आपकी राय
सकारात्मक पहल हो
देश में बहुत से पर्व और त्योहार ऐसे भी हैं जो हमें प्रकृति से जोड़ने का काम करते हैं। पहले गणेश जी की मूर्ति को मिट्टी से बनाया जाता था और गाय के गोबर को पूजा में प्रयोग किया जाता था। इस पूजा सामग्री के अवशेषों को जल में प्रवाहित करने से जल शुद्ध होता था। अगर हम गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्तियों को खरीदते हैं और इस पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री प्राचीन तरीकों की अपनाते हैं, हवन यज्ञ करते हैं तो इससे एक तो गरीब लोगों का रोजगार बढ़ेगा। दूसरा हवन यज्ञ करने से पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
मिलकर लड़ें
आजादी के 75 वर्ष बाद भी जातीय उत्पीड़न और अत्याचार देश के समक्ष एक बड़ा प्रश्न बनकर खड़ा है। समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होने के बजाय गहरी होती जा रही है। गत दिनों राजस्थान के जालौर में छात्र की हत्या का मामला सामने आया है। अलवर में दलित शिक्षिका को जिंदा जला दिया जाता है तो वहीं उत्तर प्रदेश में भी एक स्कूली छात्र को फीस न देने के कारण बेरहमी से मारा गया। तमिलनाडु में निर्वाचित अनुसूचित जाति के सरपंच को कुर्सी पर बैठने नहीं दिया जाता है। देश में जातीय कट्टरता बढ़ना दुखद है। यह केंद्र एवं राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती है। सभी राजनीतिक दलों को पार्टी लाइन से हटकर जातीय कट्टरता से लड़ना होगा।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
प्रेरणादायक कहानी
इक्कीस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में क्षमा शर्मा की ‘एक पुरुष’ कहानी शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक रही। कथा नायिका रोहिणी की कर्मठता, हिम्मत एक सुशील सौम्य नारी की भूमिका का आदर्श स्थापित करती है। वैधव्य मातृशक्ति के लिए अभिशाप नहीं अपितु एक योग्य मन भावन पुरुष साथी की तलाश सुखद अनुभूति का अहसास शेष जीवन के लिए मिसाल है। सामाजिक, मर्यादित कथ्यों से कथानक अत्यंत प्रभावशाली बन पड़ा है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
नजीर का फैसला
उनतीस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘ध्वस्त भ्रष्टाचार का टॉवर’ नोएडा में भ्रष्ट अधिकारियों, राजनेताओं की सांठगांठ तथा भवन निर्माण के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध ट्विन टावर के ध्वस्त होने का वर्णन करने वाला था। न्यायालय ने बिल्डर को इन टाॅवरों के फ्लैटों को खरीदने वाले लोगों को ब्याज समेत इन की राशि लौटाने का आदेश भी दिया है। गैर कानूनी तौर पर बनाए गए इन ट्विन टाॅवरों के लिए संबंधित भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। देश में और जहां कहीं भी इस प्रकार के अवैध निर्माण हों तो उन्हें भी इसी तरह गिरा देना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
मजबूत विपक्ष
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव पार्टी की बेहतरी के लिए होंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। कांग्रेस नौ साल से सत्ता में नहीं है और न ही अभी तक आगे कोई ऐसी रणनीति है। केंद्र में अलग-अलग छोटे दलों के बजाय एक मजबूत विपक्षी पार्टी की आवश्यकता है। अगर कांग्रेस पार्टी को स्थायी और सशक्त नेता मिलता है तो कांग्रेस एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरकर सामने आ सकती है।
पारुल गुप्ता, फतेहगढ़ साहिब
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
जन-सहभागिता जरूरी
निस्संदेह अमृतकाल में देश को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा करना प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। लालकिले से प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार व कर्तव्य जैसे शब्दों की ओर देश का ध्यान आकर्षित किया। जातिवाद, वंशवाद, बेरोजगारी- ये सब भ्रष्टाचार के ही रूप हैं जो देश की प्रगति में बाधक हैं। देश में शिक्षा व स्वास्थ्य के ढांचे में बदलाव बहुत जरूरी है। इसलिए मुफ्त की रेवड़ियां न देकर सरकारी स्कूलों व अस्पतालों की दशा सुधारने का काम करना चाहिए। किसी भी कार्य में जन-सहभागिता बहुत जरूरी है।
सोहन लाल गौड़, कैथल
अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो
देश में अभी भी अशिक्षा, कमजोर चिकित्सा ढांचा, बेरोजगारी और गरीबी जैसी प्रमुख समस्याएं हैं। आज भी आबादी का बहुत-सा हिस्सा आधुनिक शिक्षा, उचित चिकित्सा से वंचित है। हालांकि सरकारों ने गरीब वर्ग के लोगों की भलाई के लिए बहुत-सी योजनाओं को लागू किया , लेकिन अफसोस कि भ्रष्टाचार के कारण इनका लाभ सभी जरूरतमंदों को नहीं मिल पाता है। अमृतकाल में देश के मुख्य लक्ष्य देश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा को दूर करने के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करना होना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा
अमृतकाल में यदि देश के विकास के लक्ष्य को एकीकृत करना चाहें तो आज के परिप्रेक्ष्य में तीन लक्ष्यों को प्रमुखता दी जानी चाहिए ‘शिक्षित, स्वस्थ तथा सुरक्षित भारत’। देश का हर बच्चा शिक्षित बने, क्योंकि देश के विकास में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, देश में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक बेहतर बनें, कुपोषण, भूख जैसी समस्यायों का निराकरण किया जा सके और देश आंतरिक-बाहरी शत्रुओं से सुरक्षित रहे। इसके लिए देश के सुरक्षा तंत्र को और आधुनिक और मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
राजेंद्र कुमार शर्मा, देहरादून, उत्तराखंड
दायित्वों का पालन
अमृतकाल में हमारा प्रथम लक्ष्य एक समयबद्ध योजना बना कर बेरोज़गारी को समाप्त करना होना चाहिए। देश के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। सामाजिक जीवन में महिलाओं की गरिमा बनाये रखने के लिए इनको वास्तव में सभी क्षेत्रों में बराबरी का दर्जा दिया जाये। भ्रष्टाचार का जड़ से उन्मूलन किया जाये। देश में सभी संस्कृतियों व धर्मों का पूरा सम्मान जरूरी है। हमारे धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को भी अक्षुण्ण बनाये रखना जरूरी है। हमें एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का ईमानदारी से पालन करना होगा।
शेर सिंह, हिसार
सजग हो जनता
आजादी का अमृत महोत्सव मनाना सभी देशवासियों के लिए गौरव की बात है। अमृतकाल में जरूरी है कि सरकार देश के विकास का ठोस कार्यक्रम बनाए और इसके कार्यान्वयन में सरकार व देश की जनता मिलकर काम करे। जनता को भी सजग रहने की आवश्यकता है ताकि सभी लोग भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर सकें। इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि जनता सुनिश्चित करे कि दागी व्यक्ति चुनकर जनप्रतिनिधि सभाओं में न पहंुचे तभी हमारा देश एक विकसित राष्ट्र बन सकेगा।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
जनसंख्या पर नियंत्रण
देश की आजादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण होने के बाद भी स्वास्थ्य सुधार, सड़क निर्माण, साक्षरता मिशन, स्वच्छता अभियान पर बहुत काम करने की ज़रूरत है। देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, महंगाई अपनी चरम सीमा पर हैं। सरकार ने काफी कुछ लक्ष्य हासिल भी किया है लेकिन अभी भी देश के आगे विशाल कार्यों की सूची है, जिसमें सबसे बड़ा कार्य जनसंख्या नियंत्रण है। जिसे आजादी के अमृत महोत्सव के समय में सभी पर लागू किया जाना चाहिए। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाएं बनायी जानी चाहिए, जिसमें देश का जन-जन अपना सहयोग करें।
भगवानदास छारिया, इंदौर, म.प्र.
पुरस्कृत पत्र
दृढ़ इच्छाशक्ति जरूरी
जब तक विकास का मतलब सिर्फ आधारभूत संरचनाओं का निर्माण रहेगा तब तक सही मायने में विकास नहीं होगा। विकास के लिए जरूरी अवयव हैं पूर्ण शिक्षित एवं स्वस्थ समाज, भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद मुक्त व्यवस्था, त्वरित न्याय, योग्यता अनुसार रोजगार, जाति, धर्म, क्षेत्र आदि से मुक्त राजनीति, आत्मनिर्भरता, जनसंख्या नियंत्रण, संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, सरकारी धन का सदुपयोग इत्यादि। अमृतकाल में देश के विकास के लिए यही लक्ष्य होने चाहिए। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए धन ये ज्यादा हर देशवासी में दृढ़ इच्छाशक्ति का होना जरूरी है।
बृजेश माथुर, बृज विहार, गाजियाबाद
मजबूत विपक्ष
संपादकीय ‘कांग्रेस की रेस’ में उल्लेख है कि कांग्रेस वर्तमान दौर में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति को लंबित छोड़ने तथा विपक्षी दलों से तालमेल न हो पाने के कारण मुख्य तौर से अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा से मुकाबला करने में सक्षम नहीं हो पा रही है। अच्छा हो कि जितना जल्दी हो सके कांग्रेस स्थायी रूप में अध्यक्ष की नियुक्ति करे। कांग्रेस को चाहिए कि मौजूदा दौर के मद्देनजर अपनी कार्यशैली, सोच और बदलाव की नीति में भी हरसंभव संशोधन करने में न हिचके। देश में मजबूत लोकतंत्र की आवश्यकता है और उसके लिए कांग्रेस को स्वयं सक्षम बनना होगा।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
टीका-टिप्पणी न हो
भाजपा विधायक टी. राजा सिंह की गिरफ्तारी और फिर जमानत के बाद भी हैदराबाद में तनाव बना हुआ है। भाजपा ने राजा को पार्टी से निलंबित कर यह संदेश देने की कोशिश की कि वह ऐसे नेताओं को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह घटना बता रही है कि एक-दूसरे के धर्मों के विरुद्ध टीका-टिप्पणी और आपत्तिजनक बातें करने की घातक प्रवृत्ति हमारे नेताओं में व्याप्त हो चुकी है। अब वक्त आ गया है कि सभी पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों व मंत्रियों के किसी भी प्रकार की धार्मिक या सांप्रदायिक विषय पर वक्तव्य देने पर रोक लगा दें।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.
आतंकवादी चेहरा
पाकिस्तान अपने आपको अमन पसंद देश कहता है। यह बात अलग है कि उसकी कथनी और करनी में अंतर है। हाल ही में भारतीय फौज ने घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम करते हुए इस बार तबारक हुसैन नाम का एक जिंदा आतंकवादी पकड़ा। उसने जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाने और कई खतरनाक कामों को अंजाम देने की बातें कबूल कर पाकिस्तान का आतंकवादी चेहरा सामने ला दिया है। भारत को सर्जिकल स्ट्राइक करके कड़ा संदेश देना चाहिए।
नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंद्र नगर
सराहनीय कदम
प्रधानमंत्री ने फरीदाबाद में देश के प्राइवेट क्षेत्र के सबसे बड़े 2600 बेड वाले मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया। अमृता अस्पताल का निर्माण माता अमृतानंदमयी द्वारा कराया गया है। पूज्य माता अमृतानंदमयी की नर सेवा की दिशा में इस ऐतिहासिक देन को भुलाया नहीं जा सकता। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में यह धार्मिक संस्थाओं की एक बड़ी भागीदारी हैै। वास्तव में सच्चे धर्म, पुण्य और परोपकार की दिशा में यह सराहनीय कदम है।
वेद मामूरपुर, नरेला
जनहित में नहीं
बिहार में नये मंत्रिमंडल ने आकार ले लिया है, उसका लेखा-जोखा आम आदमी को चौंकाता है। दल बदल कर फिर मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल के सदस्यों के आपराधिक रिकॉर्ड की इन दिनों खूब चर्चा है। शपथ लेने वालों में 31 मंत्रियों में कुल 10 मंत्री अापराधिक प्रकरणों में शामिल हैं। आज जिस तरह से राजनीति का स्वरूप बदलता जा रहा है उसके तहत साम, दाम, दंड, भेद सामान्य हो गया है। मगर यह सब जनहित में नहीं है।
अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर
चिंताजनक खामोशी
चौबीस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का संवेदनशील लेख ‘क्षमादान और सत्ता-समाज की खामोशी’ बिल्किस बानो के बलात्कारियों को 14 साल की जेल के बाद रिहा करने और अपराधियों को सम्मानित करने तथा समाज द्वारा चुप्पी साधने पर चिंता जाने वाला था। बलात्कारियों को छोड़ देने से पीड़िता को दोबारा पीड़ा पहुंचाने का डर सताता रहेगा!
शामलाल कौशल, रोहतक
देशभक्तों का त्याग
चौदह अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में रविंद्रनाथ टैगोर की रतन चंद रत्नेश द्वारा अनूदित 'विद्रोही' कहानी मन में देशभक्ति की जागृति की याद को ताजा करने वाली रही। देश के दीवानों के त्याग, तपस्या, बलिदान के परिणामस्वरूप आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। वतन पर मिटने वालों को कोटि-कोटि नमन!
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
मौसम की मार
इस बार की बरसात पूरे देश के लिए तबाही लेकर आई है। हिमाचल प्रदेश में शिमला-सिरमौर से लेकर चंबा तक तबाही की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। सड़कें बंद हैं तो वहीं चक्की का रेल पुल बह गया है। जन-धन की काफी क्षति हुई है। 18 से 20 अगस्त की दोपहर तक बारिश के कहर से लोग कांप गए। यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। वैसे तो लंबे समय से हिमालय की संवेदनशील परिस्थिति को देखते हुए अलग विकास मॉडल की मांग होती रही है। लेकिन मुख्य धारा का विकास मॉडल हिमालय क्षेत्र के अनुकूल नहीं है।
गणेश दत्त शर्मा, होशियारपुर
एमएसपी का लाभ
कृषकों को तो उनके उत्पाद या फसल का सरकारों द्वारा एमएसपी निर्धारित किया जाता है तो बागवानों को यह क्यों नहीं? संपादकीय ‘सेब की कसक’ में उल्लेख है कि हिमाचल प्रदेश के बागवानों को सेब का उचित मूल्य भुगतान नहीं हो पाता है। बड़े पूंजीपतियों और कंपनियों द्वारा सेब के बगीचों को आफ सीजन में खरीद लिया जाता हैं और फसल एकत्रित कर सीजन में मूल्य बढ़ाकर बेच कर मुनाफा कमाते हैं। कृषकों की तर्ज पर वंचित बागवानों द्वारा उत्पादित फसल के विक्रय पर एमएसपी नीति लागू होनी चाहिए।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
वोट का अधिकार
कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जिस तरह से एक के बाद एक नए परिवर्तन किए जा रहे हैं उससे घाटी आज काफी महक गई है। इसी क्रम में अब विधानसभा की सीटों में भी बढ़ोतरी की गई है। कश्मीर एवं जम्मू की सीटों में अब काफी समानता ला दी गई है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने उन नागरिकों को भी वोट देने का अधिकार दिया है जो काम तो कश्मीर एवं जम्मू में करते थे पर उन्हें वहां वोट देने का अधिकार नहीं था। केंद्र के ऐसे निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए।
मनमोहन राजावत राज, शाजापुर, म.प्र.
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अव्यवस्था से संकट
बीस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में दीपिका अरोड़ा का लेख ‘भुखमरी-कुपोषण बढ़ा गई महामारी’ कोरोना महामारी के बाद भारत में कुपोषण तथा भुखमरी की समस्या का विश्लेषण करने वाला था। विडंबना ही है कि भारत विश्व में सबसे ज्यादा अनाज पैदा करने वाला दूसरा देश है। वहीं सबसे सस्ता पौष्टिक आहार उपलब्ध होने पर भी जनसंख्या के एक-चौथाई से अधिक का पोषाहार से वंचित रहना चिंता का विष्ाय है। भारत में कुपोषण तथा भुखमरी का कारण सरकारी अव्यवस्था तथा वितरण प्रणाली में दोष के साथ-साथ महंगाई, बेकारी, अज्ञानता आदि बातें हैं, जिसमें सुधार की जरूरत है।
शामलाल कौशल, रोहतक
दूरदर्शी नेता
बीस अगस्त को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का लेख ‘सबको साथ लेकर चलने वाले दूरदर्शी नेता’ पढ़कर आधुनिक भारत की परिकल्पना के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। वास्तव में राजीव आधुनिक नेता थे और नयी सोच के प्रति उनका सकारात्मक रुख था। राजीव गांधी ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देकर सत्ता के विकेंद्रीकरण का सपना देखा था। एक भारत श्रेष्ठ भारत उनकी ही परिकल्पना थी। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव काल में यह विचार स्वाभाविक है कि देश राजीव गांधी की दूरदर्शिता और नेतृत्व के अतुलनीय योगदान को कभी नहीं भुला सकता।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
मुकदमों का बोझ
देश की अदालतों में न्यायाधीशों की कमी लोगों को न्याय मिलने में देरी का सबब बनती जा रही है। सवाल है कि सरकार इनकी संख्या क्यों नहीं बढ़ाती? क्यों न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रणाली को आसान नहीं बनाया जाता? मोदी सरकार को नागरिकों की परेशानी समझकर न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के लिए उचित रास्ता निकालना चाहिए। विपक्ष को भी इनकी संख्या बढ़ाने के फैसले पर सरकार से सहयोग करना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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जल की महत्ता
गोवा के पणजी में प्रधानमंत्री ने कहा कि नल से हर घर जल पहुंचाना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। उन्होंने पानी के महत्व को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। लेकिन इसको लेकर यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी भारतवासियों को स्वच्छ जल मिले, क्योंकि बहुत-सी बीमारियां जल जनित होती हैं। लोगों को भी चाहिए कि जल की महत्ता को समझें और जल को बर्बाद होने से रोकें।
नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंद्र नगर
मतदान का अधिकार
जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनावों में गैर-स्थानीय लोगों को भी मतदान करने का अधिकार होगा। यहां काम करने वाले कर्मचारी, पढ़ाई करने आए छात्र, काम की तलाश में आए मजदूर और गैर-स्थानीय जो कश्मीर में रह रहा है, अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा सकता है। यह कश्मीर चुनाव आयोग का स्वागतयोग्य फैसला है। इस बार बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेंगे। इससे मताधिकार का प्रतिशत भी पड़ेगा और घर से दूर रहने वाले लोगों को भी एक जिम्मेदार मतदाता होने के बावजूद वोटिंग नहीं कर पाने का मलाल नहीं रहेगा।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.
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ग्रामीण स्तर पर आयोजन
हरियाणा की ग्रामीण पृष्ठभूमि खेल आधारित है। तीज-त्योहारों व मेलों में पंचायती स्तर पर विभिन्न खेलों का आयोजन होता है। यही कारण है कि गांवों के बच्चे व युवा खेलों के प्रति स्वयंमेव आकर्षित होते जाते हैं। जबकि देश के अन्य राज्यों में ऐसे सामाजिक आयोजन कम देखे जाते हैं। राज्य सरकार की खेलनीति और खेलों में उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए ग्रामीण युवाओं का राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदकों की बौछार करना बाकी राज्यों के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। हरियाणा एक अनुकरणीय राज्य हो सकता है। यह तभी सार्थक होगा जब प्रांतीय सरकारें रुचि दिखाएं।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
मेहनत की मिठास
राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने 20 मेडल जीतकर एक मिसाल कायम की है। अनुभवी कोचों के मार्गदर्शन में खिलाड़ियों को तैयार कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाना उनकी मेहनत-लगन का ही परिणाम है। प्रदेश सरकार की खेल नीति में खिलाड़ियों को पूर्ण सुविधाएं विजयश्री दिलाने का एक पर्याय हैं। वहीं पदक विजेता खिलाड़ियों को स्थाई नौकरी, आर्थिक पुरस्कार के साथ-साथ खिलाड़ियों का मान-सम्मान दिलाने में भी सहयोगी रहे हैैं। दूसरे राज्यों को भी हरियाणा सरकार की खेल नीतियों का अनुसरण करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
प्रोत्साहन की नीति
हरियाणा के खिलाड़ियों की जीत का श्रेय उनकी काबिलियत के साथ-साथ प्रदेश सरकार की नीतियों को भी जाता है। सरकार द्वारा खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए जो रचनात्मक नीतियां क्रियान्वित की गईं उसके सार्थक परिणाम भी मिले। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए प्रतियोगिता से पहले ही नकद राशि उपलब्ध करवाई गई जिसने खिलाड़ियों में जोश भरा। खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए देश के अन्य राज्यों को भी ऐसी ही रचनात्मक नीतियां लानी चाहिए।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
खेल नीति प्रेरक
ओलम्पिक खेल हों, पैरा ओलम्पिक या फिर राष्ट्रमण्डल खेल, हरियाणा के खिलाड़ियों ने स्वर्ण, रजत, कांस्य पदक जीत कर देश के गौरव को बढ़ाया है। इस सफलता को पाने में जहां खिलाड़ियों की मेहनत का योगदान है, वहीं प्रदेश की सरकार की खेलनीति का भी महत्वपूर्ण योगदान है। राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा की सफलता से सबक लेकर अन्य राज्यों की सरकारों को भी अपनी एक नई खेल नीति बनानी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो हमारा देश अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अन्य बड़े देशों को बड़ी चुनौती दे सकता है।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
साझे प्रयास
किसी भी स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में पदक लाने का श्रेय खिलाड़ियों की मेहनत के साथ-साथ उस प्रदेश की खेल नीति पर निर्भर करता है। खिलाड़ियों को एक निर्धारित स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतने पर नौकरी व धन वर्षा करके उसको सम्मानित करना पदक जीतने के लिए उत्साहवर्धन करता है। देश के कई राज्य हरियाणा की खेल नीति का अनुसरण कर रहे हैं। इन प्रदेशों में खेल नर्सरियां खोलकर प्रशिक्षित कोचों का इंतजाम किया जाए। समय-समय पर इन नर्सरियों में राष्ट्रमंडल तथा ओलम्पिक विजेता खिलाड़ियों को आमंत्रित कर इनके जुनून व जज्बे की दास्तां साझा की जाएं।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम
मुफ्त कोचिंग सेंटर
हरियाणा सरकार द्वारा खिलाड़ियों को ग्रामीण स्तर की प्रतियोगिताओं से लेकर एशियन गेम्स, विश्व चैम्पियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल एवं ओलम्पिक खेल प्रतियोगिताओं तक में भाग लेने के लिए प्रशिक्षण, प्रोत्साहन एवं पुरस्कार दिए जा रहे हैं। युवाओं को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, प्रशिक्षक, सुविधाएं व मुफ्त कोचिंग देने के लिए सेंटर खोले हैं। यही कारण है कि हरियाणा के खिलाड़ियों ने विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में सोने, चांदी व कांस्य के पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। यह सब उचित प्रोत्साहन राशि पुरस्कार इत्यादि सरकार की खेल नीति के मुख्य अंग हैं।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
पुरस्कृत पत्र
स्कूली स्तर से तैयारी
हरियाणा सरकार खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। यही कारण है कि खिलाड़ियों ने प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक नतीजे प्रदान किए हैं। वास्तव में, इसकी वजह यहां की खेल नीति है। सरकार खिलाड़ियों को स्कूली स्तर से ही निखारने लगती है और उन्हें हरसंभव सहायता और हर सुविधा देती है तथा इनामों की बारिश करती है। खिलाड़ियों के लिए अच्छे प्रशिक्षण, कोचिंग की यहां बेहतरीन से बेहतरीन व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। यही वजह है कि यहां खेलों को प्रोत्साहन मिलता है। यहां, खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं काफी अच्छी हैं और यहां सबसे ज्यादा खिलाड़ी तैयार होते हैं।
सुनील कुमार महला, पटियाला, पंजाब
भारत की छवि
अमेरिका के पेंटागन ने हाल ही में कहा है कि अब भारत के अधिकारियों के अमेरिका आने-जाने पर कोई कागजी कार्रवाई या फिर कड़ी छानबीन नहीं की जाएगी। दरअसल इसकी घोषणा अमेरिका ने तब की जब भारत अपने आजादी के 75 साल होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ज्ञात हो कि अमेरिका यह दर्जा अपने सबसे क़रीबी देशों को देता है। यूक्रेन और रूस विवाद से भारत और अमेरिका के बीच खटास नहीं बल्कि रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। यूक्रेन मुद्दे पर भारत की तटस्थता ने भारत की छवि को और मजबूत किया है।
समराज चौहान, असम
रेवड़ी कल्चर के खतरे
देश में बढ़ते अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक रेवड़ी कल्चर को लेकर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। लगभग सभी राजनीतिक दल चुनाव के समय सत्ता पाने के लिए लोकलुभावन मुफ्त योजनाओं का सहारा लेते हैं जिनका राजकोष पर विपरीत असर पड़ता है। कोर्ट के सख्त रुख के बाद देश में राजनीतिक दलों के बीच एक बहस छिड़ गई है कि कौन-सी घोषणा रेवड़ी कल्चर के अन्तर्गत आती है। ऐसे में देश की जनता सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर एक विस्तृत गाइडलाइन के लिए आस लगाए हुए है।
निक्की सचिन जैन, मुजफ्फरनगर
आउटपुट के मायने
बिहार के शिक्षा मंत्री का कहना कि स्कूलों में जितने ही शिक्षक कार्यरत हैं वे हमें आउटपुट देंगे तभी हम उनके मुद्दों पर विचार करेंगे। पहले आउटपुट दीजिए। वैसे शिक्षा मंत्री जिस आउटपुट की बात कर रहे हैं उसके लिए सबसे पहले यह समझना चाहिए कि शिक्षकों की नियुक्ति किस उद्देश्य से करते हैं? शिक्षकों से पठन-पाठन के अतिरिक्त जितने भी कार्य करवाए जाते हैं उनसे उन्हें मुक्त करना होगा। तभी एक शिक्षक से आउटपुट पाने की उम्मीद कर सकते हैं।
सफी अंजुम, रामपुर डेहरु, मधेपुरा
समता का समाज
सत्रह अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘प्रतीक नहीं हकीकत बने समता का समाज’ देश में राजनीतिक आजादी के साथ-साथ सामाजिक आजादी तथा समरसता की आवश्यकता पर बल देने वाला था। आजादी की 75वें वर्ष में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो भेदभाव तथा नफरत वाली बातें हमारी राजनीतिक आजादी को खोखला कर देती हैं! देश में सामाजिक समरसता तथा बंधुत्व ही राजनीतिक स्वतंत्रता को पूर्ण बनाएंगे।
शामलाल कौशल, रोहतक
राष्ट्रीय भावना
हाल ही में देशभर में अमृत महोत्सव के दौरान तिरंगा यात्रा और स्वतंत्रता दिवस पर सभी वर्ग के नागरिकों ने अपनी भागीदारी दर्ज कर दुनिया को एक नया संदेश दिया है। अब कुछ नया करने का समय आ गया ताकि यह देशप्रेम की भावना और प्रगाढ़ हो। अब हमें सभी आयोजनों का आरंभ राष्ट्रगान के साथ शुरू करना चाहिए। चाहे वे शासकीय हों, अर्धशासकीय हों या किसी भी सम्प्रदाय का धार्मिक आयोजन ही क्यों न हो।
विभाष अमृतलालजी जैन, झाबुआ, म.प्र.
घरेलू बजट पर असर
दो नामी कंपनियों अमूल और मदर डेयरी दूध के दाम 6 महीने में दूसरी बार बढ़ रहे हैं। कंपनी ने महंगे ट्रांसपोर्टेशन का हवाला दिया है। कंपनी का कहना था कि महंगे पेट्रोल-डीजल की वजह से दूध के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं। यह निश्चित रूप से मध्यम वर्ग के लोगों की क्रय शक्ति को भी प्रभावित करेगा। इनके दाम बढ़ने से लगभग सभी घरों के बजट पर असर पड़ना तय है।
पारुल गुप्ता, फतेहगढ़ साहिब
विकास में बाधा
पश्चिमी बंगाल और महाराष्ट्र में आयकर और ईडी की कार्रवाई के दौरान अकूत संपत्ति पकड़ने के बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। एक तरफ दाने-दाने के लिए मोहताज वर्ग है तो दूसरी तरफ सरकार को चूना लगाकर अरबों की संपत्ति जमा हो रही है। ऐसे भ्रष्टाचार से भारत का विकास कैसे संभव है।
कांतिलाल मांडोत, सूरत
फुटबॉल प्रेमी निराश
फीफा द्वारा भारतीय फुटबॉल संघ के निलंबन से भारत के फुटबॉल प्रेमियों में गहरी निराशा है। फीफा के द्वारा न केवल निलंबन किया है बल्कि भारत की मेजबानी में अंडर 17 महिला फुटबॉल विश्व कप के आयोजन पर भी रोक लगा दी है। फीफा का आरोप है कि भारतीय फुटबॉल संघ में तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी के कारण यह कार्रवाई की गई है। भारतीय फुटबॉल संघ एवं खेल मंत्रालय को जरूर इसका समाधान निकालना होगा और भारतीय फुटबॉल संघ को निष्पक्ष संस्था के रूप में स्थापित करना होगा ताकि निलंबन की वापसी की जा सके।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
पारदर्शी व्यवस्था जरूरी
सत्रह अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में ‘अमृतकाल के लक्ष्य’ संपादकीय में जिन मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है। भ्रष्टाचार आजादी के बाद से ही देश में नासूर की तरह फैला हुआ है। भ्रष्ट लोग या तो नेतागीरी की आड़ में बच गए या फिर राजनीति में आकर नेता बन गए। इसी वजह से भ्रष्टाचार आज ‘शिष्टाचार’ बन चुका है। देश में अगर स्वच्छ प्रशासन की बात होगी तो उसके लिए पारदर्शी व्यवस्था का तंत्र विकसित करना होगा। जिम्मेदारी जनता की भी है कि वह भी राष्ट्र के प्रति कृतज्ञ बने।
अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर
सार्थकता पर विचार
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव के रूप में देशभक्ति की भावना जगाने का स्वागतयोग्य प्रयास किया है। लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश महंगाई, बढ़ती बेकारी, भ्रष्टाचार, चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, खेती-किसानी व्यवसाय में घाटे की तस्वीर प्रस्तुत करता है। देश की अर्थव्यवस्था भी इतनी मजबूत नहीं कि लोग पूरी तरह आत्मनिर्भर हो सकें। ऐसे में अमृत महोत्सव की सार्थकता पर पुनः विचार करने की जरूरत है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
सियासी चाल
राजनीति के खेल में सियासी चाल कैसे चलनी है यह नीतीश कुमार से बेहतर कोई नहीं जानता होगा। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और राजद से लगभग आधी सीटाें पर जीत हासिल करने के बावजूद नीतीश बिहार की गद्दी पर विराजमान हो जाते हैं। चिंता की बात है कि सीएम नीतीश की चतुरंगी चाल की सजा बिहार क्यों भुगते? नीतीश की पलटबाजी से क्या बिहार में कोई निखार देखने को मिलेगा या फिर यह गठबंधन मात्र अवसरवादी गठजोड़ बनकर रह जाएगा, यह देखने वाली बात होगी।
अभिनव राज, नोएडा
दूरदर्शी प्रयास करें
कश्मीर घाटी में आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आतंकी ‘टारगेट किलिंग’ के तहत कश्मीरी पंडितों को निशाना बना रहे हैं। हालांकि पुलिस व सेना लगातार एक के बाद एक आतंकियों को मौत के घाट उतार रही हैं। आखिर कश्मीरी पंडित कमाने के लिए घर से बाहर नहीं निकलें तो क्या करें? कश्मीरी पंडित पिछले 90 दिनों से प्रदर्शन कर गुहार लगा रहे हैं मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनकी आवाज़ को सुनने के साथ, आतंकियों के खूनी मंसूबे रोकने के लिए प्रशासन को दूरदर्शी प्रयास करना चाहिए।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
फिर अयोग्य विद्यार्थी
पश्चिम बंगाल के शिक्षामंत्री का शिक्षक भर्ती घोटाले में नाम उजागर होना देश के संविधान और लोकतंत्र के साथ एक बड़ी धोखाधड़ी है। मंत्री अपना पद ग्रहण करते वक्त संविधान में पूर्ण निष्ठा की शपथ लेते हैं और फिर उनमें से कुछ उसी शपथ की धज्जियां उड़ा कर ऐसे कृत्य करते हैं। हरियाणा में भी जेबीटी शिक्षक भर्ती का बड़ा घोटाला हो चुका है। घूस लेकर जब अयोग्य शिक्षकों को देश के भविष्य निर्माण का जिम्मा सौंपा जाएगा तो बच्चों का किस तरह का भविष्य निर्माण होगा? अयोग्य शिक्षक तो अयोग्य विद्यार्थी ही तैयार करेगा।
राजेंद्र कुमार शर्मा, देहरादून, उत्तराखंड
देश के लिए घातक
शैक्षिक क्षेत्र भी आजकल घोटालों की चपेट में है। पश्चिम बंगाल में उजागर हुए फर्जीवाड़े के बाद मंत्री का जेल जाना इस बात का पक्का सबूत है कि रसूखदार नेता, मंत्री अपने पद का दुरुपयोग करके प्रतिभाओं का गला घोट रहे हैं। यह न सिर्फ विद्यार्थियों अपितु देश के लिए भी घातक है। ऐसी परंपरा के चलते कई योग्य प्रतिभाएं आज निजी क्षेत्रों की शरण में हैं। अगर इन्हें सरकारी नौकरियों में तवज्जो मिलती तो कहा जा सकता है कि उसका बड़ा लाभ देश को मिलता। सरकार को भर्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म करने के साथ ही सिस्टम को पारदर्शी बनाना चाहिए।
अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर
न्यायालय पहल करे
पश्चिम बंगाल के एक मंत्री तथा उसकी एक मित्र के यहां से 50 करोड़ रुपए से अधिक की नगदी और सोना मिलना चौंकाने वाला है। शिक्षक भर्ती घोटाला हरियाणा में भी हो चुका है। राजनेताओं के लिए शैक्षिक भर्तियां कामधेनु बनी हुई हैं। मंत्रियों द्वारा शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की नौकरियों को बेचने से रोकने के लिए न्यायालय को ही कोई पुख्ता प्रबंध करना पड़ेगा। नौकरियों में ऑनलाइन तथा वीडियोग्राफी द्वारा नियुक्ति होनी चाहिए। शैक्षिक भर्तियों की हेरा-फेरी रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी जरूरी है।
शामलाल कौशल, रोहतक
राजनेता दखल न दें
पश्चिमी बंगाल में मंत्री व उनकी करीबी के यहां से शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के बाद पचास करोड़ से अधिक नकदी व अन्य सम्पत्ति का मिलना चौंकाता है। इस घटनाक्रम की जितनी भर्त्सना की जाये कम है। शैक्षिक भर्तियां राजनेताओं के लिए अकूत धन कमाने का साधन रही हैं। हरियाणा में भी कुछ वर्ष पूर्व शिक्षक भर्ती घोटाला प्रकाश में आया। ऐसे में देश के बच्चों का भविष्य संवारने वाले सुयोग्य शिक्षक कैसे भर्ती होंगे? ऐसे में आवश्यकता है एक ऐसी भर्ती व्यवस्था की जो भ्रष्टाचार से रहित व राजनेताओं के हस्तक्षेप से मुक्त हो। अच्छा हो यदि शिक्षा शिक्षाविदों के ही हाथों में रहे।
शेर सिंह, हिसार
पारदर्शी व्यवस्था हो
भ्रष्टाचार के रास्ते भर्ती हुए अयोग्य शिक्षक बच्चों काे क्या पढ़ाएंगे, यह सहज ही सोचने की बात है। ऐसा अनेक राज्यों में देखने को मिल रहा है। इसलिए ठोस शिक्षा सुधार के लिए पारदर्शी परीक्षा और साक्षात्कार भी जरूरी है, जैसे केंद्रीय विद्यालय शिक्षक भर्ती में होता है। परीक्षा के बाद साक्षात्कार से ही व्यक्तित्व की सही परख होती है। यह उम्मीदवार के योग्य-अयोग्य होने को पुख्ता करता है। इसके साथ ही भर्ती के समय राजनेताओं का हस्तक्षेप बिल्कुल न हो। तभी योग्य एवं अनुभवी शिक्षक देश का भविष्य संवार सकते हैं।
वेद मामूरपुर, नरेला
भविष्य पर सवाल
पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में अथाह संपत्ति का पाया जाना दर्शाता है कि देश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। दरअसल, देश में सोच विकसित होती जा रही है कि बगैर रिश्वत के नौकरी नहीं मिलती। मेधावी छात्रों में, इससे निराशा उत्पन्न होती है। आज का शिक्षक देश की युवा शक्ति का निर्माता है, और यदि उसका ही आचरण घूस देने का है तो छात्र वर्ग का भविष्य भी अंधकारमय होगा। ऐसे घोटालों के चलते समाज नैतिक पतन की ओर अग्रसर होगा। अतः मेधावी छात्र वर्ग के भविष्य को बचाना जरूरी है
श्रीमती केरा सिंह, नरवाना
शैक्षिक गुणवत्ता पर असर
शैक्षिक भर्तियों में घोटालों ने देश को शर्मसार किया है। वहीं ये शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं। शिक्षा में भ्रष्टाचार किसी राज्य की समस्या से भी आगे विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा मसला है। शिक्षक भर्ती में पैसों के लेनदेन से शैक्षिक गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है। जाहिर है अच्छे शिक्षक के बगैर बेहतर शिक्षा की उम्मीद बेमानी है। शिक्षा और शिक्षक के पेशे को रोज़गार की नज़र से देखना ही ऐसे अपराधों को जन्म देता है। उच्चतम न्यायालय द्वारा झारखंड की भर्ती प्रक्रिया और आरक्षण पर दिया गया फैसला शिक्षा के राजनीतीकरण को उजागर करता है। लिहाज़ा सभी प्रादेशिक सरकारों को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और भेदभाव रहित बनानी होगी।
एमके मिश्रा, रांची, झारखंड
पुरस्कृत पत्र
सख्त सज़ा मिले
शैक्षिक या किसी भी भर्ती में घोटाले का मतलब है अयोग्य उम्मीदवारों का चयन। लेकिन एक अयोग्य शिक्षक के चयन का मतलब है लगातार 25-30 साल तक, हर साल पढ़ने आने वाले प्रत्येक छात्र को स्तरीय शिक्षा से वंचित रखना। भ्रष्टाचार के दम पर नौकरी पाने वाला शिक्षक न तो अपने छात्रों को बेहतर शिक्षित कर पायेगा और न ही उन्हें ईमानदारी और संस्कारी बना पायेगा। उम्दा शिक्षा की चाह रखने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ होने वाले इस धोखे की भरपाई नामुमकिन है। कई पीढ़ियों में अयोग्यता के हजारों बीज बोने वाले इस कृत्य को करने वाले हर शख्स को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
बृजेश माथुर, बृज विहार, गाजियाबाद
संकल्प का दिन
आजादी की 75वीं वर्षगांठ को देशभर में अमृत महोत्सव के रूप मनाया जा रहा है। अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में कई राष्ट्रीय आयोजन, तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं। इन आयोजनों के साथ-साथ हमें देशहित के लिए अपने मन में भ्रष्टाचार से मुक्ति, पौधरोपण, पानी के अपव्यय को रोकने, स्वच्छता बनाए रखने, रक्तदान, नेत्रदान जैसे अनुकरणीय कार्य करने का संकल्प लेना होगा। तभी 75वीं वर्षगांठ पर ‘एक भारत नेक भारत’ का सपना साकार हो सकेगा।
विभाष अमृतलालजी जैन, झाबुआ, म.प्र.
रोजगार की दरकार
मुफ्त की रेवड़ियों का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है जिस पर गंभीरता से विचार हो रहा है। असल में जनता से वोट प्राप्ति के लिए पार्टियों और नेताओं द्वारा किये गए वायदे एक रिश्वत जैसे ही हैं। ऐसे वायदे देश की अर्थव्यवस्था को एक झटका हैं, विकास में बाधा हैं। इस मुफ्तखोरी की जगह जनता को रोजगार की जरूरत है। सरकार को मुफ्त रेवड़ियों के स्थान पर बेरोजगारों के लिए रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।
वेद मामूरपुर, नरेला
मुश्किलों से प्रेरणा
सात अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में प्रदीप उपाध्याय की ‘जिजीविषा’ कहानी दिल की गहराइयों को छूने वाली थी। एक लड़की का बहू के रूप में नए घर में प्रवेश स्वयं को परीक्षा की कसौटी पर कसना है। नवीन वातावरण से सामंजस्य स्थापित करना एक आदर्श गृहिणी के लक्षण हैं। विकट परिस्थितियां मानव को दृढ़ता, आत्मविश्वास, कर्तव्यनिष्ठ होने की प्रेरणा व जीने की शक्ति प्रदान करती है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
भेदभाव न हो
भारतीय खेल संघों व संगठनों में भाई-भतीजावाद व स्वार्थी राजनीति को अनदेखा नहीं किया जा सकता। खेल संगठनों के पदाधिकारियों को ‘अंधा बांटे रेवड़ी, अपने अपने को दे’ बीमारी से बाहर निकलना होगा, ताकि तेजस्विन जैसे खिलाड़ी भेदभाव के शिकार न हों। चयनकर्ताओं को पारदर्शी तरीके से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को ही आधार बनाते हुए खिलाड़ियों का चयन करना चाहिए।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
नीतीश होने के मायने
ग्यारह अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘नीतीश होने के मायने’ नीतीश कुमार के राजनीतिक कौशल के कारण उनका आठवीं बार मुख्यमंत्री बनना तथा आगामी 2024 के संसदीय चुनावों में भाजपा को चुनौती का चित्र खींचने वाला था। नीतीश को यह महसूस होने लगा था कि भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के साथ खेले खेल को बिहार में भी दोहराने वाली है। इसके अलावा नीतीश कुमार का भाजपा के साथ कई मामलों पर मतभेद होने के कारण खटास भी थी। यह भी संभव है कि भाजपा को अलविदा कहने और राजद समेत 8 विपक्षी दलों के साथ सरकार बनाने के बाद वह विपक्षी एकता के सूत्रधार बन सकें।
शामलाल कौशल, रोहतक
फिर भी उपलब्धि
राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने चौथा स्थान प्राप्त किया है। भारत की उपलब्धि कहीं ज्यादा होती यदि कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग प्रतियोगिता को बाहर न किया होता। इन खेलों में महिला लॉन बॉल्स में महिलाओं ने स्वर्ण पदक जीतकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। भारतीय महिला हॉकी ने भी 16 वर्ष बाद कांस्य पदक जीता। भारतीय राष्ट्रीय खेल हॉकी के पुरुष वर्ग में चांदी का पदक जीता है। हालांकि, फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से मिली बड़ी हार से दुख जरूर हुआ। कुल मिलाकर भारत की उपलब्धि श्रेष्ठ रही।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
आर्थिक चुनौती
आठ अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में सुरेश सेठ के ‘आर्थिक चुनौतियों में उम्मीदों का उजाला’ लेख के मुताबिक, सरकार द्वारा जीएसटी की नई दरें घोषित करना लगातार महंगाई को और बढ़ाने वाली नीति हो गई है। इससे महंगाई के साथ लोगों की कठिनाइयां भी बढ़ी हैं। इसमें राहत मिलनी चाहिए। वहीं ज्यादा आयात वाली अर्थव्यवस्था की प्रकृति बदलनी चाहिए। दरअसल, हमारी मुख्य निर्यात वस्तुएं भी कच्चे माल के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर करती हैं।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
पर्व का मर्म
भाई-बहन के पवित्र रिश्ते में नया रंग भरने और प्यार के बंधन में और मिठास घोलने के लिए रक्षाबंधन मनाया जाता है। रक्षाबंधन किसी धर्म विशेष के लिए नहीं, बल्कि हर धर्म के लिए प्रेरक और आदर्श है। इस त्योहार के साथ हिंदू-मुस्लिम एकता को दर्शाने वाले उदाहरण भी हैं। हर त्योहार और पर्व को मनाने के साथ, उसके इतिहास को जानना चाहिए ताकि त्योहारों-पर्वों का मान बना रहे।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सख्त कार्रवाई हो
प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का धरती या नदी-नालों में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। प्लास्टिक भूमि प्रदूषण को भी बढ़ाता है। वहीं प्लास्टिक को जलाने से कई हानिकारक गैसें निकलती हैं जो मनुष्य और जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। हाल में ही सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाई है लेकिन अभी भी प्लास्टिक से बनी बहुत वस्तुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार को ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। तभी हम धरती के स्वास्थ्य को ठीक रख सकते हैं।
अकांक्षा कंसल, मंडी गोबिंदगढ़
चीन की बौखलाहट
दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘चीन से चौकन्ना’ में उल्लेखित है कि आजकल चीन भारत के खिलाफ अकारण जहर उगल रहा है। गलत जानकारी देकर चीन दुनिया को भी गुमराह कर रहा है। यद्यपि क्वाड की सक्रियता से भी चीन में बौखलाहट है। हाल ही के दिनों में पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीनी गतिविधियों को देखा गया, जिससे पता चलता है कि चीन विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का इच्छुक नहीं है। सीमा पर गतिरोध पैदा करके वह भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाना चाहता है। भारत के खिलाफ चीन चाहे जितना अपना पक्ष मजबूत करे किंतु अंततः असफलता ही हाथ लगेगी। फिर भी चीन के प्रति भारत को चौकन्ना रहना होगा।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
स्मारक के मायने
आठ अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर ‘विभाजन विभीषिका : शहीदों की सुध ली पहली बार’ भारत विभाजन से आहत लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों के लिए राहत देने वाली थी। ऐसे लोग प्रधानमंत्री, की इस बात के लिए प्रशंसा करते हैं कि हर साल 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया जाएगा। भारत विभाजन के समय भारत आने वाले लोगों की याद में कुरुक्षेत्र में ‘शहीद स्मारक’ बनाने की योजना के लिए प्रभावित लोग ऋणी रहेंगे।
शामलाल कौशल, रोहतक
हॉकी का हश्र
कॉमनवेल्थ गेम में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हॉकी में 7-0 से शिकस्त दी। हॉकी प्रेमियों के लिए तो यह किसी आघात से कम नहीं है। वर्ष 2020 में भारतीय टीम ने टोक्यो में आयोजित ओलंपिक खेलों में जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीता था। तब लगा था कि भारत का स्वर्णमय इतिहास लौट आया है। लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स में फाइनल मैच में आस्ट्रेलिया के सामने जिस प्रकार हॉकी टीम धराशायी हुई है, उसके लिए भारत के खेल मंत्रालय, हॉकी संघ और रणनीतिकारों को गंभीर मंथन करने की जरूरत है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
मवेशियों में संक्रमण
राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में मवेशियों में संक्रमण फैल रहा है, जिसे लंपी स्किन रोग कहा जाता है। लोगों ने डेयरी उत्पादों पर भी विराम लगा दिया है ताकि संक्रमण मनुष्यों को नुकसान न पहुंचा पाए। जरूरी है कि मवेशियों की उचित चिकित्सा व देखभाल की जाये ताकि इससे जीवन के लिए खतरा न बढ़े। सरकारों को इसके लिए उचित कदम उठाने तथा रोग को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
पारुल गुप्ता, फतेहगढ़ साहिब
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
खिलाड़ियों का दमखम
आठ अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘सोने चांदी का हरियाणा’ राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों द्वारा 9 स्वर्ण समेत 16 पदक देश की झोली में डालने पर सिर गर्व से ऊंचा कर गया। यह खिलाड़ियों की प्रतिभा तथा सरकारी नीतियों का ही परिणाम है। खिलाड़ियों द्वारा बेहतरीन उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व हरियाणा मंत्रिमंडल ने विजेताओं की हौसला अफजाई की है। खिलाड़ियों ने ओलंपिक के बाद राष्ट्रमंडल खेलों में भी देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमका दिया है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
तिरंगे की शान
राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए सरकार ने बड़े बदलाव किए हैं। नये बदलाव के बाद अब लोग अपने घरों या खुले स्थान पर दिन-रात दोनों समय झंडा फहरा सकेंगे। इसके अलावा पॉलिएस्टर से बने झंडे फहराने की अनुमति भी दी गई है। निश्चित रूप से सरकार का यह कदम लोगों की देश और झंडे के प्रति वफादारी बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
सबका सहयोग
कई सरकारें आयी-गयी लेकिन हरियाणा में खनन माफिया का अवैध धंधा प्रशासन की आंखों तले फलता-फूलता रहा है जिसे रोकने का प्रयास करने के दौरान एक कर्तव्यनिष्ठ डीएसपी की हत्या कर दी गई। वह अपराधियों को अवैध खनन से रोक रहा था। लेकिन अवैध खनन रोकना अकेले प्रशासन की जिम्मेवारी नहीं है अपितु इसके लिए जन जागरूकता की जरूरत है। वहीं अवैध खनन में लिप्त लोगों की सूचना पुलिस प्रशासन तक पहुंचाने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाना चाहिए। प्राकृतिक संपदा के रखरखाव के लिए आम आदमी का सहयोग जरूरी है। पर्याप्त पुलिस बल की मदद से कानून सख्ती से लागू करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
हमारी जिम्मेदारी
हम सदियों से पहाड़ों, नदियों वृक्षों आदि प्राकृतिक संपदा की पूजा-अर्चना और संरक्षण करते आए हैं, क्योंकि इनकी वजह से ही हमारा जीवन-प्राण कायम हैं। मगर अनेक वर्षों से हम विकास के नाम पर एवं स्वार्थवश अपने इन जीवन के आधारों का विनाश करने में लगे हैं, जिसके परिणाम आज भिन्न-भिन्न त्रासदियों के रूप में भुगत रहे हैं। इसलिए सरकारी एजेंसियों की ओर न देखते हुए हमें अपना दायित्व निभाने के लिए इनके संरक्षण की जिम्मेदारी स्वयं संभालनी होगी।
एमएल शर्मा, कुरुक्षेत्र
पौधरोपण करें
प्रकृति में संतुलन के लिए प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि घर, मोहल्ले, शहर के बाग-बगीचों में पौधरोपण करे। हर घर में पानी का रिचार्ज प्लांट लगाना चाहिए जिससे जमीन में पानी संगृहीत हो सके। ड्रेनेज लाइन सड़कों के आसपास होनी चाहिए जिससे पानी बह कर नालों एवं नदियों में मिल सके। नदी-नालों की गाद समय-समय पर निकलती रहे, जिससे पानी गहराई तक संचित रहे। वहीं सोलर ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल किया जाए ताकि पानी की ऊर्जा से बिजली बनाने में खर्च कम हो। लोगों को घरों में सोलर एनर्जी उपकरण लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
भगवानदास छारिया, सोमानी नगर, इंदौर
सख्त कार्रवाई हो
देश की प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा की जितनी जिम्मेदारी सरकार, पुलिस तथा कोर्ट की है उतनी ही देश के प्रत्येक नागरिक की भी है। इस संबंध में सभी नागरिकों को सरकार के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त यह भी जरूरी है कि सरकारी तंत्र भी सजग रह कर इस दिशा में कार्य करे ताकि माफिया मजबूत न हो सके। माफिया तंत्र पर अंकुश लगाने के लिए कानून को और अधिक सख्त बनाया जाए तथा इस प्रकार के अपराधियों के विरुद्ध अविलंब सख्त कार्रवाई की जाए, तभी प्राकृतिक संपदा का संरक्षण हो सकेगा।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
गंभीर प्रयास जरूरी
प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हमें उतना ही गंभीर होना चाहिए, जितना कि हम अपनी सुख-सुविधाओं और खानपान के लिए होते हैं। हम भौतिकतावाद और आधुनिकता की चकाचौंध में सही दृष्टि गंवा चुके हैं, और अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संपदा को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी गलतियों का खमियाजा हमें आज नहीं तो कल भुगतना पड़ेगा। अगर भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से बचना है तो अभी से प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। इसके लिए सरकारों का मुंह नहीं ताकना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
आम आदमी मूकदर्शक
अवैध खनन का कारोबार देश के हर कोने में धड़ल्ले से चल रहा है। देश का एक वर्ग जिसे राजनीतिक दलों का संरक्षण भी प्राप्त है, विभिन्न प्राकृतिक संपदाओं को दोनों हाथों से लूटने पर लगा है। कानून का खौफ इस माफिया को नहीं है। तावड़ू हत्याकांड से पूर्व भी कई पुलिस अधिकारियों की जानें जा चुकी हैं लेकिन सरकारों सब कुछ देखते हुए भी अनदेखी कर देती हैं। लकड़ी, रेत और पहाड़ों की इस लूट में कई विभागों के कुछ लोग भी लिप्त हैं। कुछ दिन सुर्खियां बनने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है। वहीं प्राकृतिक संपदा के संरक्षण में आम आदमी मूकदर्शक है।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
पुरस्कृत पत्र
नीतियों में खामियां
सरकारी तंत्र की खामियों के चलते देश में खनन माफिया मजबूत होता जा रहा है। दशकों से जारी अवैध खनन पर तंत्र की उदासीनता के चलते नकेल नहीं कसी जा सकी। अवैध खनन को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बलों के साथ ही छापेमारी की जानी चाहिए। आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन आदि का सहारा लेकर निगरानी की जानी चाहिए। दरअसल, जनसंख्या वृद्धि और भौतिक जरूरतों के लिए हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से दोहन करते जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा है। प्रकृतिक संपदा हमारी पूंजी है जिसका लाभकारी कार्यों में सुनियोजित ढंग से उपयोग होना चाहिए।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
असफल प्रयास
पाकिस्तान ने आजकल तुर्की को भारत विरोध का नया अड्डा बनाया है। चाहे मदरसों के लिए फंडिंग हो या फिर अन्य कोई फंडिंग- हर मामले में पाकिस्तान तुर्की को आगे बढ़ा कर काम करवा रहा है। अब कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा वार में तुर्की उसकी मदद कर रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से आज वहां शांति की स्थापना हुई है। उससे पाकिस्तान सरकार बौखला गई है। अतः अब उसने तुर्की को मोहरा बनाकर भारत एवं कश्मीर विरोधी अड्डा बनाने का एक प्रयास किया है।
एमएम राजावत राज, शाजापुर
कमजोर विपक्ष
हाल ही में अमित शाह ने पटना में कहा कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पिछले दो बार की तुलना में और अधिक सीटें जीतेगी। यह सही है कि भाजपा अपने मजबूत कदमों से विपक्ष को पछाड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ रही है। इसके अलावा उसके पास बड़ा संगठन भी है जो निरंतर काम में लगा है। दूसरी ओर विपक्ष अब प्रायः कमजोर ही है। तृणमूल कांग्रेस समेत आज कई विपक्षी पार्टियों के दामन पर भी दाग दिखाई दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी की भी कलई खुलने लगी है।
वेद मामूरपुर, नरेला
मानव ही दोषी
इकतीस जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून लहरें अंक में डॉ. संजय वर्मा का ‘मौसम को बम बनाने वाला कौन’ लेख मानवता को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सजग करने वाला व विश्लेषण परक रहा। विकास की अंधी दौड़ में औद्योगिक फैक्टरियों से विषैला रासायनिक जल, चिमनियों का धुआं, वृक्षों का कटान, अवैध खनन इत्यादि ग्लोबल वार्मिंग के लिये उत्तरदायी हैं। शासनाधीशों को आपदाओं के उपचार-निदान के विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
पीड़ा का हो अहसास
तीन अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘आम आदमी की पीड़ा का भी हो अहसास’ महंगाई के मुद्दे पर सदन में चर्चा के बाद सत्तापक्ष तथा विपक्ष को जनता की समस्याओं पर विचार करने तथा समाधान करने का सुझाव देने वाला था। इस बार दोनों पक्षों के रवैये के कारण संसद में जो गतिरोध उत्पन्न हुआ उससे जनता के करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। संसद में बहस का मतलब यह होता है कि किसी मुद्दे पर गंभीरता से चिंतन हो और बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान हो। दोनों पक्षों को सौहार्दपूर्ण तथा गरिमामय ढंग से विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए सदन को चलाना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
महंगाई की मार
संसद में महंगाई पर चर्चा के दौरान सांसद जयंत सिन्हा ने जिस ढंग से कहा कि मुझे तो महंगाई ढूंढ़ने से भी नहीं दिखाई दे रही है। उन्होंने सही तो कहा है। महंगाई है कहां? जनता के वोट से चुने गए जनप्रतिनिधियों को इतने भारी-भरकम वेतन, भत्ते व सुख-सुविधाएं मिलती हैं तो भला इन्हें महंगाई ढूंढ़ने से भी कहां मिलेगी! असल में महंगाई तो नजर उस आम आदमी को ही आयेगी जिसकी मेहनत की सीमित कमाई हो और उपलब्ध साधनों में ही घर खर्च चलाना हो।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
बेटियों का जज्बा
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की बेटियों ने लॉन बॉल्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को करारी मात देने के बाद भारतीय महिला टीम ने दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में हराया। यह जानकर बेहद आश्चर्य हुआ कि कोई सरकारी मदद और कोच न होने के बावजूद इन्होंने अपने साहस और सामर्थ्य से राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। भारत के खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण, ओलंपिक संघ आदि संस्थाओं को इन खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
संस्कृति संरक्षण जरूरी
भारत में भाषा-वेशभूषा-खान-पान और रीति-रिवाजों की विभिन्नताओं में एकता व समानता देखने में आती है। लेकिन पिछले कई वर्षों से अब बहुत कुछ बदल गया है। तीज के त्योहार में महिलाएं झूला झूलती हैं। यह एक परंपरा भी है। लेकिन समय के साथ आज गांवों में पीपल के पेड़ नहीं रहे। त्योहार आज रस्म अदायगी तक सीमित रह गये हैं। विकल्प तलाशे जाएं तो गांवों और नगरों में भी सरकारी तौर पर ‘तीज पार्क’ बनाये जा सकते हैं। उनमें पीपल के पौधे रोपे जायें तो कुछ वर्षों बाद हमारी तीज की परंपरा रंग बरसाना शुरू कर देगी। हरियाणा सरकार की ओर से ‘तीज पार्क’ बनाने की दिशा में ध्यान दिया जाये।
सरोज दहिया, हलालपुर, सोनीपत
प्रदूषण समस्या
आज दिन-प्रतिदिन दूषित होता पर्यावरण लोगों के लिए जटिल समस्या बनता जा रहा है। दरअसल, पर्यावरण प्रदूषित करने वाली फैक्टरियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। पर्यावरण हितैषी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। हानिकारक कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर जैविक व इको फ्रेंडली उत्पादों पर जोर दिया जाना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए आमजन को भी मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए।
श्याम मिश्रा, दिल्ली
परेशानी में मरीज
अफसोस की बात है कि पीजीआई ने पंजाब के मरीजों का इलाज रोक दिया क्योंकि बकाया भुगतान नहीं किया गया था। पंजाब सरकार पर लगभग 16 करोड़ रुपये का बोझ है, जो कि बहुत बड़ी राशि है। इस कारण योजना के तहत इलाज करवाने वाले लोगों का इलाज बंद हो गया है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को हो रही है। सरकार को जल्द से जल्द बिलों का भुगतान करना चाहिए ताकि लोगों को परेशानी न हो।
पारुल गुप्ता, फतेहगढ़ साहिब
बर्बाद होता अनाज
सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार पिछले वित्तवर्ष के दौरान अनाज के ठीक से भण्डारण व रखरखाव के अभाव में करीब सत्रह सौ टन अनाज बर्बाद हो गया। सोचा जा सकता है कि इतने अनाज से कितने परिवारों का कितने वक्त तक पेट भरा जा सकता था। वहीं, समय पर सरकारी खरीद न हो पाने बेमौसम बरसात, अंधड़ आदि के कारण किसानों का कितना अनाज बर्बाद चला जाता है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है। आज विश्व के अधिकांश देश खाद्यान्न संकट से जूझ रहे हैं। वहीं भारत में भी खाद्यान्न के दाम निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी विकट स्थिति में रखरखाव के अभाव में हजारों टन गेहूं बर्बाद हो जाना एक अपराध है। जीवन की मूलभूत आवश्यकता अनाज का बड़े गोदामों के अभाव में बर्बाद हो जाना एक विचारणीय प्रश्न है।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.
सख्त सज़ा मिले
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मामले की जांच में राज्य के मंत्री और उनकी करीबी के पास से ईडी को जो कुबेर का खजाना मिल रहा है, वह हैरान करने वाला है। विडंबना की बात है कि एक तरफ जनता भुखमरी, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी से दो-दो हाथ कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उसी जनता के वोटों से जीते मंत्री घोटाले, भ्रष्टाचार कर खजाना भर रहे हैं। इनकी न केवल सम्पूर्ण संपत्ति जब्त की जाए, बल्कि जनता को धोखा देने के आरोप में ऐसे लोगों को सख्त सजा भी मिले।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
ताकत का नशा
प्रथम अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘अभद्रता की राजनीति’ राजनेताओं द्वारा सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए संबंधित अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार करने का पर्दाफाश करने वाला था। पंजाब के सेहत मंत्री द्वारा डॉ. राजबहादुर को मेडिकल यूनिवर्सिटी में सुविधाओं के अभाव के मामले में व्यक्तिगत तौर पर अपमानित करना निंदनीय है। ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए कि डॉ. राजबहादुर को सम्मान के साथ वही पद दोबारा सौंपा जा सके।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
रेल यात्रा में छूट मिले
भारत में लगभग 14 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं। अफसोस की बात है कि सरकार ने वित्तीय संकट का मुकाबला करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा करते समय जो 50 प्रतिशत छूट दे रखी थी उसे वापस ले लिया है। सरकार कॉर्पोरेट जगत को हर साल अरबों रुपए की सब्सिडी देती है, उसके मुकाबले में वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में 50 प्रतिशत छूट देकर केवल 1500 करोड़ रुपये खर्च करना सरकार के लिए बहुत मामूली बात है। सरकार से निवेदन है कि वरिष्ठ नागरिकों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए छूट देकर उनका सम्मान बढ़ाए।
शामलाल कौशल, रोहतक
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com
विकास में बाधक
‘रेवड़ी कल्चर’ यानी कि मुफ्त की सौगातें देश के विकास के लिए नुकसानदेह हैं। ऐसे चलन से एक तरफ तो वित्तीय अस्त-व्यस्तता होती है तो दूसरी तरफ सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है। जिसकी मार कर दाताओं पर पड़ती है तथा सेवाओं की गुणवत्ता की कमी से आमजन को इसके परिणाम झेलने पड़ते हैं। श्रीलंका संकट हमारे सम्मुख है। मुफ्त की सौगातें देने की बजाय सरकारें जनता को रोजगार, महंगाई से राहत, बिजली-पानी का उचित प्रबंध करें। केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं ही मुफ्त हों बाकी मुफ्त की चीजें इंसान को निकम्मा बना देती हैं।
रवि नागरा नौशहरा, साढौरा
वित्तीय असंतुलन
राजनीतिक दलों द्वारा वोटों के धुव्रीकरण के लिए मुफ्त सेवाएं देने की योजनाएं बनाना राष्ट्र को पराभव की ओर धकेलने के समान है। इस मामले में कोई भी दल एक-दूसरे पर उंगली उठाने लायक नहीं है। हमाम में सब एक जैसे हैं। ऐसी योजनाओं से लोगों में अकर्मण्यता पैदा होती है। सामाजिक विद्वेष बढ़ता है। वित्तीय संतुलन डगमगाने लगता है। जिन्हें इस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता वे भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं। उच्चतम न्यायालय ऐसी योजनाओं पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाए।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
घातक प्रभाव
रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए घातक है। चुनावों के समय विभिन्न राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने जाल में फंसाने के लिए जो मुफ्त की सुविधाएं देने का वादा करते हैं उन्हें पूरा करने के लिए सरकार को या तो नए टैक्स लगाने पड़ते हैं या फिर उधार लेना पड़ता है जिसका कि विकास, कल्याण तथा देश की सुरक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सार्वजनिक निवेश कम होता है, उत्पादन तथा रोजगार कम होता है और महंगाई बढ़ती है और स्थिति श्रीलंका की तरह हो जाती है। अतः आर्थिक सुशासन यही कहता है कि रेवड़ी कल्चर समाप्त कर दी जाए।
शामलाल कौशल, रोहतक
निहित स्वार्थ त्यागें
चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों द्वारा सत्ता के लालच में लोकलुभावन वादों की झड़ी लगा दी जाती है। यानी जनता के लिए सब ओर मुफ्त की रेवड़ियां तैयार होती हैं। देश के माननीय ये सब सुविधाएं कहां से लायेंगे। ऐसे में विदेशी कर्ज की गठरी लगातार भारी होती जाती है। अर्थव्यवस्था बढ़ते अतिरिक्त व्यय के भार से चरमराने लगती है। श्रीलंका का ताजा उदाहरण हमारे सामने है। जनता को पंगु बनाने से अच्छा है कि उन्हें स्वाभिमान के साथ जीने के अवसर दिये जायें। निहित स्वार्थ त्यागकर देशहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये।
नरेन्द्र सिंह नीहार, नयी दिल्ली
भविष्य के लिए खतरनाक
रेवड़ी कल्चर देश के भविष्य के लिए खतरनाक है। मुफ्त वाली योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी सख्त है। मुफ्त के सामान बांटने की राजनीतिक दलों की प्रवृत्ति अंततः देश के राजकोष को पलीता ही लगाती है। मुफ्त की योजनाओं के कारण ईमानदारी के साथ अपना टैक्स अदा करने वाले समुदाय के साथ अन्याय होता है। इसके साथ ही सरकारें मुफ्त की स्कीम चला कर लोगों को पंगु भी बना रही हैं। ऐसी योजनाओं के कारण लोग काम करना नहीं चाहते हैं।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.
वोट बैंक की राजनीति
चुनावी दौर में राजनीतिक दल जनता को भरमाने के लिए लोकलुभावने वादे करके वोट बैंक बनाने में जुटे रहते हैं। फ्री सुविधाओं से राजकोष का घाटा बढ़ता है। जनकल्याण की अनदेखी कर दैनिक उपभोग की वस्तुओं के दामों में वृद्धि कर घाटे की भरपायी की जाती है अथवा अन्य टैक्स लगाकर आमजन की सुख-सुविधाओं की बलि चढ़ा कर पूरा किया जाता है। ऐसे में व्यवसाय व उत्पादन प्रभावित होते हैं। आर्थिक व्यवस्था की मजबूती के लिए रेवड़ी कल्चर की स्वार्थी भावना से ऊपर उठना चाहिए। सरकार को पूंजीपति व्यवसायियों पर सब्सिडी समाप्त कर देनी चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
पुरस्कृत पत्र
करदाताओं पर भार
मुफ्त में सौगात बांटना, राष्ट्र के विकास के लिए अवरोध उत्पन्न करना है। मुफ्त की योजनाओं की घोषणाएं पूरी करने के लिए सरकार को करदाताओं पर अतिरिक्त भार डालना पड़ता है। जिसके कारण कर्मठ, अनुशासन प्रिय, कर्तव्यनिष्ठ राष्ट्रभक्त लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी कीमत राष्ट्र को किसी न किसी रूप में चुकानी पड़ती है। सरकार को मुफ्त की योजनाएं वास्तव में असहाय, विकलांग, जरूरतमंद लोगों के लिए ही बनानी चाहिए, जिससे सरकार को राष्ट्र के विकास की गति में वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े।
जय भगवान भारद्वाज, नाहड़