध्यात्मिक सुकून देता था। लेकिन आज मनोरंजन से जुड़े मोबाइल, टीवी पर हिंसात्मक प्रवृत्तियों ने मानसिक तनाव को बढ़ाया है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य कैसे ठीक रह सकता है। भौतिक विकास मानसिक तनाव की तरफ ले जा रहा है। जीवन की परंपरागत शैली अपनाकर आचार-विचार में परिवर्तन लाया जा सकता है।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

जाति का दंश

सरसंघचालक ने विजयादशमी के अवसर पर देश को जोड़ने वाला एवं सामाजिक भेदभाव को खत्म करने वाला वक्तव्य दिया। देशवासियों को इसकी सराहना करनी चाहिए। आज भी अधिकांश राज्यों के ग्रामीण अंचलों में जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न और अत्याचार जारी है। यदि कहीं पर जातीय उत्पीड़न होता है तो पुलिस प्रशासन को ईमानदारी से काम करना होगा। न्याय दिलाने के लिए हर संभव मदद करनी होगी। तभी जाकर हम ग्रामीण क्षेत्र में जाति के दंश को कम कर सकते हैं।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

भावनाओं से छेड़छाड़

इन दिनों बॉलीवुड फिल्म ‘आदिपुरुष’ में रावण के किरदार को निभाने वाला सैफ अली खान को आम जनता पसंद नहीं कर रही है। लोगों का मानना है कि इस फिल्म में पौराणिक पात्रों का विकृत रूप दिखाया गया है। हिंदुअों की आस्था से खिलवाड़ किया गया है। प्रश्न उठता है कि क्या जनता ही इस मूवी का भविष्य तय करेगी। या फिर बॉक्स ऑफिस में आने से पहले इस फिल्म के खिलाफ सरकार ही रोक लगाएगी?

चंदन कुमार नाथ, गुवाहाटी, असम

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Oct 11, 2022

गंगा-जमुनी संस्कृति

सात अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘गंगा-जमुनी संस्कृति ताकत है हमारी’ विषय पर चर्चा करने वाला था। पिछले कुछ समय से दो वर्गों के बीच मनमुटाव दिखाई दे रहा है। वैसे तो हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे के साथ दिवाली, ईद आदि मिलजुल कर मनाते रहे हैं। इनके कार्यक्रमों में समय-समय पर विघ्न भी पड़ते रहते हैं, परंतु इससे पूरे एक समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सभी धर्मों के लोगों का मिलजुल कर रहना तथा त्योहारों को मनाना हमारी वसुधैव कुटुंबकम परंपरा का हिस्सा रहा है।

शामलाल कौशल, रोहतक

सद्भाव ज़रूरी

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तथा मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच हुई वार्ता का राजनीतिक विश्लेषण तो भविष्य में होता रहेगा लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दो समुदायों के बीच जो दूरियां बढ़ी हैं, उसमें यह वार्ता सेतु का काम करेगी। सशक्त तथा प्रगतिशील भारत के निर्माण के लिए सहमति और सहयोग बहुत जरूरी है।

आशिक़ हुसैन, इंदौर

जन संसद Other

Oct 10, 2022

सार्थक प्रयास

विपक्षी दलों के नेताओं का आगामी संसदीय चुनावों के मद्देनजर अपने एजेंडे में अन्य दलों व कांग्रेस के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने का निर्णय राजनीतिक दृष्टिकोण से काबिलेतारीफ है। दलों को ईर्ष्या-द्वेष का त्याग कर जनता-जनार्दन के समक्ष एकजुटता का परिचय देते हुए अपना-उनका आत्मविश्वास जाग्रत करना चाहिए। पार्टी एकता के चुनावी शंखनाद का समवेत स्वर सत्तारूढ़ दल को वैसे ही शिकस्त दे सकता है जैसे 1977 के चुनाव में कांग्रेस को हराकर भारी बहुमत से जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

दूर की कौड़ी

विपक्षी नेताओं के बयान पर्याप्त संकेत हैं कि विपक्षी दलोंं को एकजुट कर पाना तराजू में मेढक तोलने के समान है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पदयात्रा पर निकले हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि विपक्षी मुहिम को एक मजबूत धार देंगे। एक अन्य मजबूत विपक्षी नेता उद्धव ठाकरे अपने गढ़ महाराष्ट्र में ही बुरी तरह फंस चुके हैं। इस तरह से देखा जाये तो भारतीय जनता पार्टी के समक्ष विपक्ष अपनी डफली अपना राग की नीति पर चलता दिखाई देता है। विपक्षी एकता दूर की कौड़ी दिखाई देती है जबकि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव की जोरदार तैयारी में है।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

विकल्प सक्षम नहीं

भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों द्वारा एकता के प्रयास जारी हैं। ये प्रयास हकीकत में सफल हो पाएंगे, इसकी संभावना नहीं के बराबर है। विपक्ष के एक होने में सबसे बड़ी बाधा किसी एक व्यक्ति को अपना नेता स्वीकार नहीं करना है। कांग्रेस को साथ लेकर चलने पर भी विपक्षी नेता एकमत नहीं हैं। इन नेताओं का किसी एक साझा कार्यक्रम पर सहमत होना भी मुश्किल लगता है। ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी लोकसभा चुनावों में विपक्ष एकजुट होकर भाजपा का विकल्प बनने में सक्षम नहीं है।

सतीश शर्मा माजरा, कैथल

खुद पर भरोसा नहीं

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए देश में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू हो गई है। तीसरा मोर्चा न पहले सिरे चढ़ा था न अब सिरे चढ़ेगा। ताऊ देवीलाल की जयंती पर भले ही तीसरे मोर्चे की चर्चा होने लगी हो लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता खुद यह कहते हैं कि ये लोग कभी भी यूपीए के साथ खड़े नहीं रहे हैं। इन्होंने हमेशा एनडीए का ही साथ दिया है। इस बयान से यह साबित होता है कि खुद कांग्रेस को अपने आप पर भरोसा नहीं है। जो पार्टी आज तक अपना अध्यक्ष नहीं चुन सकती उस पार्टी के साथ लोग क्या गठबंधन करेंगे?

दिव्येश चोवटिया, गुजरात

मजबूत विपक्ष जरूरी

विपक्षी एकता बहुत जरूरी है पर नहीं हो पाती है। सत्ता पर दबाव बनाने के लिए विपक्षी एकजुटता बेहद आवश्यक भी है, इससे जनता का लाभ होता है। कुछ सुविधाओं का विस्तार होता है। अब तक देखने में आया है कि कुछ मुद्दों को लेकर कुछ समय के लिए विपक्ष एकजुट हो जाते हैं लेकिन फिर स्वार्थ पूरा नहीं होने पर इधर-उधर हो जाते है तो जनता का विश्वास कम होता है। जनता के संबंध भी स्थानीय नेताओं से खराब हो जाते हैं जिसका दूरगामी प्रभाव पड़ता है। विपक्ष का एकजुट होना लोकतंत्र को मजबूत बनाता है और नागरिकों का भला होता है। स्वस्थ व मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष होना सुखद है।

प्रदीप गौतम सुमन, रीवा, म.प्र.

खुदगर्जी की दीवार

सत्ता के विरुद्ध खड़े होने वाले दलों का समूह है विपक्ष जो अलग-अलग राज्यों की सरकार को चुनौती देता है। मगर बात जब विपक्षी एकता की हो तो निशाने पर केंद्र सरकार दिखाई देती है। बहरहाल टुकड़ों में बंटी विपक्षी पार्टियों में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा एक सामान्य बात है। वरना सरकारी नीतियों को चुनौती देती एकता अलग-अलग खेमों में क्यों बंट जाती है। निजी हितों की बुनियाद पर खड़े विपक्षी दलों की एकजुटता उनके कमजोर होते वजूद की लड़ाई है। मंचों पर खड़े एकता की दुहाई देते दलों का मकसद सिर्फ सत्ता की ताकत को ललकारना है। मगर सियासी दलों की खुदगर्जी की दीवार गिराए बगैर एकजुटता का दिखावा हक़ीक़त नहीं बन सकता।

एमके मिश्रा, रांची, झारखंड

पुरस्कृत पत्र

एकता पर सवाल

कई नेता विपक्षी एकता की कोशिश में हैं, पर कई कारणों से कोशिशें असफल रही हैं। जैसे कांग्रेस-भाजपा के खिलाफ रहे क्षेत्रीय दलों को डर है कि कांग्रेस से मिलते ही वह अपने राज्य में कमजोर होंगे। इसी कारण से मायावती, पटनायक, चंद्रबाबू, केजरीवाल आदि इस मुहिम से दूर हैं। असल में सभी नेताओं की इच्छा प्रधानमंत्री बनने की है। दरअसल, कांग्रेस को साथ लेते ही प्रधानमंत्री पद कांग्रेस का होगा लेकिन लगभग 250 लोकसभा सीटों पर प्रभाव वाली कांग्रेस के बिना भाजपा को हराना असंभव हैं। इन हालात में विपक्षी एकता नामुमकिन है।

बृजेश माथुर, बृज विहार, गाजियाबाद

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Oct 08, 2022

पर्यावरण हितकारी कदम

चार अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख ने दुखती रग पर हाथ रखा है। पर्यावरण प्रदूषण आज जिस स्तर पर है, वह मानव जीवन के बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है। आज जिस तरह की बीमारियां और संक्रमण सिर उठा रहे हैं उसमें प्रदूषित वातावरण का बड़ा हाथ है। पर्यावरण की चिंता किए बगैर आज जिस तरह जहरीले धुएं का कारोबार हो रहा है, वह मानव जीवन के अस्तित्व पर बड़ा संकट खड़ा करता है। धुआं चाहे पराली का हो, कल -कारखानों की चिमनियों का हो या पटाखों का- शुद्ध वायु लिए बड़ा खतरा है। मानव जीवन को अगर स्वस्थ और दीर्घायु बनाना है तो हर हाल में पर्यावरण के हित में काम करना पड़ेगा।

अमृतलाल मारू, इंदौर


नीतिगत आलोचना

पांंच अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘सरकार को आईना’ व्यवस्था की नाकामियों का पर्दाफाश करने वाला था। शासन की नीतियों के चलते गरीब और गरीब हो रहे हैं। आरोप हैं कि धन-संपत्ति का बंटवारा कुछ कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में होकर रह गया है। बेरोजगारी, महंगाई व बढ़ती असमानता के मद्देनजर भारत की अर्थव्यवस्था के विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा बेमानी लगता है। सरकार को संघ परिवार की आलोचना को गंभीरता से लेना चाहिए।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल


दुखद घटना

उ.प्र. के भदोही शहर में एक धार्मिक आयोजन में लगी आग में 6 लोगों की मृत्यु व 50 श्रद्धालुओं का घायल होना हृदय विदारक घटना है। इससे पूर्व भी कानपुर में श्रद्धालुओं से को लेकर जा रहे ट्रैक्टर-ट्रॉली दुर्घटनाग्रस्त हो गये जिसमें करीब 23 लोगों की मृत्यु हो गई। धार्मिक अनुष्ठान के आयोजकों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी तरह की दुर्घटना न हो। ऐसे आयोजनों पर सरकार को भी निगरानी रखनी होगी। जान-माल का भारी नुकसान बेहद दर्दनाक होता है।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

आपकी राय Other

Oct 07, 2022

पाक-अमेरिकी जुगलबंदी

पांच अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में पुष्परंजन का लेख ‘कश्मीर पर फिर पाक-अमेरिकी जुगलबंदी’ दोनों देशों के संबंधों में गर्मजोशी का वर्णन करने वाला था। ऐसा लगता है कि अमेरिका ने, आतंकवाद खत्म करने के नाम पर पाकिस्तान द्वारा उसे बेवकूफ बनाकर भारी मात्रा में आर्थिक तथा सैनिक सहायता प्राप्त करने से, कुछ सीखा नहीं। अफगानिस्तान में अमेरिकन पैठ बनाने को लेकर पाकिस्तान को जो सैनिक सहायता मिलेगी उसका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ाने तथा भारत के खिलाफ किया जाएगा। इसके बावजूद क्या अमेरिका कश्मीर संबंधी अपनी नीति में परिवर्तन कर रहा है। क्या अमेरिका के लिए पाकिस्तान भारत के मुकाबले में ज्यादा महत्वपूर्ण है? हो सकता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत द्वारा अमेरिका का पक्ष न लेने के कारण ही अमेरिका की पाकिस्तान के प्रति सोच में तब्दीली आई हो।

शामलाल कौशल, रोहतक


प्रतिबंध सराहनीय

दिल्ली सरकार ने एक जनवरी तक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका स्वागत होना चाहिए जबकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। आज दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। यहां हर रोज सांस के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। दिवाली पर रातभर पटाखे फोड़ने से दिल्ली का एक्यूआई लेवल खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है जो बीमारियों को और बढ़ा देता है। पटाखों पर प्रतिबंध सराहनीय कदम है। दिल्ली के लोगों को भी समझना चाहिए।

मुकेश विग, सोलन


निर्यात के हों लक्ष्य

शक्ति, वेग और प्रहार क्षमता के मामले में अपने नाम को सार्थक करने वाले स्वदेशी हेलीकाप्टर ‘प्रचंड’ का वायु सेना का अंग बनना गौरवशाली उपलब्धि है। ऐसे हेलीकॉप्टरों की कमी कारगिल युद्ध के दौरान महसूस की गई थी। देश में 30 युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण भी तेजी से हो रहा है, और कई देशों ने इन्हें खरीदने मे रुचि दिखाई है। अब भारत को रक्षा सामग्री के आयात के स्थान पर निर्यातक बनने के लक्ष्य निर्धारित करने होंगे।

विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.

आपकी राय Other

Oct 06, 2022

प्रदूषण समस्या

प्रदूषण महानगरों की एक बड़ी समस्या है। दिल्ली के ग्रामीण, जेजे क्लस्टर एवं अनधिकृत कॉलोनियों की सड़कों एवं गलियों में टूट-फूट और ट्रैफिक जाम के कारण धूल भरा माहौल बना हुआ है। इसके अलावा दिल्ली के लिए पराली प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है। वहीं दिल्ली में 19 लाख वाहन बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट के सड़कों पर चलते हैं। वैसे सरकारों की अधिकांश योजनाएं शहरों तक सीमित हैं। एंटी स्मोक गन का प्रयोग शहरी क्षेत्रों के अलावा दिल्ली के ग्रामीण इलाकों, मलिन बस्तियों, जेजे क्लस्टर और अनधिकृत कॉलोनियों में भी किया जाए। इन क्षेत्रों में सीवर एवं ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाये।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

उद्योगों को प्रोत्साहन

तीन अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में ‘कृषि आधारित उद्योगों को मिले प्रोत्साहन’ लेख खेती विषय पर चर्चा करने वाला था। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में कमी के बावजूद सरकार इसके लाभ को उपभोक्ताओं को देकर पेट्रोल, डीजल तथा घरेलू गैस की कीमतों में कमी नहीं कर सकी। यहां तक कि आरबीआई ने जो मौद्रिक नीति अपनाई है वह भी महंगाई तथा बेकारी को दूर करने में असमर्थ रही है। कृषि सभी आर्थिक क्रियाओं का आधार होती है। संबंधित उद्योगों का विकास करके बेरोजगारी, मंदी तथा मांग में कमी का समाधान ढूंढ़ा जा सकता है।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

अमृतकाल का स्वप्न

देश में भ्रष्टाचार का मुख्य कारण लोगों में धन का लालच है। लाखों और करोड़ों की कमाई करने वाले भी ओर ज्यादा के लालच में भ्रष्टाचार करते हैं। अमृतकाल का स्वप्न तभी पूरा हो सकता है, जब इसकी मुख्य चुनौती भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जाए। सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए सर्वप्रथम तो राजनेताओं से शुरुआत करनी होगी। तभी वे भी दूसरों को ईमानदारी का पाठ पढ़ा सकते हैं।

राजेश कुमार चौहान, जालंधर

संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com

आपकी राय Other

Oct 05, 2022

बेहतर नया अंदाज़ 

दैनिक ट्रिब्यून में शुरू किया गया नया स्तंभ स्वागतयोग्य है। आंकड़ों और लफ़ड़ों से भरी, भारी-भरकम खबरों के बीच हल्के-फुल्के अंदाज़ में प्रस्तुत यह स्तंभ पाठकों की रुचि का केंद्र साबित होगा। स्तंभ की पहली किस्त के रूप में सभी खबरें अच्छे से परोसी गयी हैं। पहली तीन खबरों में नायक का नाम न लिख कर भी लिख-सा दिया गया है, यह अंदाज़ अच्छा लगा। दैनिक ट्रिब्यून के कुछ अन्य स्तंभ, यथा, अंतर्मन, उलटवांसी, ताऊ बोल्या और चर्चित चेहरा आदि ऐसे स्तंभ हैं जो पाठकों के इंतजार का सबब बने रहते हैं। अध्ययन कक्ष पृष्ठ तो पूरा का पूरा ही एक खास वर्ग की मानसिक भूख को शांत करने वाला है।

ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल


प्रदूषण समस्या

प्रदूषण महानगरों की एक बड़ी समस्या है। दिल्ली के ग्रामीण, जेजे क्लस्टर एवं अनधिकृत कॉलोनियों की सड़कों एवं गलियों में टूट-फूट और ट्रैफिक जाम के कारण धूल भरा माहौल बना हुआ है। इसके अलावा दिल्ली के लिए पराली प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है। वहीं दिल्ली में 19 लाख वाहन बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट के सड़कों पर चलते हैं। वैसे सरकारों की अधिकांश योजनाएं शहरों तक सीमित हैं। एंटी स्मोक गन का प्रयोग शहरी क्षेत्रों के अलावा दिल्ली के ग्रामीण इलाकों, मलिन बस्तियों, जेजे क्लस्टर और अनधिकृत कॉलोनियों में भी किया जाए। इन क्षेत्रों में सीवर एवं ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाये। 

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली


खस्ताहाल सड़कें

रोहतक हरियाणा में राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय क्षेत्र होने के साथ-साथ शिक्षा, व्यापार तथा चिकित्सा का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। लेकिन इन दिनों इसके कुछ बाज़ारों तथा गलियों की सड़कों की हालत बहुत खराब हैं। संबंधित अधिकारियों से अनुरोध है कि लोगों को पेश आने वाली इस असुविधा को दूर करें।

शामलाल कौशल, रोहतक

आपकी राय Other

Oct 04, 2022

रिश्ते भी बचेंगे

अंगदान से सिर्फ किसी की जान ही नहीं बचती, बल्कि इससे कई रिश्ते भी बच जाते हैं। अंगदान की कमी के कारण दिल खराब होने की बीमारी से पीड़ित हर साल हज़ारों मरीज दम तोड़ देते हैं। यदि हादसे के शिकार ज्यादातर लोगों का अंगदान सुनिश्चित हो तो बहुत मरीजों की जान के साथ-साथ कई रिश्ते भी बचाये जा सकते हैं। देश में जरूरत के मुताबिक अंगदान नहीं हो रहा है। इसकी बड़ी वजह नियमों की बाधा और जागरूकता की कमी को माना जा रहा है।

चंद्र प्रकाश शर्मा, रानी बाग़, दिल्ली

विश्वास का न्याय

उनतीस सितंबर का सम्पादकीय ‘कोर्ट की कार्यवाही का प्रसारण’ सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के सीधे प्रसारण के महत्व पर प्रकाश डालने वाला था। निश्चित रूप से यह कदम अति प्रशंसनीय है। यह पारदर्शिता जहां न्यायपालिका के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना है, वहीं इससे लोगों का देश की न्यायिक प्रणाली में विश्वास भी बढ़ेगा।

सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

जन संसद Other

Oct 03, 2022

राजनीतिक निहितार्थ

कांग्रेस की ओर से भारत जोड़ो यात्रा जारी है। हर यात्रा के राजनीतिक निहितार्थ होते हैं। कांग्रेस पार्टी की पदयात्रा का लक्ष्य देश में ध्रुवीकरण से उत्पन्न खतरों से लोगों को अवगत कराना तथा महंगाई व बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दों को भी उजागर करना है। भारत जोड़ो यात्रा का टैगलाइन ‘मिले कदम जुड़े वतन’ का नारा पार्टी के लिए कितना मुफीद होगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। ऐसी यात्राएं अगर अपने राजनीतिक लाभ के लिए न होकर जन जागरूकता व जन कल्याण के लिए हों तभी सही मायने में देश के लिए लाभकारी होंगी।

पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

बदलाव की वाहक

निश्चित ही राजनीतिक यात्राओं से जनता में जागरूकता आती है और वे राजनेताओं द्वारा उठाये गये विभिन्न मुद्दों से प्रत्यक्ष रूप में रूबरू होते हैं। चौधरी देवीलाल, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, चन्द्रशेखर, सुनील दत्त से लेकर दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा के नतीजे हमारे सामने हैं। एक अच्छा राजनेता, जिसकी नीयत साफ हो, वह हमेशा अच्छे अहसास और बदलाव के बीज का वाहक होता ही है। मजबूत संकल्प और स्पष्ट दृष्टि के साथ की गई यात्राओं का परिणाम अवश्य ही सार्थक निकलता है।

सुनील कुमार महला, पटियाला, पंजाब

राजनीतिक लाभ हेतु

देश में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है। कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस जोड़ो फार्मूले पर काम करना चाहिए था। वैसे तो पद यात्रा आम जनता से प्रत्यक्ष संवाद का महत्वपूर्ण साधन है। इसमें राजनीतिक दलों को जनता के बीच लंबा वक्त गुजारने का अवसर मिलता है। पद यात्रा में एक तरफ किसी दल का चेहरा लोकप्रियता हासिल कर लेता है, वहीं दूसरी ओर जनता भी राजनीतिक दल से सीधी जुड़ जाती है। पद यात्रा के दौरान क्षेत्र के अनुसार जनता के मुद्दे उठाए जा सकते हैं। इतिहास गवाह है कि अतीत में की गई पद यात्राओं से संबंधित नेता या राजनीतिक दल को लाभ ही हुआ है।

सुचिता गौड़, कैथल

देश की तस्वीर

पदयात्रा से देश और जनता की सही तस्वीर मिलती है जो विकास और प्रगति के लिए जरूरी है। राजनेताओं और पार्टियों द्वारा ऐसी पदयात्राएं तार्किक हैं, बशर्ते वे इन मुद्दों पर अमल कर सकें। खुद नेता और पार्टियां इस तरह जनता के बीच जाते हैं तो यह बड़ी बात है। ईमानदारी व सेवाभाव से ही नेता और पार्टी आगे बढ़ सकते हैं। असल प्रश्न तो लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रसेवा का है जो बहुत कम दिखाई देता है। आज सभी पार्टियां और नेता एक जैसे ही लगते हैं। अब लाल बहादुर शास्त्री जैसे सच्चे और सदा सेवकों की जरूरत महसूस होती है।

वेद मामूरपुर, नरेला

जनभावना के प्रति समझ

पदयात्राएं व्यर्थ नहीं जातीं, बल्कि सबक देती हैं। कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के निहितार्थ जो कुछ भी हों, किंतु कांग्रेस या राहुल विरोधियों द्वारा यात्रा की आलोचना और व्यंग्य कसना अनुचित है। वस्तुत: यह एक राजनीतिक पदयात्रा है, जिससे कांग्रेस को नुकसान नहीं होने वाला बल्कि हितकर होकर कुछ तो स्थिति में सुधार करेगी। कांग्रेस पार्टी के प्रति आम जनता क्या साेचती है उसका मंथन होगा। पदयात्राओं के सहारे जनता से सीधा जुड़ाव, नवीन जनसमस्याओं से अवगत होने के साथ ही जनभावना के प्रति समझ बढ़ती है।

बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

जन कल्याण भी हो

भारत में राजनीतिक पदयात्राओं का एक लम्बा इतिहास रहा है। वर्ष 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा भी एक यादगार यात्रा के रूप में जानी जाती है। श्रीमती इंदिरा गांधी की बेलछी यात्रा, राजीव गांधी की रेल यात्रा और चंद्रबाबू नायडू की यात्राएं भी उल्लेखनीय रहीं। कांग्रेस पार्टी की हालिया पद-यात्रा मीडिया में सुर्खियां बन रही है। इसमें महंगाई, बेरोज़गारी व लोकतंत्र जैसे कई मुद्दों को उठाये जाने की बात कही जा रही है। ऐसी यात्राओं का मकसद दलीय हितों को साधने के साथ-साथ जन जागरूकता व जन कल्याण को बढ़ावा देना भी प्रतीत होता है। आशा है कि उठाये गये मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट होगा और इनका समाधान खोजने का सार्थक प्रयास भी किया जायेगा।

शेर सिंह, हिसार

पुरस्कृत पत्र

महज दिखावा

मौजूदा दौर की राजनीति में नेताओं का ‘राज-पाट’ तो है, लेकिन जनता-जनार्दन के कल्याण और विकास के लिए ‘नीति’ ही गायब है। ऐसे में राजनीतिक पदयात्राओं को महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी तथा जन-जागरूकता से जोड़कर देखना कतई उचित व व्यावहारिक नहीं हो सकता? कुकुरमुत्ते की भांति पनपे राजनीतिक दलों में से क्या एक भी राजनीतिक दल है, जो गांधी जी के आदर्शों, विचारों पर अक्षरशः चल रहा हो, उन्हें जी रहा हो? शायद नहीं। आम नागरिक यह सब समझता है। ये पदयात्रा राजनीतिक नेपथ्य में महज दिखावा, स्वयं की पार्टी को पुनर्जीवित करना एवं वोट बैंक को बढ़ाने की कवायद भर है।

हर्षवर्द्धन, पटना, बिहार

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Oct 01, 2022

संतुलन की कवायद

उनतीस सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून में जी. पार्थसारथी का लेख ‘अंतर्राष्ट्रीय समीकरणों में संतुलन की कवायद’ विभिन्न देशों के साथ भारत के बढ़ते तालमेल का वर्णन करने वाला था। इसे भारत की बढ़ती आर्थिक तथा सामरिक शक्ति का ही प्रभाव मानना चाहिए। भारत का क्वाड, शंघाई सहयोग संगठन, यू2आई2 का सदस्य होना देश के लिए गर्व की बात है। रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर भारत रूस के सहयोग से व्यापारिक लाभ प्राप्त कर रहा है, अमेरिका तथा यूरोपियन देशों के साथ व्यापारिक तथा सामरिक संबंध बनाने के बावजूद भारत अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को आर्थिक मदद तथा एफ-16 विमान देने पर नाराजगी भी प्रकट कर रहा है।

शामलाल कौशल, रोहतक

प्रतिबंध उचित

सरकार ने पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया एवं संबंधित संस्थाओं पर पांच वर्ष का प्रतिबंध लगाया है। सरकार के पास जरूर पर्याप्त साक्ष्य होंगे जिसकी वजह से प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं राजनीतिक दलों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। लेकिन अनेक मुस्लिम संगठनों ने भी सरकार की इस कार्यवाही का स्वागत किया है। इससे एक उम्मीद जगी है कि आने वाले दिनों में भारत में नफरत एवं सांप्रदायिकता की सोच को पनपने नहीं दिया जाएगा। यदि हम भारत को समृद्ध एवं प्रगतिशील राष्ट्र देखना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार की नफरत एवं कट्टरता को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

रेवड़ी कल्चर

प्रधानमंत्री ने कुछ दलों द्वारा रेवड़ी कल्चर को अपनाकर सत्ता हासिल करने के प्रयासों पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। उन्होंने इस बात के लिए कुछ विपक्षी दलों को आड़े हाथ लिया है। पहले दक्षिण भारत के क्षेत्रों में इस तरह की मुफ्त रेवड़ी बांटने का चलन था। वहीं से उठकर आजकल ये मुफ्त रेवड़ी का कल्चर दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी अपना रही है। इस तरह का मुफ्त रेवड़ी कल्चर पड़ोसी देश श्रीलंका की सरकार को ले डूबा है जो कि कहीं से भी उचित नहीं है।

एमएम राजावत राज, शाजापुर, म.प्र.